Mamata Banerjee: ममता बनर्जी का कड़ा विरोध, 2022 बंगाल SIR डेटा विवाद

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Mamata Banerjee: और चुनावी रजिस्ट्रेशन पर विवाद: बिहार और बंगाल में SIR पर बहस

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री Mamata Banerjee ने हाल ही में इस बात का कड़ा विरोध किया कि राज्य में विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का कार्यवाही शुरू की जा रही है। यह विवाद मुख्य रूप से बिहार में चुनावी रजिस्टर को संशोधित करने के कारण उत्पन्न हुआ था, जिसके तहत राज्य सरकार ने इस प्रक्रिया में तेजी दिखाई। Mamata Banerjee का कहना था कि वह बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया को लागू होने नहीं देंगी। इस खबर के साथ, यह भी उल्लेखनीय है कि यह प्रक्रिया कैसे बिहार में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है और इसके परिणामस्वरूप क्या कदम उठाए गए हैं।

SIR और चुनावी रजिस्ट्रेशन का महत्व

SIR या विशेष इंटेंसिव रिवीजन एक चुनावी प्रक्रिया है, जिसके तहत चुनावी रजिस्टर को अपडेट किया जाता है और नए नामों को इसमें जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, पुराने और मृत व्यक्तियों के नाम हटाए जाते हैं, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि केवल योग्य मतदाता ही चुनाव में भाग ले सकें। यह प्रक्रिया खासतौर पर चुनावों से पहले की जाती है, ताकि सभी मतदाता सही रूप से रजिस्टर किए गए हों और किसी भी तरह की धोखाधड़ी या गलत रजिस्ट्रेशन से बचा जा सके।

बिहार में SIR का विवाद

बिहार में SIR के चल रहे कार्यवाही ने कई तरह की चिंताओं को जन्म दिया है। कई विपक्षी पार्टियों ने इस प्रक्रिया की आलोचना की है और आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया खासतौर पर गरीब, पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के खिलाफ हो सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस प्रक्रिया के तहत दस्तावेजों की जांच की जाती है और यदि किसी व्यक्ति के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं होते हैं, तो उनका नाम चुनावी रजिस्टर से हटा दिया जाता है। इससे यह हो सकता है कि कई लोगों को उनका मतदान का अधिकार छिन जाए।

Mamata Banerjee ने इस प्रक्रिया को “राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)” के समान बताते हुए इसे अलोकतांत्रिक और असंविधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रक्रिया को बिहार में लागू किया जा रहा है, तो इसे बंगाल में किसी भी हालत में लागू नहीं होने दिया जाएगा।

Mamata Banerjee का कड़ा विरोध

Mamata Banerjee ने 21 जुलाई को यह स्पष्ट किया कि वह बंगाल में इस तरह की किसी भी प्रक्रिया को लागू होने नहीं देंगी। उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार के पास प्रशासनिक अधिकार है, और चुनावी प्रक्रिया केवल तब शुरू होती है जब चुनाव की तिथि घोषित होती है। इसके पहले, राज्य सरकार के कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी मतदाता का नाम बेवजह चुनावी रजिस्टर से न हटाया जाए और उन्हें किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।”

इसके अलावा, उन्होंने राज्य के बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) को यह निर्देश दिए कि वह मतदाता सूची से किसी भी व्यक्ति का नाम न हटने दें और चुनावी रजिस्ट्रेशन में किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए सतर्क रहें। ममता ने कहा, “राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, और उन्हें केवल राज्य के हित में कार्य करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को परेशान करने की जरूरत नहीं है। ”

आलोचना और कानूनी कदम

ममता के विरोध के बावजूद, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। सुवेंदु अधिकारी, भाजपा के नेता, ने आरोप लगाया कि बिहार में बांग्लादेश से सटे जिलों में अचानक मतदाता रजिस्ट्रेशन की संख्या में वृद्धि हुई है। अधिकारी ने यह भी कहा कि राज्य प्रशासन ने जिलास्तरीय अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे डोमिसाइल प्रमाण पत्र जारी करें, और यह 25 जुलाई 2025 के बाद जारी किए गए प्रमाण पत्रों को एसआईआर के तहत स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

महुआ मोइत्रा और अन्य की याचिका

तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में बिहार के एसआईआर के खिलाफ याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया NRC की तरह हो सकती है, और इससे लाखों लोगों को उनका वोटिंग अधिकार खो सकता है। मोइत्रा ने कहा कि यह प्रक्रिया एक “draconian manner” में की जा रही है, जो असंविधानिक है और इससे गरीब, दलित, मुस्लिम और प्रवासी समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि ईसीआई ने 11 दस्तावेजों की एक सूची तैयार की है, जिन्हें मतदाता अपनी नागरिकता साबित करने के लिए प्रस्तुत करें। इस सूची में आधार कार्ड, ईसीआई फोटो पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज शामिल नहीं हैं, जो आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।

बंगाल में SIR का भविष्य

बंगाल में SIR को लेकर Mamata Banerjee के विरोध को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि क्या बंगाल में इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा। Mamata Banerjee ने साफ कर दिया है कि बंगाल में इस प्रक्रिया को लागू करने का कोई सवाल नहीं है। इसके बजाय, उन्होंने राज्य सरकार के कर्मचारियों से चुनावी रजिस्टर को सही तरीके से बनाए रखने की अपील की है, ताकि किसी भी मतदाता का नाम बिना किसी कारण के न हटाया जाए।

निष्कर्ष

Mamata Banerjee का विरोध इस बात का प्रतीक है कि राज्य सरकारों को अपनी अधिकारिता का पालन करना चाहिए और जनता के अधिकारों का संरक्षण करना चाहिए। जबकि बिहार में एसआईआर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है, बंगाल ने स्पष्ट किया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा। ममता ने यह सुनिश्चित किया है कि बंगाल में नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न हो और सभी का वोट देने का अधिकार बरकरार रहे।

यह मामला इस बात को भी रेखांकित करता है कि चुनावी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति किसी तकनीकी कारण या दस्तावेजों की कमी के कारण अपने लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित न हो।

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