अमेरिकी डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट रिचर्ड वर्मा (Richard Verma) का बयान उस वक्त सामने आया जब भारत सरकार ने ईरानी सर्वोच्च नेता की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। ईरान के सर्वोच्च नेता ने एक बयान में भारत, गाजा और म्यांमार को उन जगहों में शामिल किया था, जहां मुसलमानों को कथित रूप से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इस बयान के कुछ घंटों बाद, Richard Verma ने वॉशिंगटन के हडसन इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम के दौरान भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर अमेरिका की चिंताओं को व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले, भारतीय विदेश मंत्रालय ने 17 सितंबर को घोषणा की कि प्रधानमंत्री मोदी 21 सितंबर से शुरू होने वाली चार दिवसीय यात्रा पर अमेरिका जाएंगे। इस यात्रा के दौरान वह क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य का शिखर सम्मेलन’ (UN Summit of the Future) में भाषण देंगे। इस यात्रा के मद्देनजर Richard Verma का बयान और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह भारत-अमेरिका संबंधों में संवेदनशील मुद्दों को उजागर करता है।
Richard Verma की टिप्पणियाँ
कार्यक्रम में Richard Verma से पूछा गया कि क्या अमेरिकी राजनयिकों को भारत में मुसलमानों के साथ हो रहे व्यवहार पर अपनी चिंताओं को दबाना पड़ता है। वर्मा ने इस सवाल का जवाब देते हुए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के जनवरी 2015 के भाषण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “ओबामा ने अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकी के रूप में जिन चुनौतियों का सामना किया, उनका वर्णन किया और हमारे देश में मौजूद विभाजनों के बारे में बात की। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका अब भी एक बेहतर समाज बनने की यात्रा पर है।”
वर्मा ने स्पष्ट किया कि जब अमेरिका और भारत के बीच इस तरह की बातचीत होती है, तो यह आरोप लगाने या उंगली उठाने के लिए नहीं होती। यह बातचीत दोनों देशों द्वारा समावेशी, समान और लोकतांत्रिक प्रणालियों के प्रति की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के उद्देश्य से होती है। उन्होंने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और अच्छे दोस्त और साझेदार इस तरह के विषयों पर चर्चा करते हैं।”
अमेरिका-भारत संबंधों में अल्पसंख्यक मुद्दा
Richard Verma ने यह भी कहा कि अमेरिका अल्पसंख्यकों के मुद्दे को लगातार उठाता रहेगा, और उसी तरह भारत भी उन चिंताओं को उठाता रहेगा जो उसके नागरिकों के साथ अन्य देशों में होती हैं। वर्मा ने यह भी कहा कि यह द्विपक्षीय संवाद का एक हिस्सा है, जैसा कि अन्य किसी भी मुद्दे पर होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच यह चर्चा महत्वपूर्ण है और इसे अन्य प्रमुख मुद्दों की तरह माना जाता है।
ईरानी नेता की टिप्पणी पर भारत की प्रतिक्रिया
Richard Verma की टिप्पणियां तब आईं जब भारतीय सरकार ने ईरानी सर्वोच्च नेता की टिप्पणी की कड़ी आलोचना की। ईरानी नेता ने अपने बयान में भारत को गाजा और म्यांमार के साथ उन जगहों में शामिल किया था, जहां मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे “अस्वीकार्य” बताते हुए कहा कि ईरान को भी अपने देश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर आत्म-चिंतन करना चाहिए। इस कड़ी प्रतिक्रिया ने भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से उजागर किया, जिसमें भारत ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया।
भारत-अमेरिका संबंधों में चुनौतियाँ
भारत और अमेरिका के बीच अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार का मुद्दा हमेशा से ही एक संवेदनशील बिंदु रहा है। अमेरिका ने कई बार भारत में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। हालांकि, भारत इसे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखता रहा है।Richard Verma ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि यह बातचीत दोनों देशों के बीच सामान्य द्विपक्षीय संवाद का हिस्सा होती है। यह बातचीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देश विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों में शामिल हैं और उनके संबंध वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के प्रमुख बिंदु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। मोदी इस यात्रा के दौरान क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे महत्वपूर्ण साझेदार शामिल होंगे। इसके साथ ही वह संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य का शिखर सम्मेलन’ में भी भाग लेंगे, जहां वह वैश्विक चुनौतियों और भारत की भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस यात्रा के दौरान अल्पसंख्यक मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है, क्योंकि यह दोनों देशों के लिए एक संवेदनशील विषय है।
निष्कर्ष
Richard Verma के बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका और भारत के बीच अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर लगातार बातचीत होती रही है। हालांकि, यह बातचीत आरोप-प्रत्यारोप से परे होती है और दोनों देशों के लोकतांत्रिक मूल्यों और समावेशी समाजों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारत ने ईरानी नेता की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर और भी चर्चा होने की संभावना है, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा और स्पष्ट होगी।
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