दुबई में मौत का संकट जलवायु परिवर्तन का भयानक चेहरा, वैज्ञानिकों ने दी तूफानों की चेतावनी

Dubai  Weather News : हालिया दिनों में दुबई ने एक गंभीर बाढ़ का सामना किया, जिसके चलते अनेक जीवन प्रभावित हुए, जबकि कुछ ने इसे अवसर में बदलने की कोशिश की। वर्तमान में दुबई जलमग्न है, जहां बहुत से घर और वाहन बाढ़ में डूब गए हैं। यह कहा जाता है कि दुबई में धन की कोई कमी नहीं है और स्थानीय निवासी आमतौर पर धनोपार्जन में ही लगे रहते हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दुबई के लोग बाढ़ में फंसे हुए लोगों को शॉपिंग कार्ट्स में बैठाकर पानी से बाहर निकाल रहे हैं।


सोशल मीडिया पर फैल रहे वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे बाढ़ के पानी ने एक शॉपिंग मॉल को घेर लिया है और वहां के लोग फंसे हुए हैं। इसी दौरान, मॉल के कर्मचारी शॉपिंग कार्ट लेकर आते हैं और लोगों को उसमें बिठाकर पानी से निकाल रहे हैं। इस सेवा के लिए लोग उन्हें पैसा भी दे रहे हैं। वीडियो को देखकर अनेक लोग टिप्पणी कर रहे हैं कि आपदा के समय में अवसर तलाशना किसी खाड़ी देश के लोगों से बेहतर कोई नहीं जानता। यह वीडियो अब व्यापक रूप से वायरल हो रहा है।

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, तस्वीरों में नीले रंग की छाया के माध्यम से देखा जा सकता है कि दुबई में आई बाढ़ ने कितना बड़ा क्षेत्र घेरा था। जेबल अली का प्रसिद्ध औद्योगिक इलाका और पाम जेबल अली के दक्षिणी भाग में, हर जगह से पार्कों और सड़कों पर पानी भर गया था। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे विभिन्न वीडियो में यह देखा जा सकता है कि किस प्रकार बड़ी-बड़ी इमारतें और वाहन पानी में डूबे हुए हैं। हाल ही में दुबई में एक दिन में 142 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो कि यहाँ के वार्षिक औसत 95 मिलीमीटर से कहीं अधिक है।

चार घंटे के भीतर 142 मिलीमीटर से अधिक वर्षा हुई, जो आमतौर पर शहर में एक वर्ष में होती है। इस असामान्य मौसमी घटना ने क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिसे 1940 के दशक से अपनाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में, विमान विशेष फ्लेयर्स के साथ बादलों में नमक छोड़कर वर्षा को प्रोत्साहित करते हैं। यूएई ने 1990 के दशक से वर्षा को बढ़ाने के लिए क्लाउड-सीडिंग का उपयोग किया है। हालांकि, इस विशेष बारिश के लिए यूएई ने क्लाउड सीडिंग की भूमिका से इनकार किया है। डेली मेल के अनुसार, अगर क्लाउड सीडिंग नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो यह ‘मौसम युद्ध’ का कारण बन सकता है।

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