waqf bill Parliament Akhilesh Yadav: waqf bill पर गरमाई बहस अखिलेश यादव और अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक

waqf bill akhilesh yadav

Waqf bill क्या बोले अखिलेश यादव

हाल ही में संसद में waqf bill को लेकर बहस ने गर्मी पकड़ ली, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उनका बयान इतना विवादास्पद था कि इसे सुनकर केंद्रीय मंत्री शाह भड़क गए और उन्होंने पलटवार किया। इस घटना ने न केवल संसद के अंदर, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया है।
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waqf bill जो कि अल्पसंख्यक समुदायों की संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है, पर पिछले कुछ समय से चर्चा हो रही है। अखिलेश यादव ने अपने भाषण में इस बिल की संवैधानिकता और इसके प्रभावों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदायों की संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करता है और उनकी स्वायत्तता को सीमित करता है। उनके इस बयान ने संसद में उपस्थित सांसदों के बीच गर्मागर्मी को बढ़ा दिया।

अखिलेश यादव ने कहा,

सरकार का यह प्रयास स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की भावनाओं के साथ खेलना है।वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म करने का यह एक प्रयास है। हम इस बिल का पुरजोर विरोध करेंगे।” उनके इस बयान ने विपक्षी सांसदों को उत्साहित कर दिया और उन्होंने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इसके बाद, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अखिलेश यादव की टिप्पणियों का खंडन करते हुए कहा, “इस बिल का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा करना है। यह उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि उन्हें मजबूत करने का प्रयास है।” शाह ने आगे कहा कि इस प्रकार की राजनीति केवल वोट बैंक के लिए की जा रही है और यह देश की एकता के लिए हानिकारक है।

इस बहस ने संसद का माहौल गरम कर दिया
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सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और कई बार कार्यवाही को रोकना पड़ा। इस घटना ने विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह एक संवेदनशील विषय है।

waqf bill के मुद्दे पर उठी इस बहस ने केवल संसद में ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी है। लोगों ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए, जिससे यह विषय चर्चा का एक बड़ा केंद्र बन गया है। कुछ लोगों ने अखिलेश यादव का समर्थन किया, जबकि अन्य ने शाह के पक्ष में खड़े होकर इस बिल को सही ठहराया।

इस प्रकार, वक्फ बिल पर हुई बहस ने न केवल संसद का माहौल गर्माया, बल्कि यह दर्शाया कि कैसे राजनीतिक मुद्दे सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकते हैं। आगे चलकर यह देखना होगा कि इस मुद्दे का क्या समाधान निकलता है और क्या सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी। इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीति में जटिलताओं को और बढ़ा दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि अल्पसंख्यक समुदायों के मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री

किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को संसद में वक्फ संशोधन बिल पेश किया, जिसके बाद भारी बहस शुरू हो गई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह बिल सोची-समझी राजनीति का परिणाम है।उन्होंने कहा, “अध्यक्ष महोदय, मैंने सुना है कि आपके कुछ अधिकार भी छीने जा रहे हैं, और हमें आपके लिए लड़ना होगा।

इस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भड़क गए और अखिलेश के दावे का कड़ा जवाब दिया। शाह ने कहा, “अखिलेश जी, आप गोलमोल बात नहीं कर सकते। अध्यक्ष के अधिकार सिर्फ विपक्ष के नहीं, बल्कि पूरे सदन के हैं।” इसके बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के सदस्यों से आसन पर टिप्पणी नहीं करने की अपील की।

वहीं, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह भेदभावपूर्ण है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस विधेयक के जरिए देश को बांटने का काम कर रही है और मुसलमानों के प्रति दुश्मनी दिखा रही है। इस प्रकार, वक्फ संशोधन बिल ने संसद में गर्म बहस का माहौल बना दिया।

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