Marco Rubio: 3 वजहें, क्यों बनेगा भारत US का ख़ास सहयोगी?

Marco Rubio

डोनाल्ड ट्रंप के नए कार्यकाल के लिए टीम के गठन में फ्लोरिडा के सीनेटर Marco Rubio का नाम बतौर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट सामने आया है। अगर यह नियुक्ति होती है, तो Marco Rubio अमेरिका के पहले लैटिनो सेक्रेटरी ऑफ स्टेट बनेंगे। यह खबर उन लोगों के लिए उत्साहजनक है, जो अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। खासकर चीन, ईरान, और अन्य वैश्विक मुद्दों पर उनकी सख्त स्थिति ने उन्हें एक प्रभावशाली राजनीतिक शख्सियत बना दिया है।

Marco Rubio का राजनीतिक सफर

Marco Rubio का राजनीतिक सफर फ्लोरिडा से शुरू हुआ। वह तीसरी बार सीनेटर चुने गए हैं और अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़े एक विनम्र सफर का उदाहरण हैं। उनके माता-पिता क्यूबा के आप्रवासी थे जो बाद में अमेरिकी नागरिक बने। बचपन में उनके पिता एक बैंकेट बारटेंडर और उनकी मां एक होटल में काम करती थीं। सीनेटर बनने से पहले वह वेस्ट मियामी में एक सिटी कमिश्नर और फ्लोरिडा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर रहे हैं। Rubio का यह सफर दिखाता है कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति ने अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।

2016 का चुनाव और ट्रंप के साथ संबंध

2016 के राष्ट्रपति चुनाव में Marco Rubio ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी थे, और उस दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर आलोचना की। Rubio ने ट्रंप पर आरोप लगाए थे कि वह अमेरिकियों की बजाय विदेशियों को नौकरी देते हैं। इस बीच उन्होंने ट्रंप के खिलाफ कई तीखी टिप्पणियां की थीं। हालांकि, समय के साथ उनके और ट्रंप के बीच संबंध सुधर गए और अब उनके नाम को ट्रंप के संभावित सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के रूप में देखा जा रहा है।

Marco Rubio का विदेश नीति पर रुख

Marco Rubio का विदेश नीति पर सख्त रुख हमेशा चर्चा में रहा है। चीन के खिलाफ उनका रुख काफी सख्त रहा है। 2020 में, उन्होंने एक बिल पेश किया था जो चीनी उइगर अल्पसंख्यक के जबरदस्ती श्रम के साथ बने चीनी सामानों के आयात पर रोक लगाने की कोशिश कर रहा था। यह कानून बाद में राष्ट्रपति बाइडेन ने पास कर दिया। इसके अलावा, 2019 में उन्होंने चीनी सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक की म्यूजिकल.ली के अधिग्रहण पर सुरक्षा समीक्षा की मांग की थी, जो बाद में एक बड़ी जांच का कारण बना। Rubio पर चीन द्वारा कई बार प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं, खासकर हांगकांग पर उनके बयानों को लेकर।

Marco Rubio और भारत के प्रति दृष्टिकोण

भारत के प्रति Marco Rubio का दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक और सहयोगी रहा है। उन्होंने अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग अधिनियम (US-India Defense Cooperation Act) नामक बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करना है। इस बिल में यह प्रावधान किया गया है कि भारत को अमेरिका के समान तकनीकी हस्तांतरण में वही दर्जा दिया जाना चाहिए जैसा जापान, इज़राइल, कोरिया, और नाटो सहयोगियों को है। इसके अलावा, बिल में पाकिस्तान को सहायता देने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है यदि वह भारत के खिलाफ आतंकवाद को समर्थन देता है।

Marco Rubio की भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर भविष्य की योजनाएं

Marco Rubio का मानना है कि भारत और अमेरिका का रक्षा और आर्थिक सहयोग भविष्य में और बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि अमेरिका को भारत के साथ तकनीक, चिकित्सा, और रक्षा के क्षेत्र में सहयोग करना चाहिए। 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी उन्होंने बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि दोनों देशों के आर्थिक और सुरक्षा हित कई मुद्दों पर एक समान हैं। उनके इस दृष्टिकोण से स्पष्ट होता है कि वह अमेरिका-भारत संबंधों को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं।

विदेश मंत्री के रूप में Marco Rubio की संभावनाएं

अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के तौर पर Marco Rubio की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति राष्ट्रपति का मुख्य विदेश मामलों का सलाहकार होता है, जो अमेरिका के विदेश मामलों से जुड़े सभी समझौते और अनुबंध करता है। Rubio की चीन और ईरान पर सख्त नीतियों के चलते अगर वह इस पद पर नियुक्त होते हैं, तो यह अमेरिका की वैश्विक रणनीति को भी प्रभावित कर सकता है।

ट्रंप और Rubio के बीच संबंधों में सुधार

ट्रंप के संभावित कार्यकाल में Marco Rubio का नाम सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के तौर पर चर्चा में आना दिखाता है कि दोनों नेताओं के संबंधों में सुधार हुआ है। 2016 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में दोनों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई थी, लेकिन अब वह ट्रंप की टीम का अहम हिस्सा बन सकते हैं। Rubio का रुख अब ट्रंप के विचारों के अधिक करीब माना जा रहा है, खासकर विदेश नीति को लेकर।

Rubio का भविष्य और अमेरिका की विदेश नीति

यदि Marco Rubio को सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो यह अमेरिका की विदेश नीति में एक नया मोड़ ला सकता है। चीन और ईरान पर उनका कड़ा रुख और भारत के प्रति उनका सहयोगी दृष्टिकोण अमेरिका के वैश्विक संबंधों को नई दिशा दे सकता है। Rubio का मानना है कि अमेरिका को अपने संसाधनों का उपयोग विदेशी समस्याओं को हल करने में नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने हितों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

निष्कर्ष

Marco Rubio का सेक्रेटरी ऑफ स्टेट बनने की संभावना अमेरिकी राजनीति और वैश्विक संबंधों के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यदि वह इस पद पर नियुक्त होते हैं, तो उनकी नियुक्ति अमेरिका की विदेश नीति को प्रभावित कर सकती है। Rubio की भारत के प्रति सकारात्मक सोच और चीन के खिलाफ सख्त रुख ने उन्हें एक अद्वितीय राजनीतिक शख्सियत बना दिया है। Marco Rubio का यह कदम अमेरिका और भारत के संबंधों को भी मजबूती प्रदान कर सकता है, जो दोनों देशों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।

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