सुप्रीम कोर्ट ने Manish Sisodia को किया रिहा
Manish Sisodia, जिन्होंने दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्हें हाल ही में कुछ विवादित मामलों में जमानत मिली है। उनकी जमानत की शर्तें काफी कठोर हैं, जिसमें 10 लाख रुपये का मुचलका और हफ्ते में दो दिन थाने में हाजिरी शामिल है। यह निर्णय अदालत द्वारा सुनाया गया, जिसमें उनके खिलाफ लगे आरोपों के तहत जांच प्रक्रिया के दौरान उन्हें नियमित रूप से पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
Manish Sisodia पर लगे आरोपों का विवरण अदालत के दस्तावेजों में विस्तार से बताया गया है। हालांकि, उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया है और खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उनका मानना है कि उनके खिलाफ किए गए आरोप उन्हें बदनाम करने और उनकी राजनीतिक छवि को धूमिल करने के लिए गढ़े गए हैं।
इस घटनाक्रम के मद्देनजर, दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल मची हुई है। विपक्षी पार्टियाँ इसे एक बड़े षड्यंत्र के रूप में देख रही हैं, जबकि समर्थक इसे मनीष सिसोदिया के खिलाफ अन्याय के रूप में व्याख्यायित कर रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि सिसोदिया ने हमेशा पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ काम किया है, और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
इस बीच, अदालत ने Manish Sisodia को कड़ी शर्तों पर जमानत देने का निर्णय लिया। अदालत का कहना है कि इन शर्तों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सिसोदिया जांच में सहयोग करें और किसी भी तरह के प्रमाण के साथ छेड़छाड़ न कर सकें। इसलिए, 10 लाख रुपये का मुचलका और हफ्ते में दो बार थाने में हाजिरी उनकी जमानत की प्रमुख शर्तें हैं।
जमानत की इन शर्तों का पालन करने के लिए
सिसोदिया को अपनी दैनिक गतिविधियों में बड़े परिवर्तन करने पड़ सकते हैं। यह उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, क्योंकि उन्हें अपने राजनीतिक करियर के साथ-साथ अपने कानूनी मामले पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।
अंततः, यह मामला न केवल Manish Sisodia के भविष्य पर प्रभाव डालेगा, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति और उनकी पार्टी की छवि पर भी असर डाल सकता है। इसलिए, इस मामले की जांच प्रक्रिया और अदालती कार्रवाई सभी की नजरों में रहेगी, और यह भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री Manish Sisodia को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सिसोदिया को सीबीआई और ईडी द्वारा दायर दोनों ही मामलों में यह जमानत दी गई है। उन्होंने तिहाड़ जेल में लगभग 17 महीने बिताए हैं, जो एक लंबी और कठिनाई भरी अवधि रही।
Manish Sisodia पर आरोप था कि उन्होंने दिल्ली में शराब वितरण नीति से संबंधित घोटाले में कथित रूप से भागीदारी की थी। इस घोटाले के चलते उन्हें फरवरी 2023 में गिरफ्तार किया गया था, और उन पर वित्तीय अनियमितताओं और दुराचार के गंभीर आरोप लगे थे।
Supreme Court के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की और उन्हें जमानत देने का निर्णय लिया। अदालत ने माना कि मुकदमे में देरी और 400 से अधिक गवाहों की उपस्थिति में ट्रायल समय पर समाप्त होने की संभावना कम है। इसलिए, 17 महीने की लंबी हिरासत के बाद उन्हें जमानत देना उचित समझा गया।
जमानत की शर्तों में, सिसोदिया को 10 लाख रुपये का मुचलका भरना होगा, उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और हर सोमवार और गुरुवार को स्थानीय थाने में हाजिरी लगानी होगी। यह सुनिश्चित किया गया है कि वह जांच में सहयोग करें और किसी भी गवाह को प्रभावित या डराने की कोशिश न करें।
Manish Sisodia की जमानत न केवल उनके लिए राहत की बात है बल्कि उनके समर्थकों और पार्टी के लिए भी एक मोर्चे पर विजय की तरह है। यह निर्णय दिल्ली की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, जहां आम आदमी पार्टी काफी समय से उनकी रिहाई की मांग कर रही थी।
ये भी देखें: