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Japan का निक्केई 225 सूचकांक हाल ही में 12.4% की बड़ी गिरावट के साथ समूचे विश्व बाजार में खलबली मचा दी है। यह गिरावट विशेष रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में व्याप्त जोखिमों के कारण हुई है। Japan शेयर बाजार की यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है, जिससे बाजार की अस्थिरता और बढ़ गई है।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका में बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों के लगातार वृद्धि के चलते वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा की जा रही मौद्रिक नीति में बदलाव ने निवेशकों को हतोत्साहित किया है, जिससे वे अधिक सुरक्षित निवेश के विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। इस स्थिति का सीधा असर जापान के निक्केई 225 सूचकांक पर पड़ा है।
निक्केई 225 सूचकांक की गिरावट का असर जापान की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ रहा है। बाजार में आई इस गिरावट ने जापान के निर्यात और आयात के आंकड़ों पर भी दबाव डाला है। जापान, जो एक निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था है, वहां की कंपनियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, निवेशकों की चिंता बढ़ गई है और वे दीर्घकालिक निवेश से कतराने लगे हैं।
इसके अतिरिक्त, जापान के कुछ प्रमुख उद्योगों जैसे ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी इस गिरावट का प्रतिकूल असर पड़ा है। इन उद्योगों में बड़ी कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होता है, तो निक्केई 225 सूचकांक में और भी गिरावट आने की संभावना है।
Japan का बेंचमार्क निक्केई 225 स्टॉक इंडेक्स सोमवार को 12.4% गिरकर 31,458.42 पर बंद हुआ। यह गिरावट ऐसे समय आई है जब निवेशक अमेरिका की अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। निक्केई के साथ-साथ बाजार का व्यापक TOPIX इंडेक्स भी 12.8% गिरा, जबकि बिक्री में तेजी आई।
सोमवार को शुरूआती कारोबार में, S&P 500 के लिए फ्यूचर्स 2.4% गिर गए, और डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज के लिए 2.6% की गिरावट आई। अमेरिकी नियोक्ताओं द्वारा पिछले महीने की नौकरी में उम्मीद से ज्यादा धीमी गति से भर्ती की रिपोर्ट ने वित्तीय बाजारों में हलचल मचा दी, जिससे निक्केई की हाल की रिकॉर्ड ऊंचाइयों को धक्का लगा।
निक्केई 225 ने शुक्रवार को 5.8% की गिरावट के साथ अपने इतिहास में सबसे खराब दो-दिवसीय गिरावट का सामना किया। 1987 में “ब्लैक मंडे” के दौरान निक्केई में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट 3,836 अंकों की रही थी, जो 14.9% थी। इस सोमवार की स्थिति भी उतनी ही नकारात्मक रही, जब एक समय निक्केई ने 13.4% की गिरावट देखी।
इन घटनाओं ने वैश्विक बाजारों में भी चिंता का माहौल पैदा कर दिया है, और यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका की आर्थिक चुनौतियों का प्रभाव जापान और अन्य देशों के बाजारों पर भी पड़ रहा है।
बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि इस प्रकार की गिरावट को एक सामान्य प्रवृत्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। वे सुझाव देते हैं कि निवेशकों को इस स्थिति का सामना धैर्यपूर्वक करना चाहिए और अपने निवेश को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखने की सलाह दी जा रही है। इस समय में, सही और सटीक निवेश निर्णय लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
इसके साथ ही, जापान सरकार और जापानी केंद्रीय बैंक को भी इस स्थिति को लेकर सक्रियता से कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्हें बाजार में स्थिरता लाने के लिए उचित नीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि निवेशकों का भरोसा पुनः स्थापित हो सके। जापान की अर्थव्यवस्था के लिए यह समय एक चुनौती साबित हो रहा है, लेकिन यदि उचित उपाय किए जाते हैं, तो स्थिति में सुधार संभव है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं। जापान की सरकार को अब विश्व बाजार की स्थितियों पर नजर रखनी होगी और अपनी नीतियों को उसी अनुसार बनाना होगा ताकि देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखी जा सके।
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