New Delhi : किसान आंदोलन के मद्देनजर, दिल्ली की सीमाओं को सुरक्षा कारणों से बंद किया जा रहा है और किसानों के राजधानी में प्रवेश को रोकने के लिए सीमा पर पुलिस बलों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही, दिल्ली में 12 मार्च तक धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके तहत एक स्थान पर चार या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाई गई है। धारा 144 के तहत विभिन्न प्रकार की पाबंदियां लागू की जा सकती हैं। दिल्ली पुलिस के कमिश्नर संजय अरोड़ा ने राजधानी में इस धारा को लागू करने के आदेश जारी किए हैं।
सीआरपीसी की धारा 144, शांति बनाए रखने या किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के उद्देश्य से लागू की जाती है। यह धारा किसी क्षेत्र में सुरक्षा से जुड़े खतरों या कानूनी समस्याओं को रोकने के लिए उपयोग में लाई जाती है। जिस क्षेत्र में धारा 144 लागू होती है, वहां पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का एक स्थान पर एकत्रित होना प्रतिबंधित होता है।
धारा 144 को लागू करने की प्रक्रिया में, क्षेत्रीय जिलाधिकारी या पुलिस आयुक्त एक आधिकारिक घोषणा जारी करते हैं। इस धारा के प्रभावी होने पर, क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करने का विकल्प भी चुना जा सकता है, ताकि अफवाहें या गलत सूचनाएं न फैलें। इसके अलावा, इस धारा के तहत, क्षेत्र में हथियारों की ढुलाई या उनके प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है।
धारा 144 के प्रभावी होने के पश्चात, सड़कों पर किसी भी प्रकार की सभा, विरोध प्रदर्शन, रैली या सार्वजनिक बैठकों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसी तरह, ट्रैक्टर और ट्रॉली जैसे वाहनों के प्रवेश पर भी रोक लगाई जाती है। ज्वलनशील सामग्री को ले जाने पर भी पाबंदी होती है। राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाता है, और लाउडस्पीकर के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
किसान समुदाय के दो प्रमुख संगठनों, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने, अपनी मांगों को प्रमुखता देते हुए 13 फरवरी को ‘दिल्ली कूच’ का आह्वान किया है। इसके अलावा, संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद की घोषणा की है
पिछले दो वर्षों में, दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन इतना प्रबल था कि इसने नरेंद्र मोदी सरकार को तीन कृषि कानूनों – कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर समझौता अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तुओं (संशोधन) अधिनियम 2020 को निरस्त करने के लिए मजबूर किया।
कृषि कानूनों के निरस्त होने के पश्चात, किसानों ने अपने आंदोलन को समाप्त कर दिया था। इस अवधि में, सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था।
अब किसान इन आश्वासनों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव डालने की तैयारी में हैं। 13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान उनकी इसी योजना का एक हिस्सा है। इस संदर्भ में, ट्रैफिक पुलिस उपायुक्त ने 13 फरवरी को दिल्ली और पंजाब के बीच यात्रा करने की आवश्यकता पड़ने पर ही यात्रा करने की सलाह दी है। इसके अतिरिक्त, किसी भी समस्या की स्थिति में डायल-112 पर तुरंत मदद के लिए संपर्क किया जा सकता है।
डल्लेवाल ने एक साक्षात्कार में उल्लेख किया : हरियाणा में पुलिस वाहनों के माध्यम से इस बात का प्रचार किया जा रहा है कि लोग किसान आंदोलन में शामिल न हों। नागरिकों के घरों पर सावधानीबर्ती के पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं। इसके अलावा, लोगों से उनके बैंक खातों और जमीनों के विवरण की मांग की जा रही है। पेट्रोल पंप मालिकों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे किसानों को डीजल न प्रदान करें। यदि किसान ट्रैक्टर लेकर बाहर निकलते हैं, तो उन्हें जब्त कर लिया जाएगा, और उनके पासपोर्ट भी जब्त किए जा सकते हैं।
PM Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हैं, लेकिन इसके विपरीत लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन कर रहे किसानों को धमकियाँ दी जा रही हैं। आंदोलनकारी किसान कहते हैं, “हम कोई नई मांगें लेकर नहीं आ रहे हैं। हमारा आंदोलन तो सिर्फ सरकार से उसके द्वारा किए गए पुराने वादों को पूरा करने की मांग के लिए है।
पुलिस ने एक ट्रैफिक सलाह जारी करते हुए कहा है कि दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर यदि यातायात में बाधा आती है, तो चंडीगढ़ से दिल्ली जाने के इच्छुक यात्री डेराबस्सी, बरवाला/रामगढ़, साहा, शाहबाद, कुरुक्षेत्र के मार्ग का उपयोग कर सकते हैं, या फिर पंचकूला, एनएच-344 यमुनानगर इंद्री/पिपली करनाल होकर दिल्ली तक जा सकते हैं। इसी तरह, दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले यात्री भी करनाल, इंद्री/पिपली, यमुनानगर पंचकूला या कुरुक्षेत्र, शाहबाद, साहा, बरवाला, रामगढ़ होकर अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।