Delhi Assembly Elections 2025: क्या मोदी रचेंगे ऐतिहासिक जीत

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Delhi Assembly Elections 2025: मोदी सरकार की परीक्षा और आप की साख का इम्तिहान

भारत की राजधानी दिल्ली में बुधवार को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ये चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा साबित होंगे, क्योंकि बीते एक दशक से अधिक समय से बीजेपी दिल्ली की सत्ता हासिल करने में असफल रही है।

Delhi Assembly Elections की अहमियत

Delhi Assembly Elections 2025 में 70 सीटों पर मतदान होगा, जिसमें 1.5 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह चुनाव न केवल राजधानी के लिए बल्कि पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य के लिए भी अहम है। दिल्ली, जो देश का प्रशासनिक केंद्र है, पिछले दस वर्षों से आम आदमी पार्टी (आप) के नियंत्रण में रही है। इस दौरान पार्टी ने शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार किए हैं, जिससे उसकी लोकप्रियता बनी रही है।

हालांकि, बीजेपी ने इस बार चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है और हाल ही में केंद्रीय बजट में किए गए कर कटौती (टैक्स कट) के फैसले के जरिए मध्यम वर्ग को लुभाने की कोशिश की है।

भाजपा बनाम आम आदमी पार्टी: किसका पलड़ा भारी?

बीजेपी और आप, दोनों ही पार्टियां इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए विभिन्न लोकलुभावन योजनाओं का सहारा ले रही हैं। खासतौर पर, महिलाओं को नकद सहायता देने और अन्य मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने के वादों को दोनों दलों ने अपने चुनाव प्रचार का अहम हिस्सा बनाया है।

बीते दशक में आप सरकार ने मुफ्त बिजली, पानी और परिवहन जैसी कल्याणकारी योजनाओं के जरिए निम्न आय वर्ग का समर्थन हासिल किया है। लेकिन इसके बावजूद, पार्टी को अपने नेता अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जो उसकी साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

वहीं, बीजेपी ने हाल ही में पेश किए गए बजट में मध्यम वर्ग के लिए कर राहत की घोषणा करके इस वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। दिल्ली में एक बड़ी संख्या में मध्यम वर्गीय मतदाता हैं, और विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।

राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार के अनुसार, “बीजेपी की छवि बेहतर हुई है, जबकि आप की साख को ठेस पहुंची है। कर कटौती से बीजेपी को कुछ फायदा मिल सकता है, लेकिन यह पूरी तस्वीर बदलने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता।”

बीजेपी की चुनावी रणनीति और मोदी का प्रचार अभियान

बीजेपी को 1998 के बाद से Delhi Assembly Elections चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि, हाल ही में पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत हासिल की है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा है।

रविवार को दिल्ली में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत के इतिहास में पहली बार इतना मध्यम वर्ग-हितैषी बजट पेश किया गया है।” मोदी की यह टिप्पणी रैली में मौजूद समर्थकों की जोरदार तालियों और उनके नाम के नारे के साथ गूंजी।

बीजेपी ने इस बार चुनावी मैदान में “दिल्ली को बदलेगा बीजेपी” जैसे नारों के साथ प्रचार अभियान तेज कर दिया है। पार्टी का मुख्य एजेंडा भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और राष्ट्रीय मुद्दों को केंद्र में रखना है।

आप की चुनौतियां और भ्रष्टाचार के आरोप

आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण है। बीते कुछ वर्षों में पार्टी को कई घोटालों और कानूनी मामलों का सामना करना पड़ा है। शराब नीति घोटाले में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कई आप नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।

सितंबर 2024 में अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उन्होंने यह घोषणा की कि वे जल्द ही वापस आएंगे। आप पार्टी ने इन सभी आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हुए बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

Delhi Assembly Elections : क्या दिल्ली की सत्ता में बदलाव संभव है?

अगर इस चुनाव में बीजेपी जीत हासिल करती है, तो यह उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और यह संकेत देगा कि जनता आप की कल्याणकारी नीतियों से आगे बढ़कर विकल्प तलाश रही है। लेकिन अगर आप फिर से सत्ता में आती है, तो यह स्पष्ट होगा कि मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी योजनाएं अभी भी मतदाताओं को लुभाने में सफल हो रही हैं, भले ही पार्टी को भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा हो।

राजनीतिक विशेषज्ञ नीलांजन सरकार का मानना है कि अगर आप बड़ी जीत हासिल करती है, तो बीजेपी की आक्रामकता और बढ़ सकती है। “बीजेपी कभी भी हार को आसानी से स्वीकार नहीं करती। अगर आप जीतती है, तो यह लड़ाई और तेज होगी,” उन्होंने कहा।

दिल्ली की राजनीतिक स्थिति और प्रशासनिक चुनौतियां

Delhi Assembly Elections सरकार की एक बड़ी समस्या यह है कि इसके पास पूर्ण प्रशासनिक अधिकार नहीं हैं। दिल्ली पुलिस और अन्य महत्वपूर्ण विभाग केंद्र सरकार के अधीन आते हैं। ऐसे में, अगर बीजेपी और आप के बीच तनातनी जारी रहती है, तो दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ सकता है।

इसके अलावा, अगर आप सत्ता में रहती है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच पार्टी की छवि कैसे प्रभावित होती है और क्या वह अपनी कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ा पाती है या नहीं।

निष्कर्ष

Delhi Assembly Elections 2025, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए एक परीक्षा की तरह है, वहीं अरविंद केजरीवाल और आप के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है। बीजेपी अपनी कर कटौती और राष्ट्रीय एजेंडे के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, जबकि आप अपने कल्याणकारी कार्यक्रमों के भरोसे मैदान में उतरी है।

इस चुनाव के नतीजे न केवल दिल्ली की राजनीति को प्रभावित करेंगे बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी इसका असर देखने को मिलेगा। अगर आप फिर से जीतती है, तो यह विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी सीख होगी कि कल्याणकारी नीतियां अभी भी जनता को लुभा सकती हैं। वहीं, अगर बीजेपी जीतती है, तो यह संकेत होगा कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लोगों को प्रभावित कर रही हैं।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता किसे अपना अगला मुख्यमंत्री चुनती है और क्या बीजेपी 25 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर पाती है या नहीं।

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