Rahul Gandhi: राहुल गांधी जातीय राजनीति के अपने एजेंडा पर अडिग हैं, भले ही विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जाति आधारित सर्वेक्षण की पेशकश प्रभावी नहीं हो। उनका नवीनतम चुनावी वचन यह है कि यदि INDIA गठबंधन की सरकार सत्ता में आती है, तो आरक्षण के कोटे को विस्तारित किया जाएगा। हालांकि, इस नए वादे पर भी 2019 में प्रस्तावित न्याय योजना के समान संशय के बादल छाए हुए हैं।
विधानसभा चुनावों के 2023 के परिणाम संकेत देते हैं कि तेलंगाना में रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार जातीय सर्वेक्षण की दिशा में अग्रसर है, जबकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और राजस्थान में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखा। तेलंगाना में कांग्रेस की सत्ता में आने के बावजूद, अन्य राज्यों में इसी तरह की पहल का असर नहीं दिखाई दिया।
कांग्रेस ने जातीय राजनीति के मोर्चे पर अपने चुनावी वादे की असफलता के बावजूद संघर्ष जारी रखा है। अब राहुल गांधी ने घोषणा की है कि यदि वे सत्ता में आते हैं, तो आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से अधिक कर दिया जाएगा। इस संदर्भ में, राहुल गांधी का सत्ता में आना इंडिया ब्लॉक की सरकार के गठन को दर्शाता है।झारखंड विधानसभा में, चंपई सोरेन की अगुवाई में सरकार ने विश्वास मत प्राप्त किया, जिसके बाद गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की क्योंकि वह एक आदिवासी मुख्यमंत्री को स्वीकार नहीं कर सकती कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ मिलकर कांग्रेस ने विपक्ष के खिलाफ एकजुटता दिखाई और सरकार को संकट से बचा लिया। उनका कहना था कि विपक्षी राज्य सरकारों को अस्थिर करने के लिए भाजपा जांच एजेंसियों और वित्तीय शक्ति का उपयोग करती है। राहुल गांधी का आरोप है कि भाजपा लोकतंत्र और संविधान पर हमला कर रही है और जनता की आवाज़ को दबाना चाहती है। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन लोकतंत्र की आवाज को दबाने नहीं देगा।‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा : मणिपुर से आरंभ होकर 67 दिनों में 6,713 किलोमीटर की यात्रा कर 15 राज्यों के 110 जिलों को पार करते हुए 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी। वहीं, बिहार में जातिगत राजनीति के उत्तर में, प्रधानमंत्री मोदी ने चार समूहों – गरीब किसान, युवा, महिलाओं और अन्य – का उल्लेख किया था। इस बीच, राहुल गांधी पांच न्याय सिद्धांतों के आधार पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले हैं।
कांग्रेस की न्याय योजना चुनावी प्रभाव नहीं डाल पाने का मुख्य कारण इसकी देरी से घोषणा मानी जाती है। घोषणा में देरी के कारण, इसकी जानकारी व्यापक रूप से लोगों तक नहीं पहुँच पाई। योजना को सिद्धांततः अच्छा माना गया था, लेकिन 2019 में इसकी घोषणा के समय और 2024 में कांग्रेस के आरक्षण संबंधी प्रस्तावों पर भी इसी प्रकार की आशंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं। दुर्भाग्यवश, पिछले पांच वर्षों में इस दिशा में कांग्रेस और राहुल गांधी द्वारा कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं किए गए हैं।
कांग्रेस ने जातीय राजनीति के मोर्चे पर अपने चुनावी वादे की असफलता के बावजूद संघर्ष जारी रखा है। अब राहुल गांधी ने घोषणा की है कि यदि वे सत्ता में आते हैं, तो आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से अधिक कर दिया जाएगा। इस संदर्भ में, राहुल गांधी का सत्ता में आना इंडिया ब्लॉक की सरकार के गठन को दर्शाता है।झारखंड विधानसभा में, चंपई सोरेन की अगुवाई में सरकार ने विश्वास मत प्राप्त किया, जिसके बाद गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की क्योंकि वह एक आदिवासी मुख्यमंत्री को स्वीकार नहीं कर सकती कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ मिलकर कांग्रेस ने विपक्ष के खिलाफ एकजुटता दिखाई और सरकार को संकट से बचा लिया। उनका कहना था कि विपक्षी राज्य सरकारों को अस्थिर करने के लिए भाजपा जांच एजेंसियों और वित्तीय शक्ति का उपयोग करती है। राहुल गांधी का आरोप है कि भाजपा लोकतंत्र और संविधान पर हमला कर रही है और जनता की आवाज़ को दबाना चाहती है। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन लोकतंत्र की आवाज को दबाने नहीं देगा।‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा : मणिपुर से आरंभ होकर 67 दिनों में 6,713 किलोमीटर की यात्रा कर 15 राज्यों के 110 जिलों को पार करते हुए 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी। वहीं, बिहार में जातिगत राजनीति के उत्तर में, प्रधानमंत्री मोदी ने चार समूहों – गरीब किसान, युवा, महिलाओं और अन्य – का उल्लेख किया था। इस बीच, राहुल गांधी पांच न्याय सिद्धांतों के आधार पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले हैं।
कांग्रेस की न्याय योजना चुनावी प्रभाव नहीं डाल पाने का मुख्य कारण इसकी देरी से घोषणा मानी जाती है। घोषणा में देरी के कारण, इसकी जानकारी व्यापक रूप से लोगों तक नहीं पहुँच पाई। योजना को सिद्धांततः अच्छा माना गया था, लेकिन 2019 में इसकी घोषणा के समय और 2024 में कांग्रेस के आरक्षण संबंधी प्रस्तावों पर भी इसी प्रकार की आशंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं। दुर्भाग्यवश, पिछले पांच वर्षों में इस दिशा में कांग्रेस और राहुल गांधी द्वारा कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं किए गए हैं।