Today News Update nainital danger 2023 : नैनीताल में खतरा मंडरा रहा है भरभरा के गिरा 2 मंजिल मकान लोग हुए घर से वे घर आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया

Uttarakhand  : नैनीताल विकास प्राधिकरण ने इन घरों पर लाल निशान भी लगा दिए हैं। इन घरों को तीन दिन में खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। आल्मा सबसे संवेदनशील पहाड़ी है। यहां बसे 10 हजार परिवारों पर खतरा बढ़ रहा है अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि हिमालय क्षेत्र में जनसंख्या का दबाव बढ़ गया है। इसलिए इसकी क्षमता के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ समि​ति बनाएं। पिछले महीने हिमाचल में बारिश से शिमला, कुल्लू में भारी भूस्खलन हुआ था। अध्ययन में कहा गया था कि 1875 में शिमला को सिर्फ 16 हजार लोगों के हिसाब से डिजाइन किया गया था। आज 1.70 लाख लोग रह रहे हैं।  भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के मुताबीक, नैनीताल की भौगोलिक संरचना अन्य पहाड़ी शहरों से अलग हैं। इसके बीचों-बीच से गुजरने वाले नैनीताल फॉल्ट के साथ ही कुरिया फॉल्ट, पाइंस फाल्ट, एसडेल फाल्ट, सीपी हॉलो फाल्ट समेत अन्य छोट-छोटे फाल्ट्स शहर को बेहद संवेदनशील बनाते हैं। इन फॉल्ट में भौगोलिक हलचल बढ़ रही है, जिससे पहाड़ियां कमजोर हो रही हैं। भविष्य में यहां जोशीमठ से भी बड़ी आपदा का खतरा

1880 में आल्मा पर भूस्खलन में मारे गए थे 151 लोग :  अंग्रेजी शासन के समय सन 1880 में इसी पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 151 लोग मारे गए थे। इसमें 43 अंग्रेज अधिकारी व बाकी स्थानीय लोग शामिल थे। हादसे के बाद से अंग्रेजों ने पहाड़ी पर निर्माण बैन कर दिया था। आज इसी पहाड़ी पर करीब 10 हजार की आबादी बस चुकी है। आल्मा पहाड़ी के जिस इलाके में भूस्खलन हुआ है, वह पहले से असुरक्षित है आल्मा पहाड़ी इसलिए ज्यादा संवेदनशील है, क्योंकि ये नैनीझील ऊपर बांई ओर सीधी खड़ी है। बीते 20 साल में इस पहाड़ी पर बेतहाशा निर्माण हुए हैं। जबकि ये पहाड़ी नीचे से भुरभुरी है। कई बार वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से यहां निर्माण आज भी जारी है


रविवार को नैनीताल प्रशासन आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया: टीम ने देखा कि जोशीमठ के तमाम हिस्सों से सतह के नीचे पानी का बेतरतीब ढंग से रिसाव हो रहा है। इसका कोई एक सिरा नहीं है। जोशीमठवासियों को रात में घरों के फर्श के नीचे पानी बहने की आवाजें आ रही हैं। वे बुरी तरह डरे हुए हैं। टीम के सदस्य दिनभर शहर में हो रहे सुराखों की पड़ताल करते रहे, लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं मिला कि आखिर जमीन के नीचे ये पानी आ कहां से रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *