अमेरिकी सांसदों ने भारत में गेहूं और चावल पर दिए जा रहे सब्सिडी को लेकर चिंता व्यक्त की है।

New Delhi : अमेरिकी सांसदों ने भारत द्वारा गेहूं और चावल पर दी जा रही सब्सिडी के मामले में चिंता जताई है। अमेरिकी सीनेट की वित्त समिति के अध्यक्ष रॉन विडेन ने बयान दिया है कि भारतीय सब्सिडी बाजार कीमतों को प्रभावित कर रही है, जिसके कारण अमेरिकी किसानों को नुकसान हो रहा है और उन्हें एशियाई बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाइयाँ आ रही हैं।

अमेरिका में एक वरिष्ठ व्यापार अधिकारी, कैथरीन टाई ने हाल ही में संसद को सूचित किया कि भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार में बारह विभिन्न श्रेणियाँ खोल दी हैं। इसी संदर्भ में, उन्होंने भारत द्वारा गेहूं और चावल पर दी जा रही सब्सिडी पर चिंता व्यक्त की और बल दिया कि अमेरिकी किसानों और व्यवसायों की रक्षा के लिए व्यापार नियमों का कठोरता से पालन करना आवश्यक है।

यूएस व्यापार प्रतिनिधि, कैथरीन टाई ने कहा, “हमारी सरकार अमेरिका के किसान परिवारों और ग्रामीण समुदायों के लिए नए बाजार खोलने की दिशा में कार्यरत है। पिछले तीन वर्षों में, हमने कृषि बाजारों में 21 अरब डॉलर के नए मूल्य को जोड़ने का प्रयास किया है।

उन्होंने बताया कि अमेरिका और भारत ने आपसी समझौते के तहत सात WTO विवादों को हल कर लिया है। इसके परिणामस्वरूप, भारत कई अमेरिकी उत्पादों पर लगे प्रतिशोधात्मक शुल्कों को समाप्त करने के लिए सहमत हो गया है, जिससे मिशिगन, ओरेगॉन, कैलिफोर्निया, और वॉशिंगटन सहित अमेरिका भर के किसानों को फायदा होगा।सीनेटर रॉन विडेन, जो वित्त विभाग की सीनेट समिति के अध्यक्ष हैं, ने उल्लेख किया है कि भारत द्वारा गेहूं पर दी जा रही सब्सिडी से वैश्विक बाजारों में कीमतों पर प्रभाव पड़ रहा है, जिसके चलते अमेरिकी किसानों को नुकसान हो रहा है। इसी प्रकार, अन्य देशों की अनुचित नीतियों से अमेरिकी कंपनियों में काम कर रहे श्रमिक भी प्रभावित होते हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत-अमेरिका के बीच हाल ही में हुए लड़ाकू जेट इंजन समझौते को “क्रांतिकारी” कहा है। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करता है, जिसके तहत भारतीय वायु सेना के लिए साझेदारी में लड़ाकू जेट इंजन तैयार किए जाएंगे।

 भारत और अमेरिका के बीच प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण फाइटर जेट इंजन समझौता हुआ था। यह समझौता भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे देश की वायु शक्ति में विस्तार होगा। इस डील के तहत अमेरिका भारत को उन्नत फाइटर जेट इंजन की प्रमुख तकनीक हस्तांतरित करेगा।

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