BJP Sushma Swaraj 2024
Sushma Swaraj जिनका नाम भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ता है, की 6 अगस्त 2019 को निधन हो गया था। सुषमा स्वराज, जिन्होंने विदेश मंत्री के रूप में मंत्रालय की दिशा बदल दी, अपने काम के प्रति निष्ठा और समर्पण के लिए जानी जाती थीं। उनकी सहजता और दृढ़ता ने उन्हें न केवल एक कुशल मंत्री बल्कि एक प्रेरणादायक नेता भी बना दिया।
Sushma Swaraj का राजनीतिक जीवन 41 वर्षों तक फैला हुआ था, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की वरिष्ठ नेता के रूप में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 6 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस लेने वाली सुषमा स्वराज की राजनीति में गहरी छाप रही है। उनके निधन के बाद भी उनकी यादें और उनके कार्य आज भी लोगों को गर्वित करती हैं।
स्वराज का करियर भारतीय राजनीति में एक मिसाल के रूप में देखा जाता है। ट्विटर पर उनके ट्वीट्स को देखकर उनकी मानवीयता और संवेदनशीलता की झलक मिलती है। 2014 में जब यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्र फंसे थे, तो सुषमा स्वराज का ट्वीट बहुत वायरल हुआ, जिसमें लिखा था कि अगर कोई भारतीय मंगल ग्रह पर भी फंसा होगा, तो विदेश मंत्रालय उसकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेगा। इसी तरह, ऑपरेशन राहत और ऑपरेशन संकटमोचक जैसे अभियानों ने उनकी काबिलियत को उजागर किया।
Sushma Swaraj की राजनीतिक यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक रही है। वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय सदस्य थीं और जेपी आंदोलन के दौरान आपातकाल के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री के रूप में हरियाणा सरकार में 25 वर्ष की उम्र में अपनी शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने हरियाणा विधानसभा में दो कार्यकालों के लिए विधायक के रूप में कार्य किया और हरियाणा जनता पार्टी की राज्य इकाई की अध्यक्ष भी रहीं।
1980 में Sushma Swaraj भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं और पार्टी के सचिव के रूप में नियुक्त की गईं। दो साल तक पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद, 1990 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया। 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार के दौरान उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1998 में वाजपेयी सरकार के दौरान उन्हें फिर से सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और कुछ समय के लिए दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं।
1999 में सुषमा स्वराज ने कर्नाटक के बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, हालांकि वह हार गईं, लेकिन उनके राजनीतिक कद में वृद्धि हुई। वाजपेयी सरकार के तीसरे कार्यकाल में 2003 से मई 206 अगस्त: 04 तक उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के साथ-साथ संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया।
2004 में यूपीए के सत्ता में आने पर, जब सोनिया गांधी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सामने आया, तो सुषमा स्वराज ने उसका जोरदार विरोध किया और कहा कि अगर ऐसा होता है तो वह सिर मुंडवा लेंगी। हालांकि, सोनिया गांधी की जगह डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।
Sushma Swaraj ने 2009 में विपक्ष की पहली महिला नेता के रूप में इतिहास रचा और 2014 तक इस पद पर बनी रहीं। 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद, उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। वह इंदिरा गांधी के बाद भारत की दूसरी महिला विदेश मंत्री बनीं।
विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, 2015 में यमन में सऊदी गठबंधन सेना और हौथी विद्रोहियों के बीच युद्ध के समय ऑपरेशन राहत चलाया गया, जिसमें 5,000 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई। इसी प्रकार, 2016 में दक्षिण सूडान के युद्ध में फंसे भारतीयों के लिए ऑपरेशन संकटमोचक चलाया गया, जिसमें करीब 500 लोगों को भारत लाया गया।
Sushma Swaraj ने विदेश मंत्री के रूप में भारत की कूटनीति को मजबूत किया और मानवीय व्यवहार की मिसाल पेश की। उनकी राजनीति में 67 वर्षों की उम्र में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद, सुषमा स्वराज का निधन एक बड़ी क्षति है। उनकी यादें और उनके कार्य हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।
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