जब बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को धन्यवाद और प्रणाम दिया, तब जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने भी प्रणाम का सम्मानपूर्वक उत्तर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि उनका मूल उद्देश्य यह है कि नागरिक सतर्क और सजग रहें।

New Delhi : पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से अस्थायी राहत प्रदान की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अगले आदेश तक कोर्ट में पेश होने से छूट दी है। इसके अलावा, अदालत ने योग में उनके योगदान की प्रशंसा भी की। हालांकि, इस जोड़ी पर अवमानना का मुकदमा चलेगा या नहीं, इस पर जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने निर्णय सुरक्षित रखा है।


वास्तव में, पतंजलि आयुर्वेद की ओर से उनकी दवाओं के ‘भ्रामक दावों’ के आरोप में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से कहा कि उनके द्वारा जिन दवाओं के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं, उन्हें बाजार से वापस लेने और बिक्री से रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इस पर एक शपथ पत्र दाखिल करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद पर मुकदमे के दौरान बाबा रामदेव की प्रशंसा की है। अदालत ने पतंजलि से इस मामले में तीन सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा। सुनवाई के समय, आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव दोनों ही कोर्ट में उपस्थित थे। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि बाबा रामदेव द्वारा दुनिया भर में योग के प्रचार में निभाई गई भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और उनमें लोगों की गहरी आस्था है। अदालत ने कहा कि उन्हें इस आस्था का सकारात्मक उपयोग करना चाहिए और लोगों को सतर्क रखना चाहिए। इस प्रशंसा के बाद बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को धन्यवाद और प्रणाम किया, जिसपर जस्टिस अमानुल्लाह ने भी प्रणाम का जवाब दिया

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष अशोकन की टिप्पणियों पर कड़ी निंदा :
की सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष अशोकन को उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए कठोरता से फटकार लगाई, यह कहते हुए कि, “आपने ऐसे शब्द क्यों इस्तेमाल किए? यह बेहद खेदजनक है कि आपने वही किया जो विपक्षी पक्ष ने किया। आपको पता था आप क्या कर रहे हैं। आप अपने आरामदायक स्थान से न्यायालय के बारे में बेतुकी बातें नहीं कह सकते। आपके हलफनामे से हम संतुष्ट नहीं हैं, यह निराशाजनक है।” इस पर अशोकन ने अदालत में अपनी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगी।

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष से पूछा :  आप आईएमए के प्रमुख हैं और 3 लाख 50 हजार डॉक्टरों की जिम्मेदारी आप पर है। आप इन सदस्यों पर कैसा प्रभाव डालना चाहते हैं? आपने सार्वजनिक रूप से माफी क्यों नहीं मांगी? आपने अखबार में माफीनामा क्यों प्रकाशित नहीं करवाया?” न्यायालय ने आगे कहा, “आप एक जवाबदेह व्यक्ति हैं। आपको उत्तर देना होगा। आपने पिछले दो हफ्तों में कुछ नहीं किया। जिस इंटरव्यू को आपने दिया, उसके बाद आपने क्या कदम उठाए, यह हमें जानने की आवश्यकता है

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और उपभोक्ता मामले मंत्रालय से हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिस पर अदालत ने एक नया विस्तारित हलफनामा दायर करने को कहा है। कोर्ट ने FSSAI से भी हलफनामे की मांग की है। अब तक, केवल पश्चिम बंगाल सरकार ने ही हलफनामा प्रस्तुत किया है और नागालैंड सरकार ने भी हाल ही में अपना हलफनामा दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों की लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को उत्तर दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है। अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

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