Sensex Crash: दलाल स्ट्रीट पर गिरावट के 3 बड़े कारण!

Sensex Crash

Sensex Crash: शेयर बाजार में भारी गिरावट, चौथे दिन भी नुकसान जारी

भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को भारी गिरावट के साथ बंद हुए, जिससे Sensex Crash ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी। सेंसेक्स 1,153.17 अंक गिरकर 79,029.03 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 213.10 अंक की गिरावट के साथ 23,985.75 पर आ गया। यह लगातार चौथा दिन था जब बाजार में गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक बाजारों की कमजोरी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती और घरेलू आर्थिक चिंताओं ने इस गिरावट को और गहरा कर दिया।


Sensex Crash: अमेरिकी फेडरल रिजर्व का असर

Sensex Crash का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती और उसके भविष्य के रुख पर निवेशकों की निराशा है।

  • फेड की दर कटौती:
    फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर को 4.25%–4.50% के दायरे में घटा दिया, जो बाजार की उम्मीदों के अनुरूप था।
  • भविष्य के संकेत:
    फेड ने 2025 में केवल दो और दर कटौती का संकेत दिया, जबकि बाजार तीन से चार कटौती की उम्मीद कर रहे थे। यह निवेशकों के लिए निराशाजनक रहा और वैश्विक बाजारों में बिकवाली का माहौल बन गया।
  • अमेरिकी बाजारों पर प्रभाव:
    • डॉव जोन्स 1,123.03 अंक (2.6%) गिरकर 42,326.87 पर आ गया।
    • नैस्डैक 716.37 अंक (3.6%) गिरकर 19,392.69 पर बंद हुआ।
    • एसएंडपी 500 178.45 अंक (3%) गिरकर 5,872.16 पर बंद हुआ।

Sensex Crash: वैश्विक बाजारों की कमजोरी

अमेरिकी बाजारों की गिरावट का असर एशियाई बाजारों पर भी पड़ा। जापान, चीन, और दक्षिण कोरिया के सूचकांक 1.2% तक गिर गए। भारतीय बाजारों में भी यह निराशाजनक भावना हावी रही।

  • सांता रैली की उम्मीद खत्म:
    दिसंबर के आखिरी हफ्तों में अक्सर बाजारों में तेजी आती है, जिसे “सांता रैली” कहा जाता है। हालांकि, इस बार यह रैली अब खत्म होती दिख रही है।

घरेलू आर्थिक चिंताएं

Sensex Crash में घरेलू बाजार के कारक भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

  • डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड:
    • डॉलर इंडेक्स 108 पर पहुंच गया।
    • 10-वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4.5% तक बढ़ गई।
      इससे विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजारों से पूंजी निकालने की संभावना बढ़ गई।
  • एफपीआई की बिकवाली:
    विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने बुधवार को ₹1,316.81 करोड़ की शुद्ध बिकवाली की।
  • रुपये का कमजोर होना:
    डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने की संभावना है, जिससे भारतीय संपत्तियां विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो सकती हैं।

Sensex Crash: प्रमुख सेक्टर और स्टॉक प्रदर्शन

Sensex Crash के दौरान कई प्रमुख सेक्टर और स्टॉक्स पर भारी दबाव देखने को मिला।

  • निफ्टी में सबसे कमजोर स्टॉक:
    • विप्रो (2.64% गिरकर ₹304.35)।
    • अन्य नुकसान झेलने वाले स्टॉक्स: श्रीराम फाइनेंस, एशियन पेंट्स, हिंडाल्को, ओएनजीसी, इंफोसिस, और टाटा स्टील।
  • तेजी से गिरने वाले सेक्टर:
    आईटी, मेटल, और ऑयल एंड गैस सेक्टर पर भारी बिकवाली का दबाव देखा गया।

Sensex Crash: तकनीकी विश्लेषण और समर्थन स्तर

  • मनोवैज्ञानिक स्तर:
    निफ्टी के लिए 24,000 का स्तर एक अहम मनोवैज्ञानिक सीमा है।
  • मुख्य समर्थन स्तर:
    23,900 का स्तर तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 200-दिवसीय सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) और 61.8% फाइबोनाची रिट्रेसमेंट के साथ मेल खाता है।
  • पीसीआर (पुट-कॉल रेशियो):
    स्वस्तिक इनवेस्टमार्ट लिमिटेड के संतोष मीना के अनुसार, निफ्टी का पीसीआर 0.55 है, जो दर्शाता है कि बाजार ओवरसोल्ड स्थिति में है।

Sensex Crash: विशेषज्ञों की राय

Sensex Crash पर विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की:

  • विजय कुमार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज:
    बाजार में उच्च मूल्यांकन के कारण मामूली ट्रिगर भी बड़ी गिरावट ला सकता है। फेडरल रिजर्व की धीमी दर कटौती के संकेत ने यह ट्रिगर प्रदान किया।
  • नोमुरा विश्लेषक:
    फेड का सख्त रुख 2025 में दर कटौती की धीमी गति को दर्शाता है, जिससे वैश्विक बाजारों में सतर्कता बढ़ी।

Sensex Crash: निवेशकों के लिए क्या करें?

  1. शॉर्ट-टर्म निवेशक:
    • यदि स्टॉक्स में भारी नुकसान हो रहा है, तो नुकसान को सीमित करने के लिए पोजीशन कट कर सकते हैं।
  2. लॉन्ग-टर्म निवेशक:
    • इस गिरावट को एक अवसर के रूप में देखें। जिन स्टॉक्स की बुनियादी स्थिति मजबूत है, उनमें गिरावट पर निवेश कर सकते हैं।
  3. सावधानी बरतें:
    • बाजार की अस्थिरता के कारण सतर्क रहें और नए निवेश से पहले विश्लेषण करें।

निष्कर्ष

Sensex Crash ने निवेशकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय पैदा किया है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों, वैश्विक बाजारों की कमजोरी, और घरेलू आर्थिक कारकों ने इस गिरावट को बढ़ावा दिया। हालांकि, दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह गिरावट एक अवसर हो सकती है।

अगले कुछ दिनों में बाजार की दिशा वैश्विक और घरेलू कारकों पर निर्भर करेगी। ऐसे में सतर्कता और रणनीतिक निवेश से ही इस अस्थिरता का फायदा उठाया जा सकता है।

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