Today News Maharashtra Hospital Death : नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 24 मरीजों ने तोड़ा दम, 12 मासूम बच्चों की भी गई जान

महाराष्ट्र के नांदेड़ में सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 24 लोगों की मौत हो गई है. इसमें 12 नवजात भी शामिल हैं. इस घटना से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है  उस अस्पताल में नन्हें-नन्हें मासूम भर्ती थे। माता-पिता ने सोचा था अस्पताल ले जाएंगे तो जल्दी ठीक हो जाएंगे, लेकिन नहीं बचें। उसी अस्पताल में एक बेटा भी अपने पिता को लेकर आया था, अच्छे इलाज के लिए, उसके पिता की भी मौत हो गई। वहीं अस्पताल में बैठा एक पति भी अपनी पत्नी के जल्दी ठीक होने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन वो महिला भी नहीं बच पाई। ऐसे एक दो नहीं 31 परिवार अपनों की मौत पर आंसू बहा रहे हैं। इन सबको नहीं पता था कि ये अपनों को अस्पताल नहीं सीधा श्मशान ले आए हैं, जहां एक के बाद एक मौत हो रही हैं

ऐसे में ही शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 24 मरीजों की मौत हो गई है. मामले में सरकारी अस्पताल के अधीक्षक एस. आर. वाकोडे का दावा  है कि इन मृतकों में अतिरिक्त मरीज भी शामिल हैं. मरीजों को आखिरी समय पर अस्पताल में लाया गया था  अनुसंधान एवं परीक्षण संस्थान ने दवाओं की खरीद बंद कर दी है. इस कारण राज्यभर के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी हो गई है और इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है आम लोगों को अपनी जान देकर। अस्पताल में लोग अपने मरीजों को लेकर आ रहे हैं इलाज के लिए, लेकिन इलाज तो तब हो न जब दवाएं हों। नांदेड़ अस्पताल के एक डॉक्टर ने भी खुद ये बात बताई कि दवाई न होने की वजह से हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है

48 घंटे 31 मौत का जिम्मेदार कौन: महाराष्ट्र के नांदेड़ का सरकारी अस्पताल मुर्दाघर बन चुका है। जहां पिछले 48 घंटे में 31 लोगों की जान जा चुकी है। 16 मासूम बच्चे भी इनमें शामिल हैं। करीब दो दिन मौत का सिलसिला शुरू हुआ जो कि अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा। अस्पताल में भर्ती अलग-अलग लोगों की एक के बाद एक मौत हो रही है। पहले 24 घंटे मेंं 24 लोगों की मौत हुई थी जिसमें 12 बच्चे भी थे, लेकिन अब यहीं आंकड़ा बढ़कर 31 पहुंच गया है  यहां जिन लोगों की मौत हुई हैं उनमें कई ऐसे भी थे जिन्हें सांप ने काटा हुआ तो कइयों को ऐसी बीमारियां थी जिसके लिए तुरंत दवा की जरूरत थी, लेकिन ये सब लोग प्रशासन और सरकारी की लापरवाही का शिकार बन गए। अगर वाकई दवा की खरीदारी न होना इन मौतों की वजह है तो न जाने और कितने अस्पताल ऐसे ही मुर्दाघर बन जाएंगे,

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