UP Weather : उत्तर प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप बरकरार है। इन दिनों रात्रि के समय तीव्र ठंड का अनुभव हो रहा है। सुबह के समय भी ठंडक में वृद्धि हुई है। इस कारण लोग घरों से बाहर कम ही निकल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 7 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच है। प्रदेश के विभिन्न भागों में आज का न्यूनतम तापमान 3.1 डिग्री सेल्सियस रहा।
इस साल प्रदेश में अत्यधिक ठंड पड़ रही है, और यह परिस्थिति आगे भी बनी रहने की संभावना है। नागरिकों को कड़ी ठंड के साथ ही कोहरे का भी सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में जारी शीत लहर, बेहद ठंडे दिनों और घने कोहरे के चेतावनी के कारण लोगों की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं।
Weather : मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में 18 तारीख की देर रात से 23 जनवरी की प्रातः तक अत्यंत घने कोहरे की स्थिति रहने की संभावना है, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सुबह के समय घना कोहरा छाने का अनुमान है। इसी तरह, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में कोल्ड डे से लेकर सीवियर कोल्ड डे तक की परिस्थितियां बनी रहने की संभावना है, और 18 और 19 जनवरी को कई जगहों पर ठंडे दिन होने की संभावना है।
दिसंबर के महीने से लगातार सूरज का दर्शन नहीं हुआ और शीतलहर तथा कोहरे ने अपना प्रभाव जमाए रखा। 7-8 जनवरी के दिनों में कुछ सुकून मिला, जो पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण था, लेकिन 8 जनवरी के बाद पुनः वही ठंडी स्थितियां आ गईं। इसके अलावा, 12 से 17 जनवरी के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत के कई क्षेत्रों में तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो गया।”
इसके अतिरिक्त, उत्तर भारत में, समुद्र तल से 12 किलोमीटर ऊपर बहने वाली तीव्र जेट स्ट्रीम हवाएं, जो कि लगभग 250-320 किमी प्रति घंटे की गति से चल रही हैं, ने ठंड की परिस्थितियों को और अधिक कठोर बना दिया है। इन मजबूत जेट स्ट्रीम हवाओं के पैटर्न के जारी रहने की संभावना है, जिसके कारण आगामी कुछ दिनों तक उत्तर भारत में शीतलहर की स्थिति बनी रहने की उम्मीद है।
स बार ठंड का अधिक प्रभाव विभिन्न मौसमी कारकों के कारण हो सकता है, जैसे कि:
- पश्चिमी विक्षोभ: यह शीत और नम हवाएं लाता है जो उत्तर भारत में ठंड को बढ़ा सकता है।
- जेट स्ट्रीम: उच्च ऊंचाई पर बहने वाली तेज़ हवाएं, जैसे कि जेट स्ट्रीम, भी ठंडी हवाओं को निचले स्तर पर ला सकती हैं, जिससे तापमान में गिरावट होती है।
- ला नीना प्रभाव: यह समुद्री और वायुमंडलीय परिस्थितियों का एक पैटर्न है जो वैश्विक मौसम पैटर्न्स को प्रभावित कर सकता है, जिससे कुछ क्षेत्रों में अधिक ठंड होती है।
- वायु प्रदूषण: कुछ शोधों के अनुसार, वायु प्रदूषण भी ठंड के प्रभाव को बढ़ा सकता है क्योंकि प्रदूषक तत्व सूर्य की किरणों को अवरुद्ध करते हैं।
- भौगोलिक स्थितियां: कुछ क्षेत्रों की भौगोलिक स्थितियां भी ठंड को प्रभावित कर सकती हैं।
ये सभी कारक मिलकर इस बार ठंड को अधिक सताने वाला बना रहे हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि विभिन्न क्षेत्रों में मौसम के प्रभाव भिन्न हो सकते हैं।