Angola राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको की भारत यात्रा: भारत-अंगोला संबंधों में मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
भारत के विदेश मंत्री S. जयशंकर ने शनिवार को अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको से मुलाकात की, जो भारत की अपनी राजकीय यात्रा पर आए थे। यह मुलाकात भारत और अंगोला के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बैठक को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अंगोला के राष्ट्रपति के बीच होने वाली बातचीत को भी केंद्रित किया।
भारत-Angola संबंधों की मजबूती
विदेश मंत्री S. जयशंकर ने अपनी मुलाकात के बारे में X पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको से उनकी भारत यात्रा के दौरान मिलकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। भारत के प्रति उनके स्नेह और हमारे साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उनके मार्गदर्शन की सराहना करता हूं। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी आज की बातचीत भारत-अंगोला और भारत-अफ्रीका संबंधों के लिए नए रास्ते खोलने में मदद करेगी।”
Angola के राष्ट्रपति का स्वागत
Angola के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको का शनिवार को राष्ट्रपति भवन के बाहरी क्षेत्र में स्वागत किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री S. जयशंकर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। अंगोला के राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई और गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया, जो उनके स्वागत का हिस्सा था।
महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
Angola के राष्ट्रपति ने राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी के सम्मान में विज़िटर बुक में भी हस्ताक्षर किए। इस दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयस्वाल ने X पर एक पोस्ट के माध्यम से इस यात्रा के महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “महात्मा गांधी के आदर्शों को याद करते हुए, अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।”
Angola की भारत यात्रा और द्विपक्षीय समझौते
अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको ने अपने भारत यात्रा के दौरान एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत का दौरा किया। उनकी यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण MoUs पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिनमें पारंपरिक चिकित्सा, कृषि और सांस्कृतिक सहयोग शामिल हैं। इससे भारत और अंगोला के बीच संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
भारत-अंगोला के रिश्तों का इतिहास
भारत और Angola के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध 1985 में स्थापित हुए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बने हैं। इस वर्ष भारत और अंगोला के बीच कूटनीतिक संबंधों की 40वीं वर्षगांठ मानी जा रही है। अंगोला 2025 में अफ्रीकी संघ का अध्यक्ष भी है, जो इसके वैश्विक प्रभाव को और बढ़ाता है।
2015 में अंगोला के उपराष्ट्रपति मैनुअल विकेंटे ने भारत का दौरा किया था और भारत-अफ्रीका समिट में हिस्सा लिया था। इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। इसके बाद 2018 में जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको ने ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी।
Angola का वैश्विक महत्व
Angola अफ्रीकी संघ का अध्यक्ष होने के नाते, 2025 में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। S. जयशंकर और अंगोला के विदेश मंत्री Tete Antonio ने 18 जनवरी 2024 को कंपाला में NAM (नॉट एलाइन्ड मूवमेंट) मंत्रीस्तरीय बैठक के दौरान मुलाकात की थी।
निष्कर्ष
अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकॉल्वेस लोरेंको का भारत दौरा दोनों देशों के बीच मजबूत और विकसित हो रहे द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक है। उनकी यात्रा से भारत-Angola और भारत-अफ्रीका के रिश्तों में न केवल व्यापारिक बल्कि सांस्कृतिक और कूटनीतिक दृष्टि से भी प्रगति होगी। अंगोला और भारत के रिश्तों में और अधिक सहयोग की संभावना है, जो आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच सकारात्मक बदलाव लाएगा।
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