Rape Case में सबसे तेज ट्रायल: 1 दिन में उम्रकैद, अब क्या हुआ?

Rape Case

एंटी-रेप बिल और न्याय की दिशा में बड़ा कदम

मंगलवार को पश्चिम बंगाल की विधानसभा में जारी विशेष सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया गया, जिसे एंटी-रेप बिल के नाम से जाना जाता है। इस बिल की सबसे खास बात यह है कि इसमें Rape Case के दोषी को मात्र सात दिनों के भीतर मौत की सजा देने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार द्वारा पेश किए गए इस बिल को विधानसभा में पारित कर दिया गया।

बिल के पीछे की पृष्ठभूमि

यह बिल उस समय आया जब कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस घटना ने न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे देश में आक्रोश पैदा किया। डॉक्टरों ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन किए, और इस Rape Case ने सियासत को भी गरमा दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना के बाद घोषणा की थी कि उनकी सरकार एक ऐसा कानून लाएगी जिससे Rape Case के आरोपियों को मौत की सजा दी जा सके। मंगलवार को इस वादे को पूरा करते हुए यह बिल विधानसभा में पास किया गया।

बिल को लेकर उठे सवाल

इस बिल के पारित होते ही इस पर बहस शुरू हो गई है कि क्या यह विधेयक न्यायसंगत है और क्या ऐसे कानूनों के पारित हो जाने से न्याय की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव पड़ेगा? कई कानूनी विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं कि क्या इतनी तेजी से सुनवाई और सजा देना Rape Case में न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है? न्यायपालिका के मानकों को बनाए रखते हुए, इस बिल के तहत Rape Case में दोषियों को तेजी से सजा देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन क्या यह न्याय के लिए उचित है या नहीं, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।

सबसे तेज़ ट्रायल का उदाहरण

ऐसे मामलों में जहां अदालतों ने तेजी से सुनवाई करते हुए फैसले दिए हैं, बिहार के अररिया जिले का Rape Case एक मिसाल है। वहां एक POCSO अदालत ने एक दिन की सुनवाई में एक व्यक्ति को आठ वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह Rape Case 2021 का था और इसे देश की सबसे तेज़ गति से संपन्न हुए मुकदमों में से एक माना गया था। इस मामले में आरोपी को दोषी ठहराने के बाद अदालत ने उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना और पीड़िता के पुनर्वास के लिए 7 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया था।

न्याय की गुणवत्ता पर सवाल

हालांकि इस तरह की तेजी से न्याय प्रक्रिया एक तरफ पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने का प्रयास है, वहीं दूसरी तरफ यह सवाल भी उठता है कि क्या इतनी जल्दी सजा सुनाने से Rape Case में न्याय की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ेगा? क्या आरोपी को पर्याप्त समय और अवसर मिला अपनी सफाई पेश करने का?

निष्कर्ष

Rape Case में एक दिन में सुनाई गई सजा ने भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक मिसाल कायम की है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अगर न्यायपालिका चाहे तो Rape Case में त्वरित न्याय सुनिश्चित कर सकती है, खासकर उन मामलों में जहां अपराध की गंभीरता बहुत अधिक है।

इस फैसले ने न केवल पीड़िता और उसके परिवार को राहत दी, बल्कि पूरे देश में एक संदेश भी भेजा कि Rape Case में न्याय मिलने में देरी नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार के फैसले न्यायपालिका के प्रति लोगों का विश्वास और मजबूत करेंगे और समाज में Rape Case जैसे अपराधों को रोकने में मदद करेंगे

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