Today News Mathura Shahi Idgah Mosque : मथुरा में जमीन को लेकर विवाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर शाही ईदगाह पर प्रतिबंध लगाए जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने रुकावट लगाई है: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि हिंदू पक्ष की मांग स्पष्ट नहीं है, जबकि हाईकोर्ट ने एक सर्वे पर आदेश दिया था।
Mathura Idgah : नीतीश भारद्वाज ने उज्ज्वल भविष्य की दिशा में भारतीय धर्म की महत्ता को बढ़ावा देते हुए कहा है कि यह धर्म अंग्रेजी के धर्म से अलग है। इसे एक आध्यात्मिक मार्ग मानकर, लोगों को वासनाओं से मुक्ति की ओर प्रेरित करता है। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान राम के मंदिर की स्थापना केवल एक भव्य निर्माण कार्य नहीं है, बल्कि यह लोगों की आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक मार्गप्रदर्शन भी है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर के सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस परिस्थिति पर रोक लगा दी है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक हिंदू पक्ष की मांग को स्पष्ट नहीं किया है, इसलिए हाईकोर्ट के कमिश्नर सर्वे पर रोक लगा दी गई है। इस समय तक के आदेशों तक, रोक लगी है। हिंदू पक्ष को इस मुद्दे पर नोटिस भी जारी किया गया है, और आगामी सुनवाई 23 जनवरी को
वास्तविकता में, ‘भगवान श्री कृष्ण विराजमान’ और अन्य सात व्यक्तियों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे, और देवकी नंदन के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एसआई सर्वे की मांग की थी। उनकी याचिका में दावा किया गया था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के अनुसार, ‘आवेदन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने यह प्रस्तुत किया गया था कि वहां एक कमल के आकार का स्तंभ है जो हिंदू मंदिरों की विशेषता है।
वह एक हिंदू देवता हैं, जिनमें से एक. उन्होंने जन्म लेने वाली रात में भगवान कृष्ण की सुरक्षा की थी. इसके अलावा, अदालत में यह भी प्रस्तुत किया गया कि मस्जिद के स्तंभों के निचले हिस्से पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी हैं. आवेदक ने कोर्ट से यह भी माँग की है कि एक निर्धारित समय सीमा के भीतर शाही ईदगाह मस्जिद की जाँच करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कमीशन की नियुक्ति की जा सकती है, जिसमें विशिष्ट मार्गदर्शिका के साथ।
महाभारत सीरियल के भगवान कृष्ण के रोल में दिखे गए नीतीश भारद्वाज ने कहा है कि भगवान राम की तरह, भगवान कृष्ण को भी उनकी जन्मभूमि मथुरा में वापस मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी अन्य स्थान से जन्मस्थान की तुलना करना अधिकारिक नहीं होता। ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर, भगवान कृष्ण को काल्पनिक पात्र मानना उचित नहीं है। द्वारका से प्राप्त प्रमाण इस तथ्य को साबित करते हैं कि भगवान कृष्ण एक ऐतिहासिक पुरुष थे। इसलिए, उन्हें किसी भी देरी के बिना उनकी जन्मभूमि मिलनी चाहिए।
नीतीश भारद्वाज ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल के दरबार में उमड़े भक्तों के सामूहिक दर्शन के बाद कहा है कि भारतीय धर्म अंग्रेजी के धर्म के समान नहीं है। इसने कहा कि भारतीय धर्म आध्यात्मिक उन्नति के माध्यम से लोगों को वासनाओं से मुक्ति का मार्ग प्रदान करता है। उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा कि भगवान राम के मंदिर की निर्माण प्रक्रिया बस एक मंदिर की स्थापना का कार्य नहीं है, बल्कि यह लोगों की आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी स्थापित करेगा।
उन्होंने कहा कि इस युग में हमें राम और कृष्ण दोनों को साथ में अपने जीवन में लाना चाहिए। कहा गया कि जीवन के कई क्षण ऐसे होते हैं जब हमें राम की शिक्षा का अनुसरण करना चाहिए, और कुछ समयों में हमें कृष्ण का अनुसरण करना चाहिए। इसके साथ ही, एक कार्यक्रम में आलोक कुमार ने कहा कि जिस दिन सिंध के राजा पर हमला हुआ था, उसी दिन से हिंदुओं का स्वाभिमान नष्ट हो गया था। इस दिन तक चलता रहा जब तक कि अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरा नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि विवादित ढांचे के गिरने के साथ ही हिंदुओं का स्वाभिमान उत्थान हुआ और राम मंदिर के लोकार्पण के साथ यह उच्च स्तर पर पहुंच जाएगा।
उन्होंने इसके बाद भी यह बताया कि कार्य अब भी पूरा नहीं हुआ है। राष्ट्र की नींव रखने के लिए हिंदू समाज को एक होकर काम करना होगा। इस मुद्दे में लोगों को एक दूसरे के साथ मिलकर चलना होगा। विहिप इस कारण से लोगों को एकता और सद्भाव की दिशा में प्रोत्साहित करेगी।