One Nation One Election: मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम 2024?

One Nation One Election

क देश, एक चुनाव: क्या है मोदी सरकार की नई पहल?

One Nation One Election या “एक देश, एक चुनाव” भारतीय लोकतंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह विचार अब वास्तविकता बनने के करीब है। इसके लिए एक संवैधानिक संशोधन विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।


One Nation One Election एक देश, एक चुनाव का उद्देश्य

इस पहल का मुख्य उद्देश्य है:

  1. चुनाव प्रक्रिया को सरल और सुसंगत बनाना।
  2. चुनाव खर्च में कटौती।
  3. प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करना।
  4. बार-बार चुनाव के कारण रुकने वाले विकास कार्यों को रोकना।

यह योजना लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायत चुनावों को एक साथ आयोजित करने का प्रस्ताव करती है। हालांकि, वर्तमान में स्थानीय निकाय चुनाव इस योजना से बाहर रखे गए हैं।


कैसे होगा One Nation One Election लागू?

इस योजना को लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है। इसके तहत निम्नलिखित प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी:

  1. संसद में विधेयक पारित करना:
    • लोकसभा में दो-तिहाई सांसदों का समर्थन चाहिए।
    • राज्यसभा में भी दो-तिहाई बहुमत जरूरी है।
  2. राज्यों की मंजूरी:
    • देश के आधे राज्यों की विधानसभाओं से सहमति लेनी होगी।
  3. संविधान में संशोधन:
    • संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करना होगा, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की अवधि को परिभाषित करते हैं।

समिति की सिफारिशें

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

  • समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ नगर निकाय और पंचायत चुनाव भी एक साथ कराने की सिफारिश की।
  • हालांकि, वर्तमान में केवल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को प्राथमिकता दी जा रही है।

कब से लागू हो सकता है One Nation One Election?

माना जा रहा है कि यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह 2029 या 2034 से लागू किया जा सकता है। हालांकि, सरकार ने अभी इसकी सटीक समयसीमा पर कुछ स्पष्ट नहीं किया है।


लोकसभा और राज्यसभा में समर्थन का गणित

लोकसभा में स्थिति:

  • लोकसभा में विधेयक पारित करने के लिए 362 सांसदों का समर्थन चाहिए।
  • एनडीए के पास 270 सांसद हैं।
  • कुछ तटस्थ पार्टियों को मिलाकर यह आंकड़ा 293 तक पहुंचता है।
  • यदि सभी सांसद सदन में उपस्थित रहें, तो भी बहुमत के लिए जरूरी 362 का आंकड़ा दूर नजर आता है।

राज्यसभा में स्थिति:

  • राज्यसभा में एनडीए के पास 113 सांसद हैं।
  • दो-तिहाई समर्थन के लिए 154 सांसद चाहिए।
  • वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस, और निर्दलीय सांसद मिलाकर कुल समर्थन 121 तक पहुंचता है।
  • विपक्षी इंडिया गठबंधन के पास 85 सांसद हैं, जो इस विधेयक का विरोध कर सकते हैं।

चुनौतीपूर्ण रास्ता

One Nation One Election लागू करना आसान नहीं है। प्रमुख चुनौतियां:

  1. संविधान संशोधन:
    संविधान के कई अनुच्छेदों में बदलाव करना होगा।
  2. राज्यों की सहमति:
    कई राज्यों ने इसे लेकर अपने विरोध दर्ज कराए हैं।
  3. राजनीतिक बाधाएं:
    विपक्ष इसे भारतीय संघीय ढांचे के खिलाफ बता रहा है।

फायदे और संभावित आलोचनाएं

फायदे:

  1. चुनाव खर्च में कमी:
    हर साल होने वाले चुनावों पर भारी धन खर्च होता है। इसे एक साथ चुनाव कराकर नियंत्रित किया जा सकता है।
  2. प्रशासनिक स्थिरता:
    बार-बार आचार संहिता लागू होने से सरकारी नीतियों और विकास कार्यों पर रुकावट आती है।
  3. चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता:
    एक बार में चुनाव से मतदाता और प्रशासनिक प्रक्रियाएं बेहतर तरीके से संभाली जा सकती हैं।

आलोचनाएं:

  1. संघीय ढांचे पर असर:
    एक साथ चुनाव कराने से राज्यों की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।
  2. लॉजिस्टिक चुनौतियां:
    इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना एक कठिन कार्य है।
  3. राजनीतिक असहमति:
    विपक्षी दलों ने इसे सत्ता का केंद्रीकरण बताया है।

वर्तमान राजनीतिक स्थिति

One Nation One Election भारतीय जनता पार्टी का पुराना एजेंडा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार इसे अपने भाषणों में उठाया है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए एनडीए को विपक्ष और तटस्थ पार्टियों का समर्थन जुटाना होगा, जो फिलहाल चुनौतीपूर्ण दिखता है।


निष्कर्ष

One Nation One Election भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है। हालांकि, इसे लागू करना आसान नहीं है। सरकार को संवैधानिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

अगर यह कानून बनता है, तो भारतीय लोकतंत्र में यह एक ऐतिहासिक कदम होगा। यह न केवल चुनाव प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित बनाएगा, बल्कि देश के विकास कार्यों को भी गति देगा। लेकिन, इसके लिए सभी पक्षों का समर्थन और सहमति जरूरी है।

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