साल 2018 : में आलिया भट्ट की एक फिल्म ‘राजी’ रिलीज हुई थी. ‘राज़ी’ फिल्म की कहानी सहमत खान जैसी बहादुर जासूस के किरदार पर थी लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यह फिल्म रिटायर्ड नेवी ऑफिसर हरिंदर सिक्का की सच्चे पात्रों पर लिखी किताब ‘कॉलिंग सहमत
पर आधारित थी. यानी सहमत खान (बदला गया नाम) सचमुच में थी. आज हम आपको इसी सहमत खान की कहानी बताने जा रहे हैं
कॉलिंग सहमत’ में सहमत की असली पहचान और ठीक लोकेशन को गुप्त रखा गया है
इन दिनों पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर (Seema Haider) और उसके प्रेमी सचिन मीणा (Sachin Meena) के किस्से हर किसी की जुबान पर है लेकिन इस लव स्टोरी को जासूसी के एंगल से भी जोड़कर देखा जा रहा है. यानि माना जा रहा है कि सीमा कोई पाकिस्तानी एजेंट हो सकती है जो कि जासूसी के लिए भारत आई है. हालांकि, इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है. फिर भी इस मामले में अभी जांच जारी है. इसके लेकर सच तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन आज हम आपको भारत की उस महिला जासूस के बारे में बता रहे हैं जिसने देश के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी. इस जासूस ने एक पाकिस्तानी से शादी की, ससुराल में रही और गर्भवती भी हुई लेकिन उसका फोकस देश को खुफिया जानकारी देना ही रही है
सहमत ने दी अहम खुफिया जानकीरियां : ट्रेनिंग के बाद सहमत का निकाह पाकिस्तानी आर्मी के एक ऑफिसर के साथ कर दिया गया. सहमत विदा होकर ससुराल (पाकिस्तान) चली गई चूंकि पति पाकिस्तानी सेना में अधिकारी था तो सहमत ने ससुराल में रहते हुए ही भारत के खिलाफ पाकिस्तान के मंसूबों को लेकर भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई. ‘कॉलिंग सहमत’ के मुताबिक उसने भारत को ऐसी -ऐसी खुफिया जानकारियां दी थीं
जिसकी वजह से कई लोगों की जान बच सकी थी.
आम सी लड़की थी: किताब के मुताबिक, कहानी शुरु होती है सन 1971 से. इंडिया-पाकिस्तान के युद्ध से पहले भारतीय सेना को एक जासूस की जरूरत थी जो पाकिस्तान के मंसूबों का पता लगा सके और दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सके. इस काम के लिए कश्मीर के एक बिजनेस मैन ने कॉलेज ने पढ़ने वाली अपनी बेटी सहमत को राजी कर लिया. अजीब बात है कि सहमत कोई पेशेवर जासूस थी ही नहीं बल्कि वह तो बस एक आम सी लड़की थी