सकट चौथ का यह पावन पर्व हर वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस विशेष दिन, भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा एवं व्रत का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस पर्व को मनाने से साधक को संतान सुख और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में सकट चौथ के दिन कुछ विशेष कार्यों को करने का सुझाव दिया जाता है, जिनसे गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां कुछ फलदायी कार्यों का उल्लेख है:
सकट चौथ के दिन, सुबह उठकर शुद्धि के साथ स्नान करें और आसान, साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद, भगवान गणेश जी के पूजन के लिए तैयारी करें।
- पंचामृत स्नान: भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके लिए दूध, दही, घी, शहद और गुड़ को मिलाकर पंचामृत तैयार करें और इससे मूर्ति को स्नान कराएं।
- चौकी पर आसीन होना: गणपति बप्पा को सजीव मेहंदी के रंग के कपड़े पर बिछाकर उनके सामने चौकी पर आसीन हों।
- पूजा सामग्री का विराजमान करना: रोली, चावल, फूलमाला, और अर्पित करने के लिए विभिन्न पूजा सामग्री को तैयार करें।
- आरती और मंत्रों का जाप: दीपक जलाएं और भगवान गणेश की आरती गाएं। विशेष मंत्रों का जाप करें, जो गणेश जी को आत्मसमर्पण का भाव दिलाएं।
- भोग लगाना: तिल के लड्डू और मोदक को भगवान के भोग में अर्पित करें।
इस पूजा के बाद, साधक को भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है
सकट चौथ के व्रत का विधान:
- निर्जला निराहार व्रत का पालन करें, जिसमें एक बार भोजन करने की अनुमति नहीं होती।
- सकट चौथ की पूजा के लिए चौकी पर बैठकर गणपति बप्पा की आराधना करें।
- रोली, चावल, फूलमाला, दीपक, गुड़, घी, दही, और तिल के लड्डू सहित विभिन्न पूजा सामग्री का योग्यता से आराधना करें।
- सुबह और शाम को विशेष मंत्रों का जाप करें और भगवान गणेश की कृपा के लिए प्रार्थना करें।
- सायंकाल को चंद्रमा की पूजा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
- रात्रि में चाँदनी के सामने स्नान करके पूजा करें और फिर व्रत का उत्तारण करें।
मुहूर्त:
- सुबह 6:10 बजे से चतुर्थी की तिथि प्रारंभ होगी।
- 30 जनवरी को सुबह 8:55 बजे तक चतुर्थी समाप्त हो जाएगी।
सभी भक्तगण को सकट चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं!