Wakf Amendment Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, कई प्रावधानों पर सवाल
फोकस कीवर्ड: Wakf Amendment Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई जारी है। यह अधिनियम देश भर में विवाद और विरोध का कारण बना हुआ है, और अदालत में इस पर विचार-विमर्श हो रहा है। इस नए कानून के कई प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सख्त सवाल पूछे हैं, खासकर ‘वक्फ बाय यूजर’ (Waqf by User) के प्रावधानों पर।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम पर सवाल
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं, इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस कानून को चुनौती देने के लिए कुल 73 याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में मुख्य रूप से Waqf by User से संबंधित प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
कानूनी अधिकारों का उल्लंघन?
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले में एक याचिका में प्रस्तुत किया कि नए कानून के कई प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करते हैं। उनका कहना था कि जब कलेक्टर को न्यायाधीश की भूमिका दी जाती है, तो यह असंवैधानिक है क्योंकि कलेक्टर सरकार का हिस्सा होता है और अगर वह न्यायाधीश की तरह कार्य करता है तो यह न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांत के खिलाफ है। सिब्बल ने Waqf by User के प्रावधान का भी विरोध किया, जिसमें यह कहा गया है कि यदि किसी संपत्ति का धार्मिक या समाजिक उद्देश्य के लिए उपयोग लंबे समय से किया गया है तो वह वक्फ संपत्ति मानी जाएगी, भले ही इसके लिए कोई औपचारिक दस्तावेज न हो।
Waqf by User: इस्लाम का हिस्सा
सिब्बल ने इस बात को भी उठाया कि ‘Waqf by User इस्लाम का एक अभिन्न हिस्सा है और अगर इसे चुनौती दी जाती है तो यह इस्लामिक आस्थाओं और प्रथाओं के खिलाफ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि एक वक्फ 3000 साल पुराना है, तो इसके लिए दस्तावेज़ की मांग करना अनुचित होगा। यह बयान वक्फ संपत्तियों के उपयोग और इनकी कानूनी स्थिति पर महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी और कहा कि देश में 8 लाख वक्फ संपत्तियों में से 4 लाख Waqf by User हैं। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने इस पर प्रतिक्रिया दी कि दिल्ली उच्च न्यायालय भी वक्फ भूमि पर बना हुआ है, और यदि ‘वक्फ बाय यूजर’ को खत्म किया गया तो यह एक गंभीर समस्या हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने Waqf by User पर सवाल उठाए
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर विचार करते हुए सवाल किया, “क्या आप यह कह रहे हैं कि यदि कोई वक्फ ‘Waqf by User ‘ के रूप में स्थापित किया गया था, तो क्या वह अब अमान्य हो जाएगा?” उनका कहना था कि कई मस्जिदें जो वक्फ के तहत आई थीं, 13वीं, 14वीं और 15वीं सदी में बनी थीं और उनके लिए कोई दस्तावेज प्रस्तुत करना असंभव है। उन्होंने कहा कि अगर वक्फ बाय यूजर को समाप्त किया जाता है, तो यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है।
पीठ ने कहा कि “यदि सरकार Waqf by User को समाप्त करने जा रही है, तो यह एक बहुत बड़ा मुद्दा होगा। संसद नहीं कह सकती कि अदालत का निर्णय बंधनकारी नहीं होगा।”
वक्फ परिषद के गठन पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ परिषद के गठन के नए प्रावधान पर भी सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र से पूछा, “क्या आप यह कह रहे हैं कि आप मुसलमानों को हिंदू एंटरप्राइज बोर्ड्स का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे?” इस सवाल का उद्देश्य था यह जानना कि क्या इस कानून में उन धर्मों के बीच समानता को सुनिश्चित किया जा सकता है, जो वक्फ संपत्तियों से संबंधित हैं।
हिंसा पर चिंता
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह बहुत चिंताजनक है कि वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर हो रहे विरोधों में हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा, “यह बहुत ही विचलित करने वाली बात है कि इस कानून के विरोध में हिंसा हो रही है।”
सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में पेश होकर कहा कि यह कानून संसद में विस्तृत चर्चा के बाद पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि इस कानून को दोनों सदनों में मंजूरी प्राप्त हुई और एक संयुक्त संसदीय समिति ने इसे विस्तार से जांचा था।
कानून की प्रक्रिया और भविष्य
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर फिर से सवाल किया कि यदि कोई ‘वक्फ बाय यूजर’ अदालत के फैसले से स्थापित हुआ है तो क्या आज उसे रद्द कर दिया जाएगा? यह सवाल इस बात को उजागर करता है कि कानून में किसी भी बदलाव के मामले में पहले से स्थापित न्यायिक आदेशों को कैसे सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, “ऐसी वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज़ क्या होंगे जो बहुत समय से अस्तित्व में हैं?” यह अदालत की चिंता का विषय था कि एक पुरानी प्रथा को नए कानूनी ढांचे में समाहित करना कैसे संभव होगा।
निष्कर्ष
Wakf Amendment Supreme Court की सुनवाई ने वक्फ संपत्तियों से जुड़े विभिन्न कानूनी और धार्मिक मुद्दों को उजागर किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल इस बात का संकेत देते हैं कि सरकार और न्यायपालिका के बीच इस नए कानून के प्रभाव को लेकर स्पष्टता जरूरी है। वक्फ बाय यूजर, वक्फ परिषद का गठन और धार्मिक संस्थाओं की भूमिका जैसे मुद्दे इस कानून के संशोधन के दौरान महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बने हुए हैं। आगामी दिनों में इस पर और विचार-विमर्श किया जाएगा, जिससे इस कानून का वास्तविक प्रभाव और भविष्य की दिशा तय होगी।
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