अमेठी लोकसभा क्षेत्र से इस बार प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी। इस बीच, राहुल गांधी अगले 24 घंटे में कोई बड़ा निर्णय लेने वाले हैं।

New Delhi : उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख सीटों, रायबरेली और अमेठी, पर अनिश्चितता कायम है। सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी इस लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगी; वे केवल प्रचार में सक्रिय रहेंगी। राहुल गांधी के अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने के निर्णय पर कल तक मुहर लग सकती है। पहले यह अटकलें थीं कि राहुल और प्रियंका इन दोनों सीटों से उम्मीदवार हो सकते हैं और उम्मीदवारी की घोषणा से पहले अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे। पहले की बातों में यह भी कहा गया था कि अमेठी और रायबरेली की यात्रा से पहले वे अयोध्या जा सकते हैं, जहां वे रामलला के दर्शन करेंगे।

2019 के चुनावों में राहुल गांधी को अमेठी से हारना पड़ा था, जहाँ उन्हें मोदी सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी ने पराजित किया था। हालांकि, उन्होंने केरल के वायनाड से जीत हासिल कर संसद में प्रवेश किया। अमेठी, जो कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है, में लोकसभा के अंतर्गत पाँच विधानसभा क्षेत्र हैं। 2022 के चुनाव में, समाजवादी पार्टी ने अमेठी और गौरीगंज से दो विधायक बनाए, जबकि सलोन सीट पर उन्हें बहुत कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने अमेठी में तीन विधायक बनाने में सफलता प्राप्त की थी।||

 BJP : अमित शाह ने मंगलवार को असम में एक समाचार सम्मेलन के दौरान बताया, “मैं नहीं जानता कि मीडिया जो प्रदर्शित कर रहा है वह सत्य है या नहीं। मैं यह भी नहीं जानता कि हम चुनाव लड़ेंगे या नहीं।”उन्होंने आगे कहा, “इस तरह का भ्रम दर्शाता है कि उनमें आत्मविश्वास की कमी है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, उन्होंने अपनी पारंपरिक सीटें छोड़ दी हैं, जिससे मैं नहीं समझता कि वे लड़ने का साहस कर पाएंगे।”अमेठी और रायबरेली सीट पर चुनावी नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तीन मई निर्धारित की गई है। अमेठी से बीजेपी की सांसद स्मृति ईरानी मैदान में हैं, जबकि रायबरेली से इस बार सोनिया गांधी चुनावी संग्राम में शामिल नहीं होंगी। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा अभी तक नहीं की है।

Indore : इंदौर सीट पर मतदान 13 मई को निर्धारित है, जबकि 25 अप्रैल को नामांकन भरने की समय सीमा समाप्त हो गई थी। इस स्थिति में, कांग्रेस के पास इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा है, “यह गंभीर समस्या है कि बिना वोट के भी कोई जन प्रतिनिधि बन सकता है। जीतू पटवारी ने पत्रकारों से कहा, “इंदौर के नागरिकों को विचार करना चाहिए कि हमारा लोकतंत्र किस तरह खतरे में है। हमें इस स्थिति से निपटने के लिए व्यापक योजना बनानी होगी। मेरे पत्रकार मित्र, आप यह तो आलोचना कर सकते हैं कि कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं है, परंतु यह भी सोचना चाहिए कि बिना वोट के जनप्रतिनिधि बनने से क्या होगा।

पिछले चुनाव में राहुल गांधी के पराजय के बाद, अब इस बार के चुनाव में कांग्रेस की चुप्पी कार्यकर्ताओं की चिंता बढ़ा रही है। नामांकन की अंतिम तारीख़ से चार दिन पहले भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पार्टी का प्रत्याशी कौन होगा। कार्यकर्ता भले ही तैयारी में जुटे हुए हैं, लेकिन पार्टी की खामोशी उनके संशय को और गहरा रही है।

एक रविवारीय विवाह समारोह में शिरकत करते हुए, जब कांग्रेस के एक नेता लोगों से मिल रहे थे, एक गांव के वरिष्ठ व्यक्ति ने पूछा, “भैया, इस बार आपकी पार्टी से कौन चुनाव में उतरेगा?” इस पर कांग्रेस नेता ने मुस्कुराते हुए उनकी पीठ थपथपाई और कहा, “दादा, जल्द ही आपको पता चलेगा।

तीन मई को अमेठी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के मीडिया संयोजक अरविंद चतुर्वेदी के अनुसार, पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है और जल्दी ही प्रत्याशी की घोषणा होगी। उसी दिन, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय के अमेठी आगमन की योजना है, जिसके लिए कार्यकर्ताओं को विशेष जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं।

अमेठी में प्रमुख सवाल यह है कि अगर राहुल गांधी नहीं हैं तो कौन होगा? पहले यह चर्चा थी कि राहुल वायनाड चुनाव के बाद अमेठी आ सकते हैं। चुनाव समाप्त हो चुका है, पर कांग्रेस की ओर से अभी भी मौन है।

इसी बीच, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खरगे की ओर से दिए गए सरप्राइज के संकेत कुछ और ही बयां कर रहे हैं। संभावना यह भी जताई जा रही है कि भाजपा से असंतुष्ट वरुण गांधी अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं और राहुल के लिए रायबरेली में प्रचार कर सकते हैं, हालांकि कांग्रेस ने इस तरह की चर्चाओं को सिरे से नकार दिया है।

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