High Court of Karnataka ने बिना सूचना नकारात्मक अंकन रद्द किया

High Court of Karnataka

कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court of Karnataka) ने किया महत्वपूर्ण फैसला: नकारात्मक अंकन के बिना पुन: परीक्षा आदेशित

कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court of Karnataka) ने कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (KPCL) और कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (KEA) द्वारा फरवरी 2024 में आयोजित भर्ती परीक्षा के लिए प्रकाशित अस्थायी और अंतिम स्कोर सूची को रद्द करते हुए सभी उम्मीदवारों के लिए पुनः परीक्षा कराने का निर्देश दिया है। यह पुनः परीक्षा इस शर्त के साथ होगी कि यदि नकारात्मक अंकन लागू किया जाना है, तो उसकी जानकारी उम्मीदवारों को परीक्षा से पहले स्पष्ट रूप से दी जाएगी।

मामला और विवाद

कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अगस्त 2017 में विभिन्न तकनीकी पदों के लिए भर्ती नोटिफिकेशन जारी किया था। जनवरी 2018 में आयोजित परीक्षा बाद में रद्द कर दी गई और फरवरी 2024 में पुनः परीक्षा आयोजित की गई। पहले आयोजित परीक्षा में नकारात्मक अंकन की सूचना उम्मीदवारों को दी गई थी, लेकिन फरवरी 2024 में आयोजित परीक्षा के प्रवेश पत्र और प्रश्न पत्र में नकारात्मक अंकन का कोई उल्लेख नहीं था। इसके बावजूद, मई और जून 2024 में जारी स्कोर लिस्ट में नकारात्मक अंकन को लागू किया गया। यह निर्णय कई उम्मीदवारों ने अदालत में चुनौती दी।

कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court of Karnataka) का तर्क

मुख्य न्यायाधीश एन.वी. अंजरिया और न्यायमूर्ति के.वी. अरविंद की डिविजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और स्पष्ट किया कि बिना पूर्व सूचना के नकारात्मक अंकन का बाद में लागू करना “खेल के नियमों में बदलाव” के समान है, जो कानूनन स्वीकार्य नहीं है। न्यायालय ने कहा:

“नकारात्मक अंकन की शर्त परीक्षा से पहले घोषित की जानी चाहिए थी। परीक्षा पूरी होने के बाद इसकी अपेक्षा उम्मीदवारों से करना अनुचित है क्योंकि इससे उनके अधिकारों को नुकसान पहुंचता है।”

न्यायालय ने यह भी कहा कि परीक्षा का स्वरूप और नियम पहले से स्पष्ट होना चाहिए, ताकि उम्मीदवार अपनी तैयारी और उत्तर देने की रणनीति उसी के अनुसार बना सकें।

High Court of Karnataka: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी उल्लेख किया, जिनमें यह सिद्धांत स्थापित किया गया है कि चयन प्रक्रिया के नियम भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद बदलना अनुचित है, जब तक कि नियमों में बदलाव के लिए पूर्व अनुमति न हो। विशेष रूप से, असम लोक सेवा आयोग बनाम प्रांजल कुमार सरमा (2020) और हेमंत कृष्णा मौर्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2020) के मामलों को उद्धृत किया गया।

उम्मीदवारों के अधिकारों की सुरक्षा

न्यायालय ने यह माना कि नकारात्मक अंकन का प्रभाव उम्मीदवारों के उत्तर देने के तरीके पर पड़ता है और इससे उनके अंकों की गणना भी प्रभावित होती है। इसलिए, इसे लागू करने के लिए स्पष्ट सूचना देना अनिवार्य है। नकारात्मक अंकन की घोषणा परीक्षा के बाद की गई, जो नीतिगत और विधिक दृष्टि से गलत है।

पुनः परीक्षा के आदेश

कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court of Karnataka) ने KPCL और KEA को निर्देश दिया कि वे परीक्षा में शामिल सभी उम्मीदवारों के लिए जल्द से जल्द पुनः परीक्षा आयोजित करें। इस पुनः परीक्षा में नकारात्मक अंकन को लागू करने की योजना है तो इसकी सूचना सभी उम्मीदवारों को परीक्षा से पूर्व देना आवश्यक होगा।

मुख्य बिंदु

  • 2018 की परीक्षा में नकारात्मक अंकन की सूचना थी, लेकिन 2024 की परीक्षा में नहीं थी।

  • नकारात्मक अंकन का बाद में लागू होना नियमों में बदलाव माना गया।

  • नियमों में बदलाव परीक्षा पूरी होने के बाद अस्वीकार्य है।

  • पुनः परीक्षा आयोजित करने का आदेश।

  • नकारात्मक अंकन हो तो उसकी सूचना पहले देना अनिवार्य।

High Court of Karnataka: न्यायालय ने क्यों ठुकराई KPCL की दलीलें?

KPCL ने दावा किया कि नकारात्मक अंकन सभी उम्मीदवारों पर समान रूप से लागू हुआ है और इसका उद्देश्य गलत जवाब देने वालों को रोकना था। साथ ही, उन्होंने कहा कि यह अभ्यास पहले भी होता रहा है। लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court of Karnataka) ने कहा कि यह नियम तभी लागू होगा जब उम्मीदवारों को पहले से इसकी सूचना दी गई हो। उम्मीदवारों को अनजान अवस्था में नकारात्मक अंकन लागू करना उचित नहीं।


निष्कर्ष

इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court of Karnataka) ने स्पष्ट कर दिया कि परीक्षा की नियमावली में महत्वपूर्ण बदलाव जैसे कि नकारात्मक अंकन, परीक्षा से पहले ही घोषित होना चाहिए। परीक्षा समाप्ति के बाद ऐसा बदलाव उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि परीक्षा में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित की जाए, जिसमें नियम स्पष्ट और पारदर्शी हों। इस फैसले से आने वाले समय में भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया और नियमों के पालन में सख्ती आएगी और उम्मीदवारों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा होगी।

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