Paris Olympics Neeraj Chopra,
नीरज चोपड़ा, जिन्होंने 2021 टोक्यो ओलंपिक्स में भाला फेंक कर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था, अब Paris Olympics में भी अपने खिताब को बरकरार रखने की ओर अग्रसर हैं। अगर वे इस बार भी स्वर्ण पदक जीत जाते हैं, तो वे ओलंपिक के इतिहास में खिताब बरकरार रखने वाले पांचवें खिलाड़ी हो जाएंगे और ओलंपिक व्यक्तिगत वर्ग में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी बन जाएंगे।|
नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले में हुआ था। वे बचपन से ही खेलों के प्रति उत्साही रहे हैं और भाला फेंक में उनकी रुचि का आरंभ उनके किशोर वर्षों में हुआ। उन्होंने जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा साबित की और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी अपना दबदबा बनाया।
2021 टोक्यो ओलंपिक्स में उन्होंने 87.58 मीटर की थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था, जिसने न केवल उन्हें विश्व स्तर पर एक स्टार बना दिया बल्कि भारत में भाला फेंक के खेल को नई पहचान दी। उनकी इस उपलब्धि ने भारत में खेलों के प्रति एक नई जागरूकता और उत्साह जगाया।
Paris Olympics में, नीरज चोपड़ा के सामने चुनौती और भी बड़ी है। वह न केवल अपने खिताब की रक्षा करना चाहते हैं बल्कि इतिहास में अपना नाम उन विशिष्ट खिलाड़ियों के साथ दर्ज कराना चाहते हैं जिन्होंने ओलंपिक में लगातार दो स्वर्ण पदक जीते हैं। इसके अलावा, वे भारतीय खेलों के इतिहास में एक नई इबारत लिखने के कगार पर हैं।
उनकी इस उपलब्धि का भारतीय खेलों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। एक ओर जहाँ यह भारतीय युवाओं को खेल के प्रति और अधिक समर्पित होने की प्रेरणा देगा, वहीं इससे भारत में खेल संस्कृति को भी मजबूती मिलेगी। नीरज चोपड़ा की सफलता से भारतीय खेल प्राधिकरण और सरकार को खेलों के विकास और खिलाड़ियों के समर्थन में नए आयामों की ओर अग्रसर होने का मार्गदर्शन मिलेगा।
अगर नीरज चोपड़ा पेरिस ओलंपिक्स में स्वर्ण जीतते हैं, तो यह न केवल उनके व्यक्तिगत करियर की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी बल्कि भारतीय खेल इतिहास में भी एक सुनहरा अध्याय जोड़ देगा। इससे उनकी विरासत को और भी मजबूती मिलेगी और विश्व स्तर पर भारत के खेल उपलब्धियों की नई पहचान स्थापित होगी।
नीरज चोपड़ा, भारतीय भाला फेंक के सितारे, एक बार फिर ओलंपिक में इतिहास रचने की ओर अग्रसर हैं। पेरिस 2024 में, वह न केवल अपने पिछले ओलंपिक स्वर्ण का बचाव कर रहे हैं बल्कि ओलंपिक इतिहास में दो बार स्वर्ण जीतने वाले पांचवें एथलीट बनने की दिशा में भी बढ़ रहे हैं। नीरज की यह यात्रा आसान नहीं रही है, विशेषकर जब से वह इस सीजन में अपने एडक्टर मांसपेशी में परेशानी का सामना कर रहे हैं।
इस साल, नीरज ने केवल तीन प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। दोहा डायमंड लीग में उन्होंने 88.36 मीटर का शानदार थ्रो फेंका, लेकिन एडक्टर की असहजता के कारण उन्होंने ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक में भाग नहीं लिया। हालांकि, उन्होंने फिनलैंड में पावो नुरमी खेलों में 85.97 मीटर का थ्रो फेंककर वापसी की और स्वर्ण पदक जीता। जुलाई में पेरिस डायमंड लीग में उन्होंने भाग नहीं लिया, लेकिन उनके कोच ने पुष्टि की कि नीरज अब पूरी तरह से फिट हैं और कठिन अभ्यास में लगे हुए हैं।
इस ओलंपिक में उनकी प्रतिस्पर्धा तीव्र होगी, जिसमें टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता याकूब वालेश, जर्मनी के जूलियन वेबर, और पूर्व विश्व चैम्पियन एंडरसन पीटर्स शामिल हैं। इसके अलावा, भारत के किशोर जेना भी रेस में हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष एशियाई खेलों में 87.54 मीटर का थ्रो फेंका था। इस तरह, नीरज चोपड़ा के लिए पेरिस ओलंपिक्स में अपने स्वर्ण को बरकरार रखने की चुनौती केवल तकनीकी नहीं बल्कि मानसिक और शारीरिक भी होगी।