लोकसभा चुनावों में भाग लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने 400 से अधिक और कांग्रेस ने 200 से अधिक प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, परन्तु अभी तक उत्तर प्रदेश की 5 सीटों पर किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है।

Lok Sabha Elections 2024 : संसदीय चुनावों के दौरान अभी भी यह प्रश्न अनुत्तरित है कि उत्तर प्रदेश के अमेठी क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी से किसका मैदान में उतरना तय होगा। क्या राहुल गांधी इस क्षेत्र से पुनः चुनाव में हिस्सा लेंगे या पार्टी किसी अन्य प्रत्याशी को आगे बढ़ाएगी। इसी तरह का सवाल रायबरेली के लिए भी उठ रहा है कि क्या प्रियंका गांधी यहाँ से चुनावी मैदान में उतरेंगी या किसी अन्य को मौका दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सहयोग है, पर इन दोनों ही स्थानों के लिए प्रत्याशी के नाम पर अभी तक मोहर नहीं लगी है। इन सभी चर्चाओं के बीच रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ा एक वक्तव्य सामने आया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के जीवनसाथी, वाड्रा को पार्टी इस क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की योजना बना सकती है। रायबरेली और अमेठी, दोनों ही सीटें गांधी परिवार के लिए विशेष महत्व रखती हैं।

 

रॉबर्ट वाड्रा ने उल्लेख किया कि अमेठी की जनता काफी चिंतित है। निवासियों का मानना है कि उनसे एक भूल हो गई है। समाचार संस्था ANI के साथ एक वार्तालाप में रॉबर्ट वाड्रा ने बताया कि अमेठी के नागरिक उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वे यहां से चुनावी रण में उतरें। अमेठी के लोग चाहते हैं कि यदि रॉबर्ट राजनीति में अपना पहला कदम रखें तो वह अमेठी से ही हो। सांसद बनने की दिशा में सोचते समय उनका पहला विकल्प अमेठी होगा। वार्तालाप के दौरान, वाड्रा ने उस समय का स्मरण किया जब वे 1999 में प्रियंका गांधी के साथ अमेठी में प्रचार के लिए गए थे। वाड्रा ने मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी की दिशा में भी तंज कसा। चाहे कांग्रेस वाड्रा को किसी भी स्थान से टिकट दे या नहीं, अमेठी के संदर्भ में उनकी टिप्पणियों से उपजी बहस कांग्रेस के लिए दोहरे लाभ की स्थिति बना रही है। अब चर्चा राहुल गांधी से हटकर वाड्रा पर केंद्रित हो गई है, जिससे विपक्ष की उस रणनीति को धक्का लगेगा जो वायनाड में राहुल गांधी को घेरने का प्रयास कर रही थी। यह उत्तर प्रदेश में यह संदेश देगा कि गांधी परिवार अमेठी सीट से पीछे नहीं हट रहा है और गांधी परिवार का कोई सदस्य ही या फिर किसी निकट संबंधी को इस सीट से चुनाव में उतारा जाएगा।

रायबरेली से दीर्घकालीन सांसद के रूप में सेवा देने के पश्चात, सोनिया गांधी अब राज्यसभा की सदस्य बन चुकी हैं। उनके स्थानांतरण के उपरांत, कांग्रेस पार्टी के समक्ष ऐसे किसी प्रत्याशी की खोज है जो उनकी धरोहर को समृद्ध कर सके। इसी तरह, अमेठी में राहुल गांधी को अंतिम चुनावी मुकाबले में पराजय का सामना करना पड़ा था। इस परिस्थिति में, कांग्रेस के लिए इस निर्वाचन क्षेत्र में भी किसी नवीन प्रत्याशी की आवश्यकता है।

रायबरेली से पूर्व सांसद सोनिया गांधी ने अब लोकसभा के चुनावी अखाड़े में उतरने की इच्छा नहीं जताई है। उन्होंने राजस्थान से राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। भारतीय जनता पार्टी आमतौर पर 70 वर्ष से अधिक आयु के नेताओं को चुनावी टिकट प्रदान करने में संकोच करती है, और इसी क्रम में इलाहाबाद की सांसद रीता बहुगुणा जोशी भी 70 वर्ष की उम्र पार कर चुकी हैं। कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह, जो कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, विवादों में रहने के कारण चर्चा में रहे हैं। पिछले वर्ष भारत के प्रमुख पहलवानों ने उनके विरुद्ध व्यापक प्रदर्शन किया और उन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। बीजेपी इस विवादास्पद शख्सियत को फिर से टिकट देने से कतरा रही है। फूलपुर में केशव प्रसाद मौर्य ने 2019 में महत्वपूर्ण विजय हासिल की थी, लेकिन इस बार पार्टी किसी नई प्रतिभा को मौका दे सकती है। कौशांबी में, राजाभैया के प्रभाव के कारण, मौजूदा सांसद विनोद कुमार सोनकर का टिकट कट सकता है, और बीजेपी राजाभैया का समर्थन कर सकती है या उन्हें उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकती है।

सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा अपनी संबंधित सीटों को खाली करने के परिणामस्वरूप, कांग्रेस नए प्रत्याशियों के चयन में विचार-विमर्श कर रही है, जबकि बीजेपी भी इन निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अपने प्रत्याशी निर्धारित नहीं कर पा रही है। ये सीटें उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से कांग्रेस के अधीन रही हैं और अब बीजेपी यहां अपनी मजबूत स्थिति बनाने के लिए प्रयासरत है। अमेठी में भारतीय जनता पार्टी ने इस दिशा में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है, परंतु रायबरेली सहित अन्य क्षेत्रों में भी पार्टी योग्य प्रत्याशियों को चुनने का प्रयास कर रही है। साथ ही, दोनों पार्टियां अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रत्याशी की घोषणा के बाद अपनी रणनीति निर्धारित करने की संभावना रखती हैं। इसी कारण उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में विलंब हो रहा है।

कांग्रेस के राज्य नेता अजय राय ने स्पष्ट किया कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं। उनका कहना था कि पार्टी की इच्छा है कि जनता की भावनाओं के अनुसार राहुल गांधी यहाँ से चुनाव लड़ें। तथापि, पार्टी की उच्च स्तरीय कमेटी जिसे भी प्रत्याशी के रूप में चुनेगी, संपूर्ण संगठन उसका समर्थन करेगा। इस घोषणा के पश्चात राजनीतिक वृत्तों में इस पर विचार-विमर्श तेज हो गया है कि क्या वास्तव में रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने अब तक अमेठी के लिए अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। इस विषय पर कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष की प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है।

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