Today News Uttrakhand 2023 : 7 दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल समापन के बाद उत्तराखंड सरकार ने हर खान में काम करने वाले माइनर्स के लिए एक अच्छे कदम के रूप में सरकारी 50-50 हजार का ईनाम घोषित किया है।

Uttar Kaishi : उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग से सफलतापूर्वक निकाले गए श्रमवीरों को अब नवयुग कंपनी ने दो लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इस कदम के साथ ही, श्रमवीरों को दो महीने का वेतन सहित छुट्टी भी प्रदान की जाएगी। इस अद्भूत पहल के अलावा, बचाव अभियान में शामिल रहने वाले श्रमवीरों को भी दो महीने का बोनस मिलेगा।उत्तराखंड सरकार ने पहले ही सिलक्यारा सुरंग में फंसे हर श्रमवीर को एक लाख रुपए का मुआवजा, अस्पताल खर्च, और आने-जाने का किराया देने का ऐलान किया है। गुरुवार से श्रमिकों को उनके घर भेजने का कार्य शुरू हो गया है, और चिकित्सा जांच के बाद पता चला है कि सभी श्रमिक सुरक्षित और स्वस्थ हैं। यह आपके जन्मदिन के मौके पर एक खुशखबरी है और हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी सकारात्मक खबरें आपके आने वाले वर्षों को भी सजीव और सुखमय बनाए रखें।

श्रमवीरों की जान बचाने में अपना योगदान देने वाले रैटमाइनर्स के प्रति उत्तराखंड सरकार ने एक और सकारात्मक कदम उठाया है। हर रैटमाइनर को सरकार द्वारा 50-50 हजार का ईनाम देने का ऐलान किया गया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रैटमाइनर्स का सम्मान करते हुए मैन्युअल खुदाई करने वालों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना है।नवयुग कंपनी भी इस प्रशंसायोग्य पहल को समर्थन करते हुए, इन माइनर्स को दो महीने का बोनस प्रदान करने का निर्णय किया है। यह उनके साहस और समर्पण की पहचान है, जिन्होंने श्रमवीरों की सुरक्षा के लिए अपने जीवन को खतरे में डाला है। इस कदम से सामाजिक न्याय और समर्थन की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा गया है, जिससे इन अद्भुत श्रमिकों को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सही मायने मिल सकें

यह किसी अद्भुत और साहसी कहानी का रूप लेता है, जो माइनिंग क्षेत्र के श्रमिकों की महात्मा बुद्धिमत्ता और संघर्ष को दर्शाता है। हाथों से पहाड़ खोदना एक कठिन और जोखिमपूर्ण कार्य है, लेकिन इस श्रमवीर ने अपने साहस और मेहनत से यह कर डाला। उनकी बहादुरी ने उन्हें श्रमवीरों की कड़ी मेहनत और समर्पण की ऊंचाइयों तक पहुंचाई।12 मीटर की खुदाई को सिर्फ 21 घंटे में पूरा करना, और वह भी सिर्फ एक जुगाड़ के माध्यम से, यह दिखाता है कि उनकी कठिनाईयों के बावजूद वह किसी भी चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार थे। आगर मशीन की फेलियों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने हुनर और संघर्ष का परिचय दिखाया।इस दृष्टिकोण से, यह कह सकते हैं कि रैट माइनर्स ने न केवल खुद को, बल्कि अपने साथी श्रमिकों को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का कारगर प्रयास किया। उनकी यह अनूठी कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और मेहनत से ही असली यश मिलता है और व्यक्ति अपनी मेहनत और समर्पण से किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है

राष्ट्रीय आपदा राहत बल, भारतीय सेना, पुलिस, और कई अन्य एजेंसियों ने उत्तराखंड में हुए ध्वस्त सिल्कयारा सुरंग के नीचे फंसे 41 लोगों की मुक्ति के लिए 24 घंटे तक प्रतिसाधन किया। इस ऑपरेशन में, सुरंग एक्सपर्ट एरोल्ड डिक्स भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे और उन्होंने सरकार और एजेंसियों को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान महत्वपूर्ण सलाह दी।डिक्स की नेतृत्व में कार्रवाई में उनकी विशेषज्ञता ने सुनिश्चित किया कि ऑपरेशन सुरक्षित और प्रभावी हो। उनका अनुभव और सुरंगों में उनकी गहराईयों के ज्ञान ने उन्हें इस चुनौतीपूर्ण कार्य में सफलता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अद्भुत रेस्क्यू ऑपरेशन ने न केवल लोगों को बचाया, बल्कि समर्थन एवं सामरिक समर्पण के माध्यम से यह भी दिखाया कि भारतीय सुरक्षा बल और आपदा प्रबंधन एजेंसियाएं जोखिमों का सामना करने में अग्रणी हैं और उनकी तत्परता से देशवासियों की सुरक्षा में अपने को समर्पित कर रही हैं

डिक्स ने एनडीटीवी से साझा किया कि एस्केप होल्स की ड्रिलिंग के लिए, “धीरे-धीरे” दृष्टिकोण अपनाना और पहले से ही नाजुक और “स्टिल मूविंग” पहाड़ी इलाके का अध्ययन करना, ऑगर के प्रभाव की सफलता की कुंजी रही।उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के लिए सफल रहने के लिए, उन्होंने बहुत ही सावधानीपूर्वक और स्थिरता से काम किया और सुरंग में फंसे व्यक्तियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। उनका “धीरे-धीरे” दृष्टिकोण ने स्थिति को निरीक्षण करने और सही तरीके से कार्रवाई करने में मदद की, जिससे ऑपरेशन को सफलता मिली। उनका विशेषज्ञता और तकनीकी ज्ञान ने इस कठिनाईयों भरे कार्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उन्होंने अपने पेशेवर अनुभव का सही उपयोग करके सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन को समर्पित किया। डिक्स ने साझा किया कि कई योजनाएं होने के बावजूद, मजदूरों को बचाने में क्यों वक़्त लगा, इस पर भी चर्चा की। उन्होंने एक उदाहरण दिया जो ढही हुई संरचना के शीर्ष पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने से पहले हुई थी। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ नियमित रूप से फंसे लोगों के जीवन को बचाने, कर्मियों और पर्यावरण के जोखिमों के साथ संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर गहराई से गौर किया उन्होंने व्यक्त किया, “हमने धीमी गति से आगे बढ़ने का निर्णय लिया था, जिसके कारण हमें आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन हमारा मिशन जीवनें बचाना था, इसलिए हमने अपने कार्यों के प्रति सतर्कता बनाए रखी। हमने कई (बचाव के) मार्गों को खोला था… हाँ, लेकिन हर एक का हम पर कैसा प्रभाव हो सकता है, इस पर हमने सवालचिन्हता बनाए रखी थी।

 

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