जयपुर के सुभाष चौक थाना क्षेत्र में इकबाल की मौत के बाद, स्थानीय लोगों ने उन्हें बाजार बंद करने, लूटपाट करने, और महिलाओं के प्रति अशिष्ट व्यवहार करने का आरोप लगाया है। इस परिस्थिति के चलते, जयपुर के व्यापारिक संगठनों ने आज सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक अपने व्यापारिक स्थलों को बंद करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, विभिन्न धर्मिक समुदायों के व्यापारी भी बड़ी सड़क पर आवाज उठाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस ने सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए हैं और बंदोबस्त की है मौके पर किसी भी प्रकार की तनाव की स्थिति नहीं थी। व्यापारी द्वारा सांकेतिक बंद और बड़ी चौपड़ पर प्रदर्शन को देखते हुए, जयपुर पुलिस ने मंगलवार रात से ही बड़ी चौपड़ की ओर आने वाले चारों रास्तों पर 100 मीटर पहले ही बैरिकेट्स लगा दी। इसके साथ ही, आज सुबह बड़ी चौपड़ पर वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। सुरक्षा के लिए, बड़ी तादाद में एसटीएफ, RAC और रिजर्व फोर्स को तैनात किया गया। इसके साथ ही, मौके पर क्विक रिस्पांस टीम, इमरजेंसी रिस्पांस टीम और दंगा निरोधक दस्ते के कमांडो भी तैनात किए गए। पुलिस कर्मियों को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया, और वे सादा वस्त्रों में भी अलग-अलग लोकेशनों पर तैनात थे।
जयपुर में हुए रोडरेज के मामले में सरकार के रवैये से बीजेपी खुश नहीं है। इस मामले में मृतक इकबाल के परिवार को मुआवजे पर सियासी विवाद उत्पन्न हो गई है। बीजेपी ने इकबाल के परिवार को 50 लाख के मुआवजे को गहलोत सरकार का मुस्लिम तुष्टिकरण बताते हुए हमला किया है। वीडियो देखें
व्यापारी वर्ग ने यह भी बताया कि सरकार तुष्टिकरण की राजनीति अपना रही है, और यदि सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है, तो और भी बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी बड़ी चौपड़ से रामगंज की ओर जाने का प्रयास किया, लेकिन जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसफ ने उन्हें इसके लिए रोका। व्यक्ति धरना प्रदर्शन को शांति से समाप्त होने पर, जयपुर पुलिस ने स्थिति को शांति से समाप्त किया पुलिस ने सख्त नजर बनाई रखी थी। प्रदर्शन में शामिल हुए आमजन का कहना है कि सरकार द्वारा केवल एक ही वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाने का तरीका गलत है, और इसका वे कठोर शब्दों में आपत्ति रखते हैं। लोगों ने यह भी कहा कि जब जयपुर में इकबाल की मौत हुई, तो सरकार ने सिर्फ 2 घंटे के भीतर ही 50 लाख का मुआवजा दे दिया, लेकिन उदयपुर के कन्हैयालाल के मामले में सरकार ने उच्चाकंक्षा की लापरवाही दिखाई