New Delhi : सरकार की ओर से 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया गया। विशेष सत्र की बात सामने आते ही सियासी जगत में कयास लगने शुरू हो गए। दो तीन हफ्ते पहले संसद के मॉनसून सत्र के धुल जाने के बाद महज सवा महीने बाद विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर तरह-तरह के सवाल और संभावनाएं उठनी शुरू हो गई हैं। वहीं, इस सत्र की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ रहा है। खासकर G20 की शिखर बैठक के बाद अचानक सत्र का आयोजन होना भी सवाल खड़े कर रहा है। पेश है पांच संभावनाओं पर चर्चा हो रही है
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा था: उन्होंने कहा कि क्या यह समय की मांग नहीं है कि हमारे देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो. आज देश का दुर्भाग्य है कि जितनी बार मतदान होता है, उतने ही मतदाता सूची आती है सीधे कह देना कि हम इसके पक्षधर नहीं हैं. आप इस पर चर्चा तो करिए भाई, आपके विचार होंगे मैं मानता हूं जितने भी बड़े-बड़े नेता हैं, उन्होंने कहा है कि यार इस बीमारी से मुक्त होना चाहिए. पांच साल में एक बार चुनाव हों उसके बाद फिर काम में लग जाएं. ये बात सबने बताई है. सार्वजनिक रूप से स्टैंड लेने में दिक्कत होती होगी दरअसल, पीएम मोदी लाल किले से अपने संबोधन के बाद से लगातार इसकी चर्चा करते रहे हैं। ऐसे में वे इस सत्र में देश के सामने ने विजन के साथ सामने आ सकते हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस पर संसद के भीतर पांच दिनों तक बहस कराकर इससे जुड़े एक प्रस्ताव को आम सहमति से पेश कर सकती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा पद संभालने के बाद अपनी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना ‘एक देश,एक चुनाव’ को एक बार फिर आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने की पहल की है। पिछले कुछ सालों से पीएम मोदी लगातार इसकी वकालत कर रहे हैं। मालूम हो कि संसदीय कमिटी पहले ही पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर एक पूरा रोडमैप दे चुकी है सत्र में मणिपुर हिंसा को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. विपक्ष मणिपुर पर पीएम मोदी के बयान के साथ चर्चा पर अड़ा था जबकि सरकार गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के साथ चर्चा की बात कह रही थी. इसे लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जमकर गतिरोध रहा. इसके बाद कांग्रेस मणिपुर मुद्दे पर लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी. इस दौरान राहुल गांधी ने मणिपुर हिंसा का जिक्र कर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब पीएम मोदी ने दिया था. इसके साथ ही विपक्ष का प्रस्ताव भी गिर गया था