Lidia Thorpe का विवाद: किंग चार्ल्स III की यात्रा के दौरान विरोध और इंस्टाग्राम पोस्ट का मुद्दा
ऑस्ट्रेलिया में किंग चार्ल्स III की यात्रा के दौरान हुए विवाद ने एक बार फिर से देश में उपनिवेशवाद और आदिवासी अधिकारों पर चर्चा को जन्म दे दिया है। इस विवाद के केंद्र में हैं ऑस्ट्रेलियाई संसद की आदिवासी सीनेटर Lidia Thorpe जो पहले भी अपने तीखे राजनीतिक बयानों और विरोधों के लिए जानी जाती रही हैं। हाल ही में,Lidia Thorpe ने किंग चार्ल्स के खिलाफ सार्वजनिक रूप से नारेबाजी की और एक विवादास्पद कार्टून शेयर करने के बाद सुर्खियों में आ गईं।
Lidia Thorpe का कार्टून विवाद
सोमवार को Lidia Thorpeके इंस्टाग्राम अकाउंट पर किंग चार्ल्स III का एक कार्टून साझा किया गया जिसमें उन्हें सिर कटे हुए दिखाया गया था। इस कार्टून को प्रसिद्ध कलाकार मैट चुन ने बनाया था, और उसमें लिखा था, “आप हमारे राजा नहीं हैं”। Lidia Thorpe जो विक्टोरिया राज्य की पहली आदिवासी सीनेटर हैं और फर्स्ट नेशन्स मुद्दों की सक्रिय कार्यकर्ता हैं, ने बाद में इस कार्टून को हटा दिया और स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा कि यह कार्टून उनके स्टाफ द्वारा उनकी जानकारी के बिना पोस्ट किया गया था और वह हिंसा को प्रोत्साहित करने वाली किसी भी चीज़ का समर्थन नहीं करती हैं।
Lidia Thorpe ने कहा, “शाम के वक्त, बिना मेरी जानकारी के, मेरे स्टाफ के एक सदस्य ने मेरे इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक कार्टून साझा किया था। जब मैंने इसे देखा, तो तुरंत हटा दिया। मैं कभी भी जानबूझकर किसी भी प्रकार की हिंसा को प्रोत्साहित करने वाली चीज़ें साझा नहीं करती। यह मेरे सिद्धांतों के खिलाफ है।”
किंग चार्ल्स III की यात्रा के दौरान थॉर्प का विरोध
इससे पहले, किंग चार्ल्स III की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान, Lidia Thorpe ने संसद में किंग के खिलाफ नाराजगी भरे नारे लगाए। उन्होंने संसद में किंग चार्ल्स की उपस्थिति के दौरान लगभग एक मिनट तक उपनिवेशवाद विरोधी नारेबाजी की। थॉर्प ने कहा, “हमें हमारी जमीन वापस दो! जो कुछ भी तुमने हमसे चुराया है, वह वापस दो!” इस दौरान उन्होंने यह भी कहा, “यह तुम्हारी जमीन नहीं है, तुम मेरे राजा नहीं हो।”
इस घटना ने संसद में बैठे सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को हैरान कर दिया। थॉर्प ने अपने बयान में उपनिवेशवाद के कारण आदिवासी समुदायों के साथ हुए अन्याय और ‘नरसंहार’ का जिक्र किया, जिसे यूरोपीय उपनिवेशवादियों द्वारा किया गया था।
ऑस्ट्रेलिया का इतिहास ब्रिटिश उपनिवेशवाद से जुड़ा हुआ है। लगभग 100 वर्षों तक यह देश ब्रिटिश उपनिवेश रहा, जिसके दौरान हजारों आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई मारे गए और उनकी पूरी की पूरी समुदायों को विस्थापित कर दिया गया। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया को 1901 में स्वतंत्रता मिली, लेकिन यह पूरी तरह से गणराज्य नहीं बना। वर्तमान में किंग चार्ल्स III ऑस्ट्रेलिया के राज्य प्रमुख हैं।
Lidia Thorpe की राजनीतिक शैली और विरोध
Lidia Thorpe अक्सर अपने राजनीतिक स्टंट और मुखर विरोध के लिए जानी जाती हैं। वह ऑस्ट्रेलियाई राजशाही की खुली विरोधी हैं और कई मौकों पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए हैं। जब उन्हें 2022 में ऑस्ट्रेलियाई सीनेट में शपथ दिलाई गई, तो उन्होंने क्वीन्स एलिज़ाबेथ II के प्रति अनिच्छा से शपथ लेते हुए भी विरोध प्रकट किया था। उन्होंने कहा था, “मैं संप्रभु लीडिया थॉर्प, क्वीन्स एलिज़ाबेथ II के उपनिवेशवादी शासन के प्रति निष्ठा की शपथ लेती हूँ।” इस पर सीनेट अध्यक्ष ने उन्हें सही शब्दों में शपथ लेने के लिए कहा।
1999 में, ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने जनमत संग्रह में राजशाही को हटाने के खिलाफ वोट दिया था, क्योंकि उस समय बहस इस बात पर थी कि क्वींस के उत्तराधिकारी को संसद के सदस्यों द्वारा चुना जाएगा या आम जनता द्वारा।
2023 में आदिवासी मान्यता का अस्वीकार
2023 में एक और महत्वपूर्ण घटना हुई जब ऑस्ट्रेलियाई जनता ने संविधान में आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को मान्यता देने और उनके लिए एक परामर्शी सभा बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। यह घटना आदिवासी अधिकारों के समर्थन और उनकी स्थिति पर चल रही बहस का हिस्सा है, और इस संदर्भ में लीडिया थॉर्प का विरोध भी एक व्यापक मुद्दे को उठाता है।
यूके और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों में तनाव
किंग चार्ल्स III की इस यात्रा को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा था क्योंकि यह उनकी जीवन-परिवर्तनकारी कैंसर निदान के बाद पहली प्रमुख विदेशी यात्रा थी। लेकिन इस यात्रा के दौरान लीडिया थॉर्प के विरोध ने मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा पैदा कर दी। यह घटना एक बार फिर से यह सवाल उठाती है कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद का प्रभाव आज भी आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों पर किस तरह से महसूस किया जाता है और राजशाही के प्रति उनका दृष्टिकोण क्या है।
थॉर्प के बयान और उनका प्रभाव
लीडिया थॉर्प की इस घटना और इंस्टाग्राम पोस्ट से जुड़े विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कई प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने इस पोस्ट को हटाकर हिंसा के प्रति अपनी असहमति जाहिर की, लेकिन उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे जैसे कि आदिवासी अधिकार और ब्रिटिश राजशाही के प्रभाव को लेकर उनके विचार उनके राजनीतिक संघर्ष की गहराई को दर्शाते हैं।
थॉर्प का यह विरोध राजशाही के खिलाफ उनके दृढ़ विचारों का हिस्सा है और वह अपनी आवाज़ को बुलंद करके दुनिया के सामने आदिवासी समुदायों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को सामने लाने की कोशिश कर रही हैं। उनके इस कदम ने यह साबित किया है कि वह उन राजनीतिक नेताओं में से हैं जो किसी भी मुद्दे पर चुप नहीं बैठतीं, बल्कि अपनी बात खुलकर सामने रखती हैं।
निष्कर्ष
लीडिया थॉर्प का किंग चार्ल्स III के खिलाफ विरोध और इंस्टाग्राम पोस्ट का विवाद एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया में उपनिवेशवाद, आदिवासी अधिकारों और राजशाही के मुद्दों को सुर्खियों में ले आया है। थॉर्प ने इस मामले पर अपने स्टाफ द्वारा साझा की गई पोस्ट को हटाकर यह साबित किया कि वह हिंसा के प्रति समर्थन नहीं करतीं, लेकिन उनका राजनीतिक संघर्ष और राजशाही विरोध का रुख साफ है।
ऑस्ट्रेलिया के राजनीतिक परिदृश्य में लीडिया थॉर्प एक महत्वपूर्ण आवाज़ हैं, जो आदिवासी समुदायों के अधिकारों और न्याय के लिए लगातार लड़ाई लड़ रही हैं।
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