Kailash Gahlot का चौंकाने वाला इस्तीफा: शराब नीति विवाद

Kailash Gahlot

Kailash Gahlot का इस्तीफा: आप पार्टी में बढ़ते मतभेद का संकेत

दिल्ली के परिवहन मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता Kailash Gahlot ने 17 नवंबर को पार्टी और सरकार से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा आगामी 2025 विधानसभा चुनावों से पहले आप पार्टी के भीतर बढ़ते मतभेदों की ओर इशारा करता है।

गहलोत का इस्तीफा और पार्टी में दरार

Kailash Gahlot, जो नजफगढ़ से विधायक हैं और अरविंद केजरीवाल सरकार में परिवहन मंत्री रहे, इस साल इस्तीफा देने वाले दूसरे मंत्री हैं। इससे पहले, अप्रैल 2023 में, समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया था।

गहलोत के पार्टी से असंतोष की अटकलें लंबे समय से चल रही थीं। हाल ही में हुए हरियाणा चुनावों में Kailash Gahlot ने पार्टी के प्रचार में भाग नहीं लिया था। उनका इस्तीफा पार्टी के भीतर मतभेद और दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े विवादों से जुड़ा माना जा रहा है।

मंत्रालयों का बंटवारा और असंतोष

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद, उनके पास 18 महत्वपूर्ण विभाग थे, जो अन्य मंत्रियों में बांटे गए। सिसोदिया के विभागों में शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, जल और गृह विभाग शामिल थे।

इन विभागों का बंटवारा मुख्य रूप से आतिशी और सौरभ भारद्वाज के बीच हुआ। इस दौरान Kailash Gahlot से विधि और न्याय विभाग छीनकर आतिशी को सौंपा गया। यह कदम गहलोत के लिए असंतोष का कारण बना।

आप पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत, जो दो बार विधायक रह चुके हैं, आतिशी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलने से नाखुश थे। जब आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, तो गहलोत को लगा कि पार्टी और सरकार में उनकी अहमियत घट रही है।

एलजी से नजदीकी का आरोप

Kailash Gahlot को दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना के करीब माना जाता था। कई कार्यक्रमों में गहलोत और एलजी की मौजूदगी से यह बात और पुख्ता हुई। स्वतंत्रता दिवस 2024 पर झंडा फहराने का विवाद भी इसी का हिस्सा था।

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में यह जिम्मेदारी आतिशी को दी जानी थी, लेकिन एलजी के हस्तक्षेप के बाद गहलोत को यह कार्य सौंपा गया।

इस्तीफे का कारण: यमुना और ‘शीशमहल’ विवाद

गहलोत ने अपने इस्तीफे में AAP की घटती विश्वसनीयता को कारण बताया। उन्होंने यमुना की सफाई और मुख्यमंत्री आवास के महंगे नवीनीकरण (‘शीशमहल’) जैसे मुद्दों को लेकर पार्टी पर सवाल उठाए।

भाजपा में शामिल होने की अटकलें

गहलोत के इस्तीफे के तुरंत बाद अटकलें हैं कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उम्मीद है कि वे 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में नजफगढ़ सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।

आप का आरोप: ‘मोदी वॉशिंग मशीन’ चाल

AAP ने Kailash Gahlot के इस्तीफे को भाजपा की साजिश बताया। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा,
“गहलोत पर ईडी और सीबीआई के दबाव में भाजपा की स्क्रिप्ट के अनुसार बयान देने का आरोप है। दिल्ली चुनावों से पहले भाजपा ने ‘मोदी वॉशिंग मशीन’ चाल शुरू कर दी है। अब कई नेताओं को भाजपा में शामिल किया जाएगा।”

आप के लिए यह इस्तीफा क्या संकेत देता है?

Kailash Gahlot का इस्तीफा न केवल पार्टी के भीतर गहरे मतभेदों का संकेत देता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिरता पर क्या असर पड़ेगा। आतिशी और गहलोत के बीच खींचतान ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े किए हैं।

भविष्य का राजनीतिक परिदृश्य

Kailash Gahlot की भाजपा में संभावित एंट्री और उनकी बढ़ती असहमति से AAP के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय साबित हो सकता है। आगामी चुनावों में AAP को अपने भीतर की दरारों को भरने और जनता के बीच अपनी छवि को मजबूत करने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे।

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