16 अगस्त को चौथी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट बदली। यान अब चंद्रमा की 153 Km X 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया है। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने सुबह करीब 08:30 बजे यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए। इससे पहले चंद्रयान 150 Km x 177 Km की ऑर्बिट में था अगला हफ्ता भारतीय साइंस जगत के लिए बेहद खास होने वाला है. दरअसल, भारत का अहम अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 चांद की जमीन पर उतरने वाला है. बताया जा रहा है चंद्रयान 21-23 अगस्त के बीच चांद की जमीन पर लैंड करेगा और इतिहास के पन्नों में अपना स्वर्णिम नाम शामिल करेगा. ये भारत के लिए इकलौता अहम मिशन है, लेकिन क्या आप जानते हैं इस तरह के मिशन से वहां ‘ट्रैफिक जाम’ जैसे हालात हैं. हुआ क्या है कि जिस तरह भारत ने अपना मिशन भेजा है, वैसे ही कई देशों ने भेजा है और चांद की ऑर्बिट में दूसरे देशों के भी कई मिशन हैं, जो जल्द ही चांद की धरती पर लैंड करने जा रहे हैं.
153 Km X 163 Km की ऑर्बिट का मतलब है कि चंद्रयान ऐसी कक्षा में घूम रहा है जिसमें उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 153 Km और सबसे ज्यादा दूरी 163 किलोमीटर है। अब 17 अगस्त चंद्रयान के लिए काफी अहम दिन है। इस दिन इसरो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग करेगा। 23 अगस्त को लैंडिंग होगी।16 अगस्त को चंद्रयान 153 Km X 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया चंद्रयान में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। लैंडर और रोवर चांद पर पानी की खोज करेंगे।
चंद्रयान ने चांद की तस्वीरें कैप्चर कीं
चंद्रयान ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी तो उसकी ऑर्बिट 164 Km x 18,074 Km थी। ऑर्बिट में प्रवेश करते समय उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थीं। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।
इसके साथ ही अब जल्द ही रूस का लूना 25 मिशन लॉन्च हो गया है, जो 16 अगस्त को चांद की ऑर्बिट में प्रवेश कर सकता है. इसके जरिए चांद के साउथ पोल को एक्सप्लोर किया जाएगा और ये भी चंद्रयान के कुछ समय बाद ही चांद पर लैंड करेगा. मून मिशन की बढ़ती संख्या के साथ चांद वैज्ञानिक खोज का केंद्र बनता जा रहा है. हालांकि, ज्यादा मिशन से आपसी टकराव से बचने जैसी चुनौतियां भी बढ़ती जा रही है.|
इस मिशन से भारत को क्या हासिल होगा: सरो के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित कहते हैं कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा जो कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगा। भारत ने अपने हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 से चंद्रयान को लॉन्च किया है। इस व्हीकल की काबिलियत भारत पहले ही दुनिया को दिखा चुका है। बीते दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में अपना इंटरेस्ट दिखाया था। ब्लू ओरिजिन LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए करना चाहता है। LVM3 के जरिए ब्लू ओरिजिन अपने क्रू कैप्सूल को प्लान्ड लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) स्पेस स्टेशन तक ले जाएगा।