RBI Meeting Policy 2025: ब्याज दर में कटौती और आर्थिक दृष्टिकोण
भारत की केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI Meeting Policy) ने अपनी MPC (मोनिटरी पॉलिसी कमिटी) बैठक में अपनी प्रमुख नीतियों को लागू करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इसमें सबसे बड़ी खबर यह रही कि आरबीआई ने रेपो दर में 50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की घोषणा की, जिससे यह 6% से घटकर 5.5% हो गई। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और मुद्रास्फीति के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था। इस निर्णय से ना केवल ब्याज दरों में कमी आई, बल्कि यह भी संकेत मिला कि आरबीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
RBI Meeting Policy का उद्देश्य और प्रभाव
RBI Meeting Policy :आरबीआई की बैठक में उठाए गए निर्णय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नीति को एक नए दिशा में मोड़ने का काम कर रहे हैं। इस बैठक में किए गए निर्णय, जैसे कि रेपो दर में कटौती और कैश रिजर्व रेट (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट्स की कमी, यह दर्शाते हैं कि आरबीआई इस समय देश की आर्थिक स्थिति को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहा है। इस कदम से भारत में व्यापार की लागत कम होगी, जिससे उधारी की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलेगा और निवेशकों को भी लाभ होगा।
रेपो दर में कमी का सबसे बड़ा प्रभाव क्रेडिट और बाजार गतिविधियों पर पड़ेगा। रेपो दर में कटौती से बैंकों को कम ब्याज दरों पर पैसे मिलेंगे, जिससे बैंकों के लिए लोन देना सस्ता होगा, और इससे बाजार में क्रेडिट फ्लो में वृद्धि होगी।
आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति
RBI Meeting Policy के इस फैसले का दूसरा प्रमुख पहलू भारत की मुद्रास्फीति है। हाल ही में भारत की मुद्रास्फीति काफी नीचे गिरने में सफल रही है, जो फिलहाल 3.16% पर स्थिर है। यह 2019 के बाद से सबसे कम स्तर है, और इसने आरबीआई को नीति दरों में कटौती करने का अवसर दिया। आरबीआई ने अपनी मुद्रास्फीति भविष्यवाणी को FY26 के लिए 3.7% तक घटा दिया है, जो दर्शाता है कि देश में वस्त्रों और खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में सुधार हो रहा है।
इसके अलावा, भारत का GDP अनुमान 6.5% रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 9.2% से कम है। हालांकि, पिछले साल के मुकाबले धीमा विकास दिखाई दे रहा है, लेकिन यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के स्थिर होने का संकेत है।
सामान्य आर्थिक दृष्टिकोण
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के दौरान कहा कि भारत के निर्यात मजबूत बने हुए हैं, और व्यापारिक क्षेत्र में निरंतर सुधार हो रहा है। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था की आंतरिक मांग में सुधार हो रहा है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। वहीं, शहरी मांग में भी सुधार देखा गया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
Monetary Policy Statement by Shri Sanjay Malhotra, RBI Governor- June 06, 2025, 10 am https://t.co/9jePRLSJsF
— ReserveBankOfIndia (@RBI) June 6, 2025
RBI Meeting Policy ने विदेशी निवेश (FPI) में गिरावट का उल्लेख किया, लेकिन इसके बावजूद, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) अभी भी मजबूत है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति स्थिर बनी हुई है। भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार मई अंत तक 691.5 अरब डॉलर पर था, जो देश की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करता है।
MPC बैठक में लिए गए अन्य निर्णय
आरबीआई ने कैश रिजर्व रेट (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती का भी ऐलान किया है। यह फैसला बैंकिंग सिस्टम में प्राथमिक तरलता (primary liquidity) बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। CRR कटौती से लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता सिस्टम में आएगी, जिससे नीतिगत हस्तक्षेप को आसान और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। यह कदम विशेष रूप से फंडिंग लागत को कम करने और नीतिगत परिवर्तन को तेज करने के लिए लिया गया है।
आगे का दृष्टिकोण और चुनौतियाँ
RBI Meeting Policy की बैठक में यह भी बताया गया कि वैश्विक वाणिज्यिक तनाव और मौसम संबंधित असमंजस जैसे जोखिम अभी भी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। आरबीआई ने यूके के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के समापन को भारत के व्यापार को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। इसके अलावा, कृषि और ग्रामीण मांग के लिए भी सकारात्मक संकेत हैं, क्योंकि बारिश के सामान्य स्तर के चलते इस क्षेत्र में वृद्धि की उम्मीद है।
समाप्ति और भविष्य के संकेत
RBI Meeting Policy: की MPC बैठक नीति के परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया दिशा मिल सकता है, जो न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। रेपो दर में कटौती और CRR में कमी से उधारी की लागत में कमी आएगी, जिससे बाजार की गति और वित्तीय वृद्धि में तेजी आएगी। इसके साथ ही, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए आरबीआई के नीतिगत कदम आगे भी सकारात्मक परिणाम देने वाले हो सकते हैं।
आरबीआई की बैठक में लिए गए निर्णयों से यह स्पष्ट है कि आरबीआई भविष्य के लिए एक मजबूत और स्थिर आर्थिक नीति बनाने की दिशा में काम कर रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
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