New Delhi : बलिया जिले के मनियर में 25 जनवरी को आयोजित हुए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह के आयोजन पर विवाद उठ खड़ा हुआ है। इस कार्यक्रम में जहां कुछ महिलाओं को अपने पतियों की अनुपस्थिति में खुद अपने आप को वरमाला पहनते हुए दिखाया गया, वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसमें रामपुर, घाटमपुर, छितौनी आदि गांवों की उन महिलाओं को बुलाया गया था, जिनका विवाह पहले ही हो चुका था। यहां तक कि कुछ मुस्लिम महिलाओं को भी फेरे लगवाए गए थे। योजना के तहत आवंटित धनराशि अभी तक लाभार्थियों के खातों में नहीं पहुंची है। सीडीओ ओजस्वी राज ने इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसने गांवों में जाकर जांच प्रारंभ कर दी है। समाज कल्याण अधिकारी ने मनियर थाने में फर्जी लाभार्थियों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है।
समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित विवाह सहायता योजनाओं की भांति, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना भी धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की चपेट में आती जा रही है। सरकार ने इस वर्ष आवेदन प्रक्रिया से लेकर धनराशि के वितरण तक सभी प्रक्रियाओं को डिजिटलीकरण करने की पहल की है, फिर भी धांधली करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी के लिए 16,000 रुपये की राशि विभाग द्वारा खर्च की जाती है।
दुल्हन की बहन राजवंती देवी ने निराशा व्यक्त की कि भाषण में जो वादे किए गए थे, उनमें से कई वादे उन्हें पूरे नहीं किए गए। घोरावल ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय केवली मयदेवली में आयोजित 111 जोड़ों के विवाह/निकाह समारोह के उपरांत, विधायक प्रतिनिधि सुरेंद्र मौर्या द्वारा दिए गए भाषण में उल्लिखित उपहारों की सूची का उल्लेख करने पर, उपस्थित लाभार्थियों और उनके परिजनों में चर्चा शुरू हो गई। कुछ महिलाओं ने देखा कि उपहार में दी गई पायल और बिछिया वास्तव में स्टील और गिलट से बनी थीं, जो उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं थीं।
सांसद, विधायक प्रतिनिधि और ब्लॉक विकास अधिकारी रमेश कुमार यादव ने मौजूद महिलाओं को भरोसा दिलाया कि जिन सामानों की उन्हें कमी महसूस हो रही है, उन्हें शीघ्र ही प्रदान किया जाएगा। उन्हें चांदी की पायल और बिछिया देने का वादा किया गया, साथ ही इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की जाने की बात कही गई। सांसद ने मौके पर ही मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गंगवार से मोबाइल फोन पर संपर्क कर अपनी आपत्ति व्यक्त की और कार्रवाई की मांग की। इस पर, सीडीओ ने आश्वासन दिया कि संबंधित ठेकेदार के खिलाफ जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी।
इस योजना में प्रत्येक विवाहित जोड़े को 10,000 रुपये के उपहार और मेहमानों के भोजन व अन्य व्यवस्थाओं पर 6,000 रुपये खर्च किए जाते हैं। कन्या के खाते में 35,000 रुपये सीधे हस्तांतरित किए जाते हैं। 17 जनवरी को बेल्थरारोड में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में उपहारों के वितरण में अनियमितता के चलते विवाद उत्पन्न हो गया था। अब, मनियर में आयोजित एक अन्य समारोह में फर्जी जोड़ों को शामिल किए जाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कई महिलाओं के पति अनुपस्थित दिख रहे हैं। वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि कई महिलाएं एक पंक्ति में खड़ी होकर स्वयं अपने आप को वरमाला पहन रही हैं।
विवाह सहायता योजनाओं में भ्रष्टाचार के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। इसे अंजाम देने के लिए एक व्यवस्थित गिरोह काफी समय से सक्रिय है, जिसकी पहुँच ब्लॉक स्तर से लेकर विभागीय क्लर्कों तक होती है। पहले भी कई बार जाँच के दौरान फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, मगर कभी भी इसका पूर्ण निष्कर्ष नहीं निकल पाया क्योंकि इसमें उच्चाधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आने लगती है। लाभार्थियों की सूची को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता, जिससे गिरोह को संरक्षण मिलता रहता है। इसी प्रकार, यह गिरोह सामूहिक विवाह योजनाओं में भी लंबे समय से गड़बड़ी करता आ रहा है।