Harayana : इजराइल जा रहे मजदूरों की स्क्रीनिंग कार्यक्रम आरंभ हो गया है। बुधवार को लखनऊ राजधानी में स्थित सेंटर पर मजदूरों का स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू की गई है। इस स्क्रीनिंग का मुख्य उद्देश्य इजराइल जाने वाले मजदूरों की चयन प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है। परीक्षा की तारीखें 25 से 29 जनवरी के बीच हैं और इसके लिए राजकीय आईटीआई अलीगंज चयनित किया गया है। इजराइल में काम करने जाने वाले मजदूरों को महीने की 1 लाख 37 हजार 260 रुपए की सैलरी दी जाएगी। सरकार उन्हें रहने के लिए आवास प्रदान करेगी, हालांकि खाने-पीने और मेडिकल बीमा के लिए खर्च उन्हें स्वयं बोझना होगा। इजराइल जाने वाले मजदूरों की आयु 21 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश, बिहार, और कई अन्य राज्यों के मजदूर इजराइल जाने की इच्छा रखते हैं, जो काम की तलाश और अच्छे पैसों की कमी के कारण है। इन मजदूरों की चयन प्रक्रिया लखनऊ में चल रही है। इसमें भारत और इजराइल सरकारों के बीच मुख्यमंत्री मिशन रोजगार योजना शामिल है, जिसके अंतर्गत दस हजार प्रशिक्षित श्रमिकों को इजराइल भेजने की तैयारी की जा रही है
फिलिस्तीन ने इजराइल में घुसकर नागरिकों को अपहरण करके निर्दयता की नई सीमा पार की थी, जिसके पश्चात् इजराइल ने फिलिस्तीनी मजदूरों को हटा दिया था। इसके बाद, इजराइल ने भारत से मजदूरों को बुलाया था और यूपी सरकार ने इसे समर्थन दिया था। इच्छुक मजदूरों ने इजराइल जाने का संकल्प लेते हुए रजिस्ट्रेशन करवाया था।
उन्हें मिलेगा हर महीने 1,37,000 रुपये (1,648 डॉलर) की तनख़्वाह, जोकि इसराइल में नौकरी करने का मुआवजा है, साथ ही उन्हें वहां रहने का भी ठिकाना मिलेगा और मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। रंजीत कुमार ने हाल ही में अपना पासपोर्ट बनवाया है और अपने सात सदस्यों वाले परिवार की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इसराइल जाने का निर्णय लिया है। वह स्टील फिक्सर के रूप में इसराइल में नौकरी करने के लिए तैयार हैं
इजरायल जाने वालों की स्क्रीनिंग लखनऊ में शुरू @NavbharatTimes pic.twitter.com/opBjzGzhUE
— NBT Uttar Pradesh (@UPNBT) January 24, 2024
वह कहते हैं, “यहां सुरक्षित रोजगार नहीं है। चीजों की कीमतें बढ़ रही हैं। मैंने नौ साल पहले अपनी पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन अब तक आर्थिक स्थिति में स्थिरता हासिल नहीं कर सका हूँ। पिछले सात अक्टूबर के हमास के हमले के बाद से इस सेक्टर को बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसराइल ने अपने यहां काम करने वाले फ़िलिस्तीनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे इस क्षेत्र में कामगारों की कमी हो गई है। हमास के हमले से पहले तक, करीब 80,हज़ार फ़िलिस्तीनी सेक्टर में काम कर रहे थे। अधिकांश युवा वर्तमान में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में असाधारित काम कर रहे हैं, जिसमें उन्हें महीने में 15-20 दिनों के लिए काम करने पर लगभग 700 रुपये मिलते हैं. प्रत्येक युवा अपने साथ अपना रेज़्यूमे लेकर आए हैं, लेकिन स्थिति में अंतर है.