बांग्लादेश में Hindu Community की आबादी का इतिहास और वर्तमान स्थिति एक जटिल और संवेदनशील विषय रहा है। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से हिंदू आबादी में गिरावट देखी गई है, और इस समुदाय के लोगों ने बड़े पैमाने पर पलायन किया है। बांग्लादेश में हिंदू पलायन मुख्य रूप से भारत की ओर हुआ है, जहाँ इन शरणार्थियों को शरण मिली है। इस लेख में हम बांग्लादेश में हिंदू आबादी, 1971 के बाद हुए पलायन, और भारत में शरण लिए हुए हिंदू शरणार्थियों के संबंध में विस्तृत जानकारी देंगे।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी की स्थिति
बांग्लादेश में Hindu Community की आबादी एक समय पर काफी मजबूत थी। 1947 में भारत के विभाजन के समय, पूर्वी पाकिस्तान (जो बाद में बांग्लादेश बना) में हिंदुओं की आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 22% थी। हालांकि, समय के साथ, इस संख्या में काफी गिरावट आई। 1971 में जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता हासिल की, तब भी हिंदुओं की संख्या में कमी देखी गई।
वर्तमान में, बांग्लादेश में हिंदू आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 8-10% ही है। यह गिरावट मुख्य रूप से धार्मिक उत्पीड़न, हिंसा, और असुरक्षा के कारण हुई है, जिसने हिंदुओं को अपने देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है। इस तरह की परिस्थितियों में Hindu Community के लोगों ने भारत और अन्य देशों में शरण लेने की कोशिश की है।
1971 के बाद से हिंदू पलायन
1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के दौरान और उसके बाद के वर्षों में, Hindu Community को बड़े पैमाने पर हिंसा, उत्पीड़न, और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में हिंदू परिवारों ने बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ली।
1971 के युद्ध के दौरान ही लगभग 10 मिलियन (1 करोड़) लोग बांग्लादेश से भारत में आ गए थे, जिनमें से अधिकांश हिंदू थे। इस पलायन ने बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या में महत्वपूर्ण कमी की। युद्ध के बाद भी, उत्पीड़न और असुरक्षा की वजह से पलायन जारी रहा, और यह प्रवृत्ति आज भी देखी जा सकती है।
भारत में हिंदू शरणार्थियों की स्थिति
भारत में शरण लिए हुए बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों की संख्या स्पष्ट रूप से बताना मुश्किल है, क्योंकि इन शरणार्थियों के पंजीकरण की प्रक्रिया व्यवस्थित नहीं रही है। हालांकि, विभिन्न अनुमानों के अनुसार, वर्तमान में भारत में बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों की संख्या लाखों में हो सकती है।
ये शरणार्थी मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, और उत्तर पूर्वी राज्यों में बसे हुए हैं। इनमें से कई शरणार्थी स्थायी नागरिकता प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं और उन्हें अस्थायी शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ता है। भारत सरकार ने 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पारित किया, जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इस कानून के तहत कितने बांग्लादेशी हिंदुओं को नागरिकता मिली है, इसकी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी के भविष्य की चुनौतियाँ
Hindu Community आज भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। धार्मिक उत्पीड़न, सामाजिक भेदभाव, और आर्थिक असमानता के कारण Hindu Community के लोग असुरक्षित महसूस करते हैं। इसके अलावा, हिंदू महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले भी सामने आते रहते हैं, जिससे इस समुदाय के लोगों में डर और असुरक्षा की भावना बनी रहती है।