PoK में बिना कदम रखे, तबाह होंगे आतंक के ठिकाने… जानिए क्यों ‘हंटर-किलर’ कहलाता है Predator Drone

American Predator Drone

Predator Drone:
 Indian Predator Drone

पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में बिना भौतिक उपस्थिति के ही आतंक के अड्डों को नष्ट करने की नई तकनीकी क्षमता भारतीय सेना को प्राप्त हुई है, जिसे Predator Drone कहा जाता है। इसे उसकी शानदार हमलावर और जासूसी क्षमताओं के कारण ‘हंटर-किलर’ भी कहा जाता है। यह ड्रोन न केवल उच्च क्षमता वाला जासूसी उपकरण है, बल्कि यह अत्यंत सटीकता से लक्ष्यों पर हमला करने में भी सक्षम है।

Predator Drone की तकनीकी विशेषताएँ
Predator Drone

Predator Drone MQ-9 Reaper का एक उन्नत संस्करण है, जिसकी विशेषताएं इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाती हैं:

  • रेंज: इस ड्रोन की उड़ान की सीमा 1900 किलोमीटर है, जिससे यह बिना किसी रिस्क के दुश्मन की सीमा में गहराई तक पहुँच सकता है।
  • हथियारों की क्षमता: प्रेडेटर ड्रोन 1700 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकता है, जिसमें स्मार्ट बम और मिसाइलें शामिल हैं। यह उच्च-सटीकता वाले हथियारों को दुश्मन के ठिकानों पर प्रहार करने के लिए उपयोग कर सकता है।
  • नियंत्रण और ऑपरेशन: इस ड्रोन को दो कंप्यूटर ऑपरेटर ग्राउंड स्टेशन से वीडियो गेम की तरह चलाते हैं, जो इसे अत्यंत संवेदनशील और जटिल ऑपरेशंस के लिए उपयुक्त बनाता है।

डिजाइन और आयाम

Predator Drone का आयाम और डिजाइन इसके कार्यक्षमता को बढ़ाता है:

  • लंबाई: 36.1 फीट
  • विंगस्पैन: 65.7 फीट
  • ऊंचाई: 12.6 फीट
  • खाली वजन: 2223 Kg

सामरिक महत्व और उपयोगिता

Predator Drone की उपयोगिता केवल सैन्य कार्रवाइयों तक सीमित नहीं है। इसकी उन्नत जासूसी क्षमताओं के कारण, यह निगरानी, टोही, और सूचना संग्रहण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह ड्रोन सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों और उनके ठिकानों का पता लगा सकता है और उन पर प्रहार कर सकता है, जिससे सीमा पार के आतंकी ठिकानों को नष्ट किया जा सकता है।

इसकी उच्च तकनीकी क्षमता और विशाल हथियार वहन क्षमता इसे अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर नजर रखने और सुरक्षा कार्रवाइयों के लिए आदर्श बनाती है। Predator Drone की ये विशेषताएं भारत को नई सैन्य और रणनीतिक क्षमता प्रदान करती हैं, जिससे देश की सुरक्षा और सामर्थ्य में वृद्धि होती है।

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एंटी ड्रोन तकनीक क्या है?

भारतीय सीमा की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने के लिए, पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन हमलों की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर, भारत सरकार ने सीमा पर एंटी ड्रोन तकनीकों को तैनात करने का निर्णय लिया है। यह कदम उठाना आवश्यक हो गया है क्योंकि हाल के वर्षों में पाकिस्तान से नियंत्रण रेखा के पार से अनधिकृत ड्रोन गतिविधियां बढ़ी हैं, जो भारतीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा प्रस्तुत करती हैं।

एंटी ड्रोन तकनीक उन उपकरणों और सिस्टमों का समूह है जो दुश्मन के ड्रोन्स को पहचानने, ट्रैक करने, और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम होते हैं। इस तकनीक में रडार सिस्टम, लेजर वेपन्स, जैमिंग उपकरण, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं जो दुश्मन के ड्रोन्स को या तो भटका सकते हैं, उन्हें नुकसान पहुँचा सकते हैं या पूरी तरह से उन्हें नष्ट कर सकते हैं।

सीमा पर तैनाती का महत्व

इस तकनीक की तैनाती से भारतीय सुरक्षा बलों को निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • बढ़ी हुई सुरक्षा: सीमा पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने से दुश्मन के ड्रोन्स के खिलाफ एक मजबूत रक्षात्मक पंक्ति स्थापित होगी, जिससे अनधिकृत निगरानी और हमलों की संभावना कम होगी।
  • प्रौद्योगिकीय उन्नति: एंटी ड्रोन तकनीक का उपयोग करने से भारत की प्रौद्योगिकीय क्षमता में वृद्धि होगी, और यह आधुनिक युद्ध के तौर-तरीकों के अनुरूप होगा।
  • निवारक प्रभाव: एंटी ड्रोन सिस्टम की उपस्थिति से दुश्मन को यह संदेश जाएगा कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए गंभीर है और किसी भी प्रकार के उल्लंघन का प्रभावी ढंग से सामना करने में सक्षम है।

आगे की योजना

भारतीय सरकार और सुरक्षा बल नियमित रूप से इन तकनीकों का आकलन कर रहे हैं और नई तकनीकी विकासों के अनुसार उन्हें अपडेट कर रहे हैं। इसके अलावा, सीमा पर तैनात सैनिकों को इन नई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे इन्हें और अधिक प्रभावी ढंग से संचालित कर सकें

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