Manipur Violence : मणिपुर शांत ही नहीं हो रहा है. तीन मई से कुकी और मैतेई के बीच जातीय हिंसा चल ही रही थी. और अब दो छात्रों की मौत ने इस हिंसा को और भड़का दिया है. 5 जुलाई 2004 को मणिपुर के कांगला जिले में जो हुआ था, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. बारह मणिपुरी महिलाओं ने असम राइफल्स के कांगला किले हेडक्वार्टर के सामने निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन किया था
मणिपुर गृह विभाग की ओर से आज जारी हुई अधिसूचना के अनुसार, राज्यपाल की राय है कि विभिन्न चरमपंथी समूहों की हिंसक गतिविधियों की वजह से पूरे मणिपुर में नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों की जरूरत है. इनमें इम्फाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लामासांग, पाटसोई वांगोई, पोरोम्पैट, हेइंगांग, लामलाई, इरिलबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरांग, काकचिंग और जिरीबाम भी शामिल हैं हालांकि राज्य के 19 पुलिस स्टेशन में शांति है, जिन्हें अशांत क्षेत्र से बाहर रखा गया है मणिपुर शांत ही नहीं हो रहा है. तीन मई से कुकी और मैतेई के बीच जातीय हिंसा चल ही रही थी. और अब दो छात्रों की मौत ने इस हिंसा को और भड़का दिया है हिंसा तब भड़की, जब सोशल मीडिया पर दो छात्रों की तस्वीरें वायरल हुईं. दोनों छात्र छह जुलाई से लापता बताए जा रहे थे. वायरल तस्वीरों में दोनों छात्रों के शव दिख रहे हैं. इसके बाद ही हिंसा भड़क गई. इंटरनेट और स्कूल बंद कर दिए गए हैं
AFSPA एक ऐसा कानून है, जिसे ‘अशांत इलाकों’ यानी ‘डिस्टर्ब एरिया’ में लागू किया जाता है. 11 सितंबर 1958 को ये कानून बना था. इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर के के राज्यों में लागू किया गया था. 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी ये कानून लागू कर दिया गया
इस कानून के तहत, सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार मिल जाता है. अगर सुरक्षाबलों को लगता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं, तो वो उसे ध्वस्त भी कर सकते हैं दरअसल, असम राइफल्स ने उग्रवादी होने के संदेह में मनोरमा को पूछताछ के लिए उसके घर से उठाया था. अगले दिन क्षत-विक्षत हालत में उसका शव मिला था. उसको 16 गोलियां लगी थीं. आरोप लगा कि जवानों ने मनोरमा का रेप कर उसकी हत्या कर दी