Today Aligarh Crime News Update : अलीगढ़ के मामू भांजा क्षेत्र में मंगलवार की देर रात चोरी के संदेह में एक व्यक्ति की मौत के बाद उत्पन्न हुई हिंसा ने शहर में तनाव फैला दिया है। इस घटना के बाद अब तक छह लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

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Aligarh Crime : अलीगढ़ के मामू भांजा मामले में मुख्य मुकदमे के दस्तावेजों में ‘भीड़ हिंसा’ शब्द के उपयोग से अधिकारियों में खलबली मच गई है। पूरे दिन अफरा-तफरी मिटाने में जुटे अधिकारी इस शब्द के प्रयोग को ठीक से समझ नहीं पाए। जब मुकदमे की कॉपी थाने से बाहर आई और मीडिया के हाथ लगी, तो पूरे मुख्यालय में हंगामा खड़ा हो गया। इसके बाद की स्थिति और भी नाजुक हो गई थी। बाद में अधिकारियों और भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस शब्द को विभिन्न तरीकों से व्याख्यायित करना शुरू किया। कुछ ने तो यह भी दावा किया कि मुकदमे में ‘भीड़ हिंसा’ जैसा कोई शब्द मौजूद ही नहीं है।
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मंगलवार की रात मामूभांजा इलाके में एक विवाद के बाद, सपा-बसपा के नेताओं ने पीड़ित परिवार के समर्थन में कदम बढ़ाया। उसी रात को शिकायत दर्ज कराने और गिरफ्तारी की मांग जोरशोर से की गई थी। पुलिस ने भी फौरन शिकायत स्वीकार कर ली और मुकदमे व गिरफ्तारी पर सहमति जताई।

घटना की रात, मामूभांजा क्षेत्र के रंगरेजान मोहल्ले के निवासियों ने औरंगजेब उर्फ फरीद को मुकेश चंद्र मित्तल के घर की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए पकड़ा। आरोप था कि वह चोरी की नीयत से वहां चढ़ रहा था। उसकी पिटाई के बाद गंभीर हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो गया।

यह बात सुबह ही स्पष्ट हो गई थी कि इस घटना में शामिल नामजद आरोपियों में से अंकित वार्ष्णेय का भाई हर्ष भाजपा महावीर गंज मंडल का उपाध्यक्ष है। खुद मंडल अध्यक्ष गौरी आर्य ने इस बात की पुष्टि की थी। पिछली मंडल कमेटी में भी हर्ष उपाध्यक्ष था। पहले तो भाजपाई इस पर जोर देते रहे कि वीडियो में हर्ष का भाई अंकित मारपीट करते नहीं दिख रहा है, वह सिर्फ खड़ा है। इसलिए उसे हत्या के आरोप में जेल भेजना उचित नहीं है।

एसएसपी ने दोपहर तक कहा कि जांच के आधार पर जो तथ्य सामने आएंगे, उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। मगर शाम को जब इस मुकदमे की तहरीर वायरल हुई तो भाजपा के सदस्य दंग रह गए। इसके बाद मामले को संभालने की प्रक्रिया शुरू हुई।

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रात्रि के समय हुई इस घटना पर सपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष अज्जू इशहाक ने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि यह भीड़ द्वारा की गई हिंसा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसी घटनाएँ निरंतर हो रही हैं। उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे की मांग की। इसी बीच, पोस्टमार्टम केंद्र पर पहुंचे एएमयू के छात्र नेताओं ने भी इसी मुद्दे को उठाते हुए मुआवजे की मांग की।

इसके विपरीत, भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्ण पाल सिंह लाला ने दावा किया कि यह भीड़ हिंसा का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी के घर में चोरी या लूटपाट के इरादे से घुसेगा, तो उसका सामना करने की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्राचीन समय में ऐसी घटनाएं जनता की प्रतिक्रिया के रूप में होती थीं।

इस प्रकरण में मोहल्ला रंगरेजान के निवासी अंकित वार्ष्णेय, चिराग वार्ष्णेय, संजय वार्ष्णेय उर्फ बालाजी, ऋषभ पाठक, अनुज अग्रवाल, मनोज पाठक, पंडित विजय सिंह, कमल शर्मा उर्फ चौधरी, मोहित मित्तल उर्फ डिंपी, और राहुल अग्रवाल के नाम से मुकदमा दर्ज किया गया है।

इन व्यक्तियों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें अपराधियों को मारने वाले व्यक्तियों को पहले इनाम भी मिलता था। अब ये सभी जेल भेज दिए गए हैं। वहीं, अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रवक्ता अशोक पांडेय ने इसे भीड़ हिंसा नहीं बल्कि चोरी के प्रयास पर प्रतिक्रिया के रूप में हिंसा बताया है

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