Chhath Puja 2024: आज डूबते सूर्य को अर्घ्य का शुभ समय व पूजा विधि

Chhath Puja 2024

Chhath Puja 2024: का विशेष महत्व

Chhath Puja 2024 सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व सूर्य देव और छठी माता की पूजा का प्रतीक है, जो चार दिनों तक चलता है। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से हुई, और 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य के साथ इसका तीसरा दिन मनाया गया। छठ पूजा को करने से छठी माता की कृपा और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।

कठोर व्रत और उपवास

Chhath Puja का व्रत कठोरता और अनुशासन का प्रतीक है। व्रती महिलाएं 36 घंटे तक बिना पानी पिए उपवास रखती हैं, जो संतान की लंबी आयु और परिवार के सुख-शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत इतना कठिन होता है कि इसे संतान प्राप्ति के लिए सबसे प्रभावशाली व्रतों में से एक माना जाता है।

Chhath Puja 2024 का इतिहास

Chhath Puja 2024 का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और पांडवों की माता कुंती ने भी इस व्रत को किया था। सूर्य देव की बहन मानी जाने वाली छठी माता को प्रसन्न करने के लिए यह पूजा की जाती है। छठ पर्व में नदी, तालाब या घाट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जो इसे अन्य पर्वों से विशिष्ट बनाता है।

तीसरे दिन की संध्या अर्घ्य पूजा विधि

7 नवंबर को छठ पूजा के तीसरे दिन, संध्या अर्घ्य के लिए महिलाएं नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है। दिल्ली में सूर्यास्त का समय शाम 5:32 बजे था, जबकि देशभर के विभिन्न हिस्सों में यह समय थोड़ा अलग होता है। व्रतधारी महिलाएं संध्या अर्घ्य के बाद भी रात्रि में उपवास रखती हैं और अगली सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं।

उषा अर्घ्य का महत्व

Chhath Puja 2024 के चौथे दिन, जो 8 नवंबर को है, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। इसे उषा अर्घ्य कहा जाता है, और इसे देने का समय सुबह 6:38 बजे का है। इस अंतिम अर्घ्य के बाद व्रतधारी महिलाएं अपना उपवास तोड़ती हैं। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करने से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है।

छठ माता का आशीर्वाद

छठी माता को संतान और सुख-समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि छठी माता संतान को दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुखी जीवन का आशीर्वाद देती हैं। यही कारण है कि हर साल इस व्रत को इतनी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है। छठी माता की पूजा से संतान और परिवार की समृद्धि में वृद्धि होती है।

Chhath Puja 2024 के मंत्र और स्तोत्र

Chhath Puja 2024 के दौरान सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों और स्तोत्रों का जाप किया जाता है। इनमें “श्रीसूर्यध्यानम्” और “श्री सूर्यप्रणाम” प्रमुख हैं। यह मंत्र और स्तोत्र भगवान सूर्य की शक्ति और आशीर्वाद की महिमा का वर्णन करते हैं और इनका पाठ करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं।

छठ पूजा का समापन और व्रत का पारण

सूर्य को उगते हुए अर्घ्य देने के बाद, व्रत का पारण किया जाता है। व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करके अपना व्रत समाप्त करती हैं। यह प्रसाद घर के सभी सदस्यों के बीच बाँटा जाता है, जिससे सभी को छठी माता और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है। इस पर्व के बाद, भक्तजन छठ माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अगले साल के छठ पर्व का इंतजार करते हैं।

छठ पूजा: श्रद्धा और सामूहिकता का पर्व

Chhath Puja 2024 का सबसे खास पहलू यह है कि यह पर्व व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामूहिक होता है। इसमें परिवार के सभी सदस्य और समुदाय के लोग एकत्रित होकर सूर्य देव और छठी माता की पूजा करते हैं। इससे न केवल धार्मिक आस्था का विकास होता है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना भी प्रबल होती है।

Chhath Puja 2024 सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामूहिक आस्था और परंपरा का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि कैसे कठिनाईयों और तपस्या के बाद जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति हो सकती है।

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