Ghaziabad News : गाजियाबाद में रक्षाबंधन के दिन 10वीं एक छात्रा चौथी मंजिल यानी करीब 50 फीट ऊपर से कूदने के लिए चढ़ गई। समय रहते पुलिस पहुंच गई। गाजियाबाद पुलिस के ACP स्वतंत्र कुमार सिंह ने करीब 10 मिनट तक छात्रा को समझाया। ACP ने रक्षाबंधन का हवाला देते हुए खुद को भाई बताया और भरोसा दिया कि अगर वो नीचे उतरेगी, तो वो न केवल राखी बंधवाएंगे, बल्कि बहन मानकर खुद उसकी समस्या हल करेंगे। आखिरकार, छात्रा मान गई और नीचे उतर आई
पढ़ाई को लेकर पिता ने लगाई थी डांट: बता दें कि छात्रा अभय खंड इलाके में रहती है और ट्यूशन जाने को लेकर बहस होने पर उसे पिता ने डांट दिया था. वो इस बात से नाराज हो गई और कहने लगी कि आप मुझे हमेशा डांटते रहते हो. इस लड़की की मां का देहांत कुछ दिनों पहले हो गया था जिस वजह से भी वो परेशान थी पिता ने पढ़ाई पर ध्यान देने को लेकर उसे डांट दिया था जिससे नाराज होकर वो खुदकुशी करने चार मंजिला इमारत की छत पर चढ़ गई थी इंदिरापुरम के न्याय खंड-1 में गुरुवार देर शाम पिता की डांट से नाराज होकर 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा गुस्से में चौथी मंजिल पर जाकर खुदकुशी करने का प्रयास करने लगी। जैसे ही लोगों को इस बात की जानकारी हुई, बिल्डिंग के नीचे भीड़ जमा हो गई। इस बीच छात्रा के परिजन और आसपास के लोग दौड़कर छत पर पहुंचे और उसे समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्रा नीचे उतरने को तैयार नहीं हुई। वह बस रोए जा रही थी। करीब 2 घंटे तक छात्रा को लोग समझाते रहे लेकिन वह छत से हटी नहीं। इसके बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह प्यार से छात्रा को समझाने लगे. उन्होंने चौथी मंजिल की छत पर खड़ी छात्रा को कहा आज राखी का दिन है ना, मैं तुम्हारा भाई हूं, नीचे उतार आओ और मुझे राखी बांधो, मैं तुम्हें सपोर्ट करूंगा.’ इस दौरान नाराज लड़की भी अधिकारी से बात करती रही और उन्हें अपनी समस्या बताने लगी
/h4>भीड़ में मौजूद टीचर ने भी समझाया: अभय खंड चौकी इंचार्ज ने बताया कि छात्रा कोई गलत कदम न उठा ले, इसे देखते हुए भीड़ में मौजूद एक टीचर ने भी उसे समझाने की कोशिश की थी लेकिन बच्ची अपनी जिद पर अड़ी थी। एसीपी साहब ने जब कहा कि देखो टीचर होकर वह आपके सामने हाथ जोड़ रहे हैं, अब तो मान जाओ। इसके बाद सभी लोगों के सामूहिक प्रयास से बच्ची राजी हो गई। इसके बाद उसके पिता को समझाया गया कि वह उसे कभी अकेला न छोड़ें और न ही उससे गुस्से में बात करें