Budget 2024
वित्त मंत्री ने हाल ही में बजट में एक नया नियम घोषित किया है, जिसके अनुसार, 50 लाख रुपये या उससे अधिक की प्रॉपर्टी बिक्री पर 1% TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) लागू होगा। इस नियम का उद्देश्य कर की चोरी को रोकना और रियल एस्टेट लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाना है।
विवरण:
TDS की नई दर: बजट में घोषणा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति 50 लाख रुपये या उससे अधिक की प्रॉपर्टी बेचेगा, तो बिक्री की कुल राशि पर 1% TDS कटेगा। इसका मतलब है कि विक्रेता को बिक्री मूल्य के 1% के बराबर राशि टैक्स के रूप में काटी जाएगी, जिसे खरीदार को सरकार को जमा करना होगा।
हाल ही में प्रस्तुत बजट की घोषणा के अनुसार, दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long Term Capital Gains) पर कराधान के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इस नए नियम के तहत, अब इंडेक्सेशन बेनिफिट (Indexation Benefit) प्रदान नहीं किया जाएगा, हालांकि, टैक्स की दर को 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
- लागू होने की तारीख: यह नया नियम वित्त वर्ष 2024-25 से लागू होगा, और इसके बाद की प्रॉपर्टी लेन-देन पर इसका पालन करना होगा।
- प्रस्तावित लाभ: इस नियम के पीछे सरकार का उद्देश्य है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में लेन-देन के दौरान टैक्स की चूक को रोका जाए और सरकारी राजस्व को बढ़ाया जाए। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि बड़ी प्रॉपर्टी लेन-देन में टैक्स की जिम्मेदारी का पालन किया जाए।
- खरीदार और विक्रेता की जिम्मेदारी: खरीदार को बिक्री मूल्य पर 1% TDS काटकर इसे केंद्रीय कर विभाग को जमा करना होगा। विक्रेता को अपनी बिक्री से संबंधित सभी दस्तावेज और रसीदें ठीक से संभालनी होंगी ताकि किसी भी विवाद की स्थिति में वे उन्हें प्रस्तुत कर सकें।
- प्रभाव: इस नए नियम का असर उन लोगों पर पड़ेगा जो बड़ी कीमत की प्रॉपर्टी की बिक्री या खरीदारी कर रहे हैं। यह कदम टैक्स चोरी की रोकथाम और रियल एस्टेट बाजार में वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
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इस समाचार में बताया गया है कि बजट प्रस्तावों के अनुसार, 20 लाख रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति की बिक्री पर अब 1% का टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाया जाएगा। यह नया नियम संपत्ति की खरीद और बिक्री के लेन-देन पर लागू होगा और इसका उद्देश्य संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाना और कर चोरी को रोकना है। यह नियम विशेष रूप से उन लेन-देनों पर लागू होगा जहाँ संपत्ति की कीमत 20 लाख रुपये से ज्यादा है, और इसका मकसद बड़े मूल्य के लेन-देनों में कर अनुपालन सुनिश्चित करना है।
इस प्रकार के नियम से सरकार को कर संग्रहण में सहायता मिलेगी और साथ ही संपत्ति बाजार में होने वाले वित्तीय लेन-देन की वैधता और व्यवस्था में सुधार होगा। इसके अलावा, यह व्यवस्था उन व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी जो बड़ी संपत्ति का निवेश करते हैं, क्योंकि इससे उनके लिए कर संबंधी दायित्व स्पष्ट हो जाएगा।