पूर्व में समान प्रकार की दो याचिकाएं निरस्त की जा चुकी हैं :
इसके पूर्व अन्य व्यक्तियों द्वारा दायर समान प्रकृति की दो याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निरस्त की जा चुकी हैं। कार्यवाहक प्रधान न्यायाधीश मनमोहन और न्यायाधीश मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने 4 अप्रैल को इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका की सुनवाई से इंकार करते हुए यह कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहना केजरीवाल की निजी इच्छा है।
इसी प्रकार, एक और जनहित याचिका को न्यायालय ने इस आधार पर खारिज किया कि याचिकाकर्ता उस कानूनी प्रतिबंध को सिद्ध करने में असफल रहा जो गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने से रोकती हो।
दिल्ली के मुखिया अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को आबकारी नीति से जुड़े मामले में गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें न्यायालय द्वारा प्रथम अप्रैल तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में रहने का निर्णय सुनाया गया। हिरासत की अवधि समाप्त होने पर उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में रखा गया है, जिसके चलते वे वर्तमान में तिहाड़ जेल में हैं। उनकी गिरफ्तारी के उपरांत, विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र की मांग की जा रही है, वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल पद पर बने रहेंगे।
न्यायालय ने इस याचिका को 10 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में पेश करने का आदेश दिया। संदीप कुमार का कहना है कि एक दिल्ली विधानसभा के मतदाता के रूप में, वे इस बात से चिंतित हैं कि उनके केंद्र शासित प्रदेश का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में है जो अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ है।
संदीप कुमार ने यह भी उल्लेख किया कि जब तक अरविंद केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं, वे मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने में सक्षम नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि जब तक मुख्यमंत्री संविधान के अनुसार पूर्ण रूप से कार्यरत न हों, उपराज्यपाल को सलाह देने और सहायता प्रदान करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।