इंद्रलोक की मक्की मस्जिद के बाहर सड़क पर नमाज पढ़ रहे लोगों पर पुलिसकर्मी द्वारा लात मारे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के कुछ ही समय बाद, मुस्लिम समुदाय के लोगों में विरोध की भावना उत्पन्न हो गई। इस घटना और नमाज के मुद्दे से परे, लोग दिल्ली पुलिस उठा सवाल वीडियो में आपत्तिजनक कार्य करते हुए देखा गया था।

New Delhi : दिल्ली के इंदरलोक क्षेत्र में पिछले शुक्रवार को घटित एक घटना के संबंध में एक वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। इस वीडियो में, जो कुछ उपयोगकर्ताओं द्वारा साझा किया गया है, कहा जा रहा है कि यह एसआई मनोज कुमार तोमर पर हुए हमले का दृश्य है। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे एक भारी भीड़ कुछ पुलिसकर्मियों को घेरकर उन पर हमला कर रही है, और पृष्ठभूमि में अपशब्दों की आवाजें सुनाई दे रही हैं। हालांकि, इस वीडियो के बारे में किए गए दावों का उत्तरी दिल्ली के डीसीपी ने खंडन किया है।

एक विवादास्पद वीडियो, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, में एक नमाजी को लात मारने के आरोप में दरोगा मनोज तोमर पर पुलिस की उपस्थिति में हमले का दावा किया गया था। हालांकि, उत्तरी दिल्ली के डीसीपी ने इस दावे को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि यह जानकारी गलत है। डीसीपी के अनुसार, वीडियो में दिखाए गए एसआई वास्तव में उस वीडियो में मौजूद नहीं थे। वास्तविकता में, वीडियो 9 मार्च का नहीं बल्कि 8 मार्च का है, जिस दिन इंदरलोक में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्थानीय लोगों ने पुलिस अधिकारियों की सहायता की और उन्हें सुरक्षित रूप से पुलिस पोस्ट तक पहुंचाया, जहां बाद में झड़प हुई थी।

इस वीडियो और पुलिस द्वारा दी गई सफाई के बावजूद, सोशल मीडिया पर उपयोगकर्ता अभी भी असंतुष्ट और चिंतित प्रतीत होते हैं। उनमें से कुछ इस घटना के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं कि पुलिस ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन वे यह भी स्पष्ट कर रहे हैं कि वीडियो में दिखाए गए माहौल को किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं माना जा सकता। अन्य नेटिजन्स ने प्रश्न उठाया है कि यदि एसआई इस वीडियो में नहीं हैं, तो भी जिस स्थान पर यह घटना हुई है, वहां पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। वीडियो में भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को ‘मारो’ कहते हुए सुना जा रहा है, जो इस मुद्दे को और भी गंभीर बना देता है। इस प्रकार के विवादास्पद मामलों में नागरिकों की चिंताओं और प्रतिक्रियाओं को समझना और उन्हें शांतिपूर्वक हल करना महत्वपूर्ण है।

पुलिस ने एक चौकी के आसपास जमा हुई भीड़ को हटाने के लिए बल का प्रयोग किया। इस घटना के पश्चात्, दिल्ली पुलिस ने इलाके के नागरिकों और धार्मिक नेताओं से मुलाकात की और शांति बनाए रखने का आश्वासन दिया। शाम होने तक माहौल शांत हो गया और ज्यादातर लोग अपने घर लौट गए। सुरक्षा के मद्देनजर, केंद्रीय पुलिस बल और दिल्ली पुलिस के जवान मौके पर तैनात रहे। एक लंबी दाढ़ी वाले व्यक्ति, जिसने अपने सिर पर टोपी पहनी हुई थी, ने कहा कि मौलानाओं ने पुलिस कमिश्नर से बातचीत की है और सभी से घर जाने के लिए कहा गया है

एक वरिष्ठ नागरिक ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने नमाज पढ़ने वालों पर अत्यधिक बल प्रयोग किया, जिसके विरोध में लोग सड़कों पर उतरे। उनका कहना था कि ऐसे कार्यवाही में शामिल पुलिसकर्मियों का केवल निलंबन पर्याप्त नहीं है; उन्हें पुलिस बल से स्थायी रूप से हटाने की जरूरत है। उन्होंने इंदरलोक की सौहार्दपूर्ण स्थिति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां कभी भी धारा 144 लागू नहीं की गई और सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक सहअस्तित्व में रहते हैं। मोहम्मद फय्याद, जो लंबे समय से इस क्षेत्र में रहते हैं और यहां की मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं, ने बताया कि आबादी के बढ़ने के साथ ही मस्जिद की क्षमता पर्याप्त नहीं रह गई है, जिससे जुमे के दिन भीड़ अधिक हो जाती है और कभी-कभी लोगों को बाहर सड़क पर भी नमाज पढ़नी पड़ती है।

एक नमाज़ पढ़ रहे व्यक्ति को लात मारने की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए यह कहा गया कि पुलिस का कार्य न तो फूल बरसाना है और न ही धार्मिक अनुष्ठानों में लगे लोगों को चोट पहुँचाना। पुलिस को सभी को समान रूप से न्यायपूर्ण और संवेदनशीलता के साथ देखने का प्रशिक्षण दिया जाता है। एक व्यक्ति की कार्यवाही पूरे पुलिस बल पर सवाल नहीं उठाती है। जब नमाज़ी पर हमले का वीडियो व्यापक रूप से साझा किया गया, जनता में आक्रोश बढ़ गया। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस ने तुरंत संबंधित पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया और इलाके में पुलिस बल तैनात करने के साथ ही अन्य आवश्यक कदम भी उठाए। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस घटना को बहुत गंभीरता से लिया गया है और जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई की गई है।

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