Today News UP Delhi Earthquake 2023 : दिल्ली नोएडा लखनऊ उत्तराखंड और नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए तीव्रता इतनी जोरदार थी कि घर और दफ्तरों से निकलकर तुरंत ही सड़कों पर आ गए.

Delhi News : मंगलवार की दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप के कारण काफी देर तक झटके लगते रहे. भूकंप की तीव्रता इतनी जोरदार थी कि घर और दफ्तरों से निकलकर  ग तुरंत ही सड़कों पर आ गए. बताया जा रहा है कि भूकंप का केद्र नेपाल में था  । दो बार तेज झटके महसूस हुए। भूकंप की तीव्रता 4.6 रही। उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, नोएडा और फरीदाबाद में भी भूकंक के झटके महसूस किए गए|  मंगलवार दोपहर 14:25 बजे आए इस भूकंप का केंद्र नेपाल में था और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.2 मापी गई है  लखनऊ में भूकंप की दहशत के चलते  विभूति खंड इलाके में स्थित मल्टी स्टोरी कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स से निकलकर लोग बाहर सड़क पर आ गए.नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, उत्तर भारत मे कई जगह 2.51 बजे  6.2 तीव्रता का भूकंप आया. फिर 2.53 बजे पर फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. देश में पिछले 24 घंटे में 6 से 7 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र नेपाल रहा है

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है कंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है,और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है

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