दिल्ली उच्च न्यायालय Delhi High Court ने कश्मीर मूल के अमेरिकी नागरिक खालिद जहांगीर काज़ी के ओसीआई (OCI) पंजीकरण की रद्दीकरण और उन्हें ब्लैकलिस्ट किए जाने के आदेश को खारिज कर दिया। Delhi High Court कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन साधने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि ऐसे मामलों में ओसीआई कार्ड रद्द करने के प्रावधानों के साथ ही ब्लैकलिस्टिंग के लिए भी सुनवाई का अधिकार लागू होना चाहिए।
केस का विवरण और पृष्ठभूमि
खालिद जहांगीर काज़ी, जो बफ़ेलो यूनिवर्सिटी के मेडिसिन प्रोफेसर हैं, का ओसीआई कार्ड 12 मई, 2023 को भारत के न्यूयॉर्क में स्थित भारतीय दूतावास ने रद्द कर दिया था। इसके बाद गृह मंत्रालय द्वारा विदेशियों अधिनियम, 1946 के तहत उन्हें भारत में प्रवेश पर रोक लगाते हुए ब्लैकलिस्ट किया गया। काज़ी को इस बात का पता तब चला जब उन्होंने इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट Delhi High Court में चुनौती दी। सरकार ने अपने जवाब में बताया कि काज़ी को कश्मीर समर्थक अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्तता और भारत विरोधी प्रचार के कारण ब्लैकलिस्ट किया गया था।
Delhi High Court अदालत का रुख और निर्णय
दिल्ली उच्च न्यायालय Delhi High Court ने इस मामले में स्पष्ट किया कि ओसीआई कार्ड रद्द करने और ब्लैकलिस्ट करने जैसे निर्णयों में सुनवाई का अधिकार होना चाहिए। Delhi High Court अदालत ने कहा कि यदि ब्लैकलिस्ट करने के कारण वही हैं जो ओसीआई रद्द करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, तो नागरिकता अधिनियम की धारा 7डी के तहत सुनवाई का अधिकार ब्लैकलिस्टिंग के लिए भी लागू होना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि इस प्रकार का संरक्षण कानून में शामिल नहीं किया गया, तो सरकार मनमाने ढंग से ओसीआई कार्ड रद्द और ब्लैकलिस्टिंग के दोहरे उपायों का उपयोग कर सकती है।
सुनवाई का अधिकार और सरकार की गोपनीयता की दलील
सरकार ने अदालत में कहा कि खालिद जहांगीर काज़ी की गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी होने के कारण गोपनीय हैं, और इनका खुलासा याचिकाकर्ता के सामने नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने टिप्पणी की कि ओसीआई कार्डधारकों का एक विशेष वर्ग होता है, जिन्हें विशेष संशोधनों के माध्यम से नागरिकता अधिनियम, 1955 में विशिष्ट अधिकार प्राप्त होते हैं। ऐसे में सरकार को ओसीआई रद्द करने के प्रस्ताव की स्पष्ट वजहें देनी चाहिए, ताकि कार्डधारक उचित उत्तर दे सकें और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ओसीआई और विदेशियों अधिनियम की भूमिका
Delhi High Court न्यायालय ने कहा कि ओसीआई कार्डधारकों पर विदेशियों अधिनियम लागू होता है, लेकिन नागरिकता अधिनियम उन्हें विशिष्ट अधिकार और प्रक्रियात्मक सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, जब ब्लैकलिस्टिंग के लिए नागरिकता अधिनियम की धारा 7डी के तहत उल्लिखित आधारों का उपयोग किया जाता है, तब सरकार को ओसीआई कार्डधारक को उत्तर देने का अवसर देना चाहिए। अदालत ने चेताया कि ऐसा नहीं करने से ओसीआई कार्डधारकों को उन अधिकारों से वंचित किया जा सकता है जिन्हें उन्हें नागरिकता अधिनियम के तहत दिया गया है।
काज़ी के मामले में न्यायालय का निर्देश
खालिद जहांगीर काज़ी के मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय Delhi High Court ने सरकार को निर्देश दिया कि वह काज़ी को एक नया नोटिस जारी करे जिसमें किसी भी संभावित प्रतिबंध या रद्दीकरण के स्पष्ट आधार हों। कोर्ट ने कहा कि नोटिस में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए ताकि काज़ी को कार्रवाई के आधारों को समझने का अवसर मिल सके। इसके बाद सरकार को निर्धारित समयसीमा के भीतर काज़ी के उत्तर पर विचार कर एक सुसंगत निर्णय लेना होगा।
निष्कर्ष
इस निर्णय के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने स्पष्ट किया कि ओसीआई कार्डधारकों पर विदेशी नागरिकों के सामान्य कानून लागू नहीं किए जा सकते, और उन्हें नागरिकता अधिनियम के तहत विशेष अधिकार और सुरक्षा मिलती है। अदालत का निर्णय न केवल ओसीआई कार्डधारकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि सरकार को भी यह सुनिश्चित करने की चेतावनी देता है कि ऐसे मामलों में कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
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