Ganesh Chaturthi 2023 : आज 19 सितंबर से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। गणेश जी प्रतिमाएं घर-घर में विराजित की जाएंगी। ध्यान रखें पीओपी से बनी गणेश प्रतिमा की स्थापना करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये मूर्तियां पानी में आसानी से गलती नहीं और जल प्रदूषण को बढ़ाती हैं। मिट्टी से बनी मूर्तियां धर्म और पर्यावरण के लिहाज से सबसे अच्छी होती हैं। आज भगवान गणेश की स्थापना के सिर्फ दो मुहूर्त हैं। मुहूर्त के मुताबिक दोपहर 2 बजे तक ही गणेश स्थापना की जा सकती है, लेकिन अगर किसी कारण से आप इस समय तक ना कर पाएं तो फिर इसके बाद के किसी अच्छे चौघड़िए में भी स्थापना कर सकते हैं। वैसे सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर का ही है क्योंकि शास्त्र भी कहते हैं भगवान गणपति का जन्म दोपहर में ही हुआ था स बार रवि एवं ध्वज योग में गणपत्ति बप्पा की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। स्वाती नक्षत्र, एवं विशाखा नक्षत्र का भी इस बार संयोग बन रहा है, ज्योतिष इन योगों को काफी शुभ मान रहे हैं। इस दौरान गणेश जी की उपासना करने वालों को धन धान्य की प्राप्ति होगी। गणेश चतुर्थी का त्योहार गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।इसी दिन से 10 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। गणपति रिद्धि सिद्धि और शुभ लाभ के स्वामी हैं। उनकी पूजा से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है। ज्योतिष की मानें पर्व पर इस बार सुबह 06 बजकर 08 मिनट से रवि योग बन रहा है यह योग दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा। पूजा के लिए इस योग को काफी शुभ माना गया है। इस अवधि में स्वाति नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। स्वाति नक्षत्र होेने से केतु योग बनता है। केतु पताका को ध्वज भी कहते हैँ। इसके बाद दोपहर 01:48 बजे से विशाखा नक्षत्र लग जाएगा। यह नक्षत्र रात्रि 2:27 बजे तक रहेगा
हल्दी से बनी मूर्ति : माना जाता है कि हल्दी और सोने से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा एक समान फल देती है। सोने से बनी और हल्दी की गांठ में उभरी हुई गणेश प्रतिमा पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती हैं। हल्दी की ऐसी गांठ खोजें, जिसमें गणेश जी की आकृति दिख रही हो, इस गांठ को गणेश मानकर घर के मंदिर में स्थापित करें। अगर हल्दी की गांठ न मिले तो हल्दी पाउडर में पानी मिलाकर भी गणेश जी मूर्ति बना सकते हैं इस बार गणेश स्थापना पर मंगलवार का संयोग बन रहा है। विद्वानों का कहना है कि इस योग में गणपति के विघ्नेश्वर रूप की पूजा करने से इच्छित फल मिलता है। गणेश स्थापना पर शश, गजकेसरी, अमला और पराक्रम नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बना रहे हैं। हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें
ये हैं गणेश जी के नाम मंत्र और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें। उन्हें आह्वान और आसन भी प्रदान करें पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक अ ॐ श्रीगणेशाय नमः। ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप अनवरत करते रहें ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम: गणेश चतुर्थी पर्व पर इस बार विशेष योग बन रहे हैं। इससे गणेश जी की भक्तों पर विशेष कृपा रहेगी।