Mahakumbh yatra 2025: आध्यात्म और संस्कृति का महापर्व
महाकुंभ 2025: त्रिवेणी संगम पर अद्भुत आयोजन
Mahakumbh yatra 2025 के अवसर पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम का पवित्र तट एक बार फिर से करोड़ों श्रद्धालुओं और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। इस भव्य आयोजन में 24 मंचों पर 5,250 कलाकार अपनी-अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आयोजन केवल एक धार्मिक समागम नहीं है, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और अध्यात्म का अनूठा संगम भी है।
यूएई से आई सैली एल ने Mahakumbh yatra को अद्भुत बताया। उन्होंने कहा, “यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां हर चीज़ का बेहद व्यवस्थित प्रबंधन किया गया है। पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था और सरकार की तैयारी ने इसे और खास बना दिया है।”
विदेशियों का आकर्षण केंद्र: Mahakumbh yatra 2025
Mahakumbh yatra ने केवल भारत के श्रद्धालुओं को ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के देशों से आए भक्तों को भी आकर्षित किया है। गुयाना से आए दिनेश ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यहां आकर गंगा में स्नान करना मेरा सपना था, जो अब पूरा हुआ। मैं हर किसी को इस आयोजन में शामिल होने और गंगा स्नान करने के लिए प्रेरित करता हूं।”
इस बार 10 देशों के 21 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय दल ने संगम तट पर विशेष उपस्थिति दर्ज की। महाकुंभनगर में पारंपरिक रीति-रिवाजों और मंत्रोच्चारण के साथ उनका स्वागत किया गया। प्रयागराज एयरपोर्ट से अरैल स्थित टेंट सिटी तक लाए गए इस दल ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव किया।
सनातन धर्म की रक्षा पर मंथन
Mahakumbh yatra 2025 के दौरान साधु-संतों ने सनातन धर्म की सुरक्षा और इसे संरक्षित रखने के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना पर चर्चा की। इस बोर्ड का उद्देश्य देशभर के मठों और मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने साधु-संतों के साथ मिलकर इस प्रारूप पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।
साधु-संतों के बीच विवाद और राष्ट्रपति शासन
हालांकि, Mahakumbh yatra के दौरान अखाड़ा सेक्टर में साधुओं के बीच विवाद की खबरें भी आईं। बिजली विभाग के ठेकेदारों और साधुओं के बीच हुई झड़प में लाठियों का इस्तेमाल किया गया। प्रशासन ने स्थिति पर काबू पाने के लिए तुरंत कदम उठाए।
महाकुंभ के साथ ही अखाड़ों की सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया है। अब कुंभ तक अखाड़ों का संचालन राष्ट्रपति शासन की तर्ज पर पंचायती व्यवस्था से होगा। कुंभ समाप्त होने के बाद अखाड़े अपनी नई सरकार चुनेंगे।
महाकुंभ में नागा संन्यासियों और साध्वियों की चर्चा
इस बार महाकुंभ में नागा संन्यासियों और साध्वियों की भागीदारी ने खास ध्यान खींचा है। आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने वाले अभय सिंह ने लाखों की नौकरी छोड़कर नागा संन्यासी बनने का फैसला किया। उनके इस कदम ने महाकुंभ में आए लोगों और मीडिया का ध्यान आकर्षित किया।
श्रद्धालुओं का उत्साह: संगम में पवित्र स्नान
Mahakumbh yatra के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाई। यह संगम गंगा, यमुना और रहस्यमय सरस्वती नदियों का मिलन स्थल है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। Mahakumbh yatra के शुरुआती चार दिनों में 6 करोड़ से अधिक भक्त संगम की रेती पर अपनी आस्था व्यक्त कर चुके हैं।
आध्यात्म, संस्कृति और सौहार्द का प्रतीक
Mahakumbh yatra 2025 ने यह साबित कर दिया है कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल पवित्र स्नान का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि भारतीय कला, संगीत और परंपराओं के रंगों से भी रूबरू हो रहे हैं।
इस अद्भुत Mahakumbh yatra ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि अध्यात्म और संस्कृति की अद्वितीय भूमि है।
2025: आध्यात्म और संस्कृति का महापर्व
#WATCH | Prayagraj | Devotees take holy dip at Triveni Sangam – a sacred confluence of rivers Ganga, Yamuna and ‘mystical’ Saraswati on the fourth day of the 45-day-long #MahaKumbh2025
Over 6 crore devotees have participated in the world’s biggest religious congregation; over… pic.twitter.com/ergglhppdi
— ANI (@ANI) January 16, 2025
महाकुंभ 2025: त्रिवेणी संगम पर अद्भुत आयोजन
Mahakumbh yatra 2025 के अवसर पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम का पवित्र तट एक बार फिर से करोड़ों श्रद्धालुओं और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। इस भव्य आयोजन में 24 मंचों पर 5,250 कलाकार अपनी-अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आयोजन केवल एक धार्मिक समागम नहीं है, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और अध्यात्म का अनूठा संगम भी है।
यूएई से आई सैली एल ने Mahakumbh yatra को अद्भुत बताया। उन्होंने कहा, “यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां हर चीज़ का बेहद व्यवस्थित प्रबंधन किया गया है। पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था और सरकार की तैयारी ने इसे और खास बना दिया है।”
विदेशियों का आकर्षण केंद्र: Mahakumbh yatra 2025
Mahakumbh yatra ने केवल भारत के श्रद्धालुओं को ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के देशों से आए भक्तों को भी आकर्षित किया है। गुयाना से आए दिनेश ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यहां आकर गंगा में स्नान करना मेरा सपना था, जो अब पूरा हुआ। मैं हर किसी को इस आयोजन में शामिल होने और गंगा स्नान करने के लिए प्रेरित करता हूं।”
इस बार 10 देशों के 21 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय दल ने संगम तट पर विशेष उपस्थिति दर्ज की। महाकुंभनगर में पारंपरिक रीति-रिवाजों और मंत्रोच्चारण के साथ उनका स्वागत किया गया। प्रयागराज एयरपोर्ट से अरैल स्थित टेंट सिटी तक लाए गए इस दल ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव किया।
सनातन धर्म की रक्षा पर मंथन
महाकुंभ यात्रा 2025 के दौरान साधु-संतों ने सनातन धर्म की सुरक्षा और इसे संरक्षित रखने के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना पर चर्चा की। इस बोर्ड का उद्देश्य देशभर के मठों और मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने साधु-संतों के साथ मिलकर इस प्रारूप पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।
#WATCH | #MahaKumbh2025 | Uttar Pradesh | A 21-member delegation from 10 different countries visits the sacred Sangam in Prayagraj. pic.twitter.com/Jb4rrz1asN
— ANI (@ANI) January 16, 2025
साधु-संतों के बीच विवाद और राष्ट्रपति शासन
हालांकि, महाकुंभ यात्रा के दौरान अखाड़ा सेक्टर में साधुओं के बीच विवाद की खबरें भी आईं। बिजली विभाग के ठेकेदारों और साधुओं के बीच हुई झड़प में लाठियों का इस्तेमाल किया गया। प्रशासन ने स्थिति पर काबू पाने के लिए तुरंत कदम उठाए।
महाकुंभ के साथ ही अखाड़ों की सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया है। अब कुंभ तक अखाड़ों का संचालन राष्ट्रपति शासन की तर्ज पर पंचायती व्यवस्था से होगा। कुंभ समाप्त होने के बाद अखाड़े अपनी नई सरकार चुनेंगे।
महाकुंभ में नागा संन्यासियों और साध्वियों की चर्चा
इस बार महाकुंभ में नागा संन्यासियों और साध्वियों की भागीदारी ने खास ध्यान खींचा है। आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने वाले अभय सिंह ने लाखों की नौकरी छोड़कर नागा संन्यासी बनने का फैसला किया। उनके इस कदम ने महाकुंभ में आए लोगों और मीडिया का ध्यान आकर्षित किया।
श्रद्धालुओं का उत्साह: संगम में पवित्र स्नान
महाकुंभ यात्रा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाई। यह संगम गंगा, यमुना और रहस्यमय सरस्वती नदियों का मिलन स्थल है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। महाकुंभ यात्रा के शुरुआती चार दिनों में 6 करोड़ से अधिक भक्त संगम की रेती पर अपनी आस्था व्यक्त कर चुके हैं।
आध्यात्म, संस्कृति और सौहार्द का प्रतीक
महाकुंभ यात्रा 2025 ने यह साबित कर दिया है कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल पवित्र स्नान का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि भारतीय कला, संगीत और परंपराओं के रंगों से भी रूबरू हो रहे हैं।
इस अद्भुत महाकुंभ यात्रा ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि अध्यात्म और संस्कृति की अद्वितीय भूमि है।
ये भी देखें:
तिरुपति लड्डू में ‘Beef Tallow’ का खुलासा: रिपोर्ट ने बढ़ाई हलचल